Monday, February 24, 2025
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70% दिव्यांग महिला को नहीं मिली आंगनवाड़ी की नौकरी, जानें गुजरात हाई कोर्ट ने क्यों पलटा फैसला

गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों को छोटे बच्चों का ध्यान रखना होता है। उनके पोषण और शुरुआती शिक्षा से जुड़े कामों को करने में 70 फीसदी स्थायी दिव्यांग महिला को परेशानियां होंगी। इस वजह से उसे यह नौकरी नहीं दी जा सकती।

Edited By: Shakti Singh
Published : Jan 27, 2025 18:19 IST, Updated : Jan 27, 2025 18:19 IST
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Image Source : PTI पानी में लार्वा की जांच करती आंगनवाड़ी कार्यकर्ता

गुजरात हाई कोर्ट में दो जजों की बेंच ने पुराना फैसला पलटते हुए 70 फीसदी दिव्यांग महिला को आंगनवाड़ी की नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया। न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति गीता गोपी की बेंच ने एक जज के फैसले को पलटते हुए कहा कि एकल न्यायाधीश ने यह टिप्पणी करके "गलती" की है कि "अपीलकर्ता प्राधिकारियों को मेडिकल फिटनेस के मुद्दे पर आगे जांच करने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें केवल इस निष्कर्ष पर पहुंचना है कि मेडिकल प्रमाणपत्र पर्याप्त है या नहीं।"

हाई कोर्ट ने अधिकारियों की अपील को गुण-दोष के आधार पर स्वीकार कर लिया और एकल न्यायाधीश के फैसले को रद्द कर दिया। यह मामला 70 फीसदी दिव्यांग महिला से जुड़ा हुआ था, जिसने आंगनवाड़ी की परीक्षा पास की थी, लेकिन उसे नौकरी नहीं दी गई, क्योंकि वह 70 फीसदी विकलांग थी।

क्या है मामला?

एक महिला ने आंगनवाड़ी में नौकरी के लिए आवेदन किया था और शुरुआत में उसका चयन भी हुआ, लेकिन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान सामने आया कि महिला 70 फीसदी विकलांग है। महिला ने फिटनेस सर्टिफेकिट में जमा किया था, लेकिन उसे नौकरी नहीं दी गई। महिला ने अदालत में मामले को चुनौती दी और एक जज की बेंच ने महिला के हित में फैसला सुनाया। इस पर अधिकारियों ने याचिका लगाई और दो जजों की बेंच फैसला पलटते हुए महिला को नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया।

क्यों पलटा फैसला?

दो जजों की बेंच ने कहा कि महिला 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग है। ऐसे में उसे आंगनवाड़ी से जुड़े काम करने में परेशानी होगी। आंगनवाड़ी में महिलाओं को छोटे बच्चों के पोषण का ध्यान रखना होता है। गर्भवती महिलाओं की भी सेहत का ध्यान रखना होता है। बच्चे के जन्म के बाद टीकाकरण और सेहत से जुड़ी अन्य जरूरतों का ध्यान रखना होता है। किसी बच्चे के बीमार होने पर उसे अस्पताल तक ले जाना और समय-समय पर अपडेट लेना होता है। इस सिलसिले में कई बार बच्चों और महिलाओं के घर तक जाना पड़ता है। बच्चों की प्री स्कूलिंग के लिए उन्हें घर से आंगनवाड़ी केंद्र तक और केंद्र से घर तक छोड़ना होता है। इन सभी तरह के काम करने के लिए शारीरिक फिटनेस जरूरी है। इसी वजह से महिला को आंगनवाड़ी की नौकरी के लिए अयोग्य पाया गया।

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