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गुजरात हाईकोर्ट का आदेश- मास्क न पहनने वाले कोविड सेंटर्स में करेंगे सेवा, सरकार ने खड़े किए हाथ

गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जो भी व्यक्ति बिना मास्क के पकड़ा जाता है, उससे राज्य में मौजूद कोविड सेंटर्स और हॉस्पिटल में सेवा कराई जाए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 02, 2020 12:28 IST
covid19- India TV Hindi
Image Source : AP covid19

गुजरात हाईकोर्ट का एक आदेश सरकार के लिए मुसीबत बन गया है। कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार ने मास्क पहनने को अनिवार्य बना दिया है। इस पर एक कदम आगे बढ़ते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जो भी व्यक्ति बिना मास्क के पकड़ा जाता है, उससे राज्य में मौजूद कोविड सेंटर्स और हॉस्पिटल में सेवा कराई जाए। इसके लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से नोटिफिकेशन जानी करने के लिए कहा है। 

हाईकोर्ट के इस निर्देश से गुजरात सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुजरात सरकार ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इस पर नजर रखना बहुत कठिन है कि मास्क नहीं पहनने के लिए दंडित किए जाने वाले लोगों ने क्या कोविड-19 देखभाल केंद्रों में सामुदायिक सेवा की। महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि इस पर नजर रखना काफी मुश्किल है कि लोग निर्देश के मुताबिक सामुदायिक सेवा करेंगे या नहीं। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने गुजरात में कोरोना वायरस की स्थिति पर पिछले दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। 

पीठ ने मास्क नहीं पहनने के लिए कई बार पकड़े जा चुके लोगों को कोविड-19 देखभाल केंद्र में सामुदायिक सेवा के लिए भेजने के एक प्रस्ताव पर सरकार का जवाब मांगा था। वकील विशाल अवतानी ने जनहित याचिका दायर की थी। महाधिवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे पास यह देखने के लिए ऐसा तंत्र होना चाहिए जिससे पता लगे कि लोग सामुदायिक सेवा के लिए गए या नहीं । इस कार्य पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त कर्मियों को लगाना होगा। इसमें बहुत समय लगेगा। ’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने सख्त निगरानी की व्यवस्था की है और मास्क पहनने पर जोर दे रही है। 

अदालत ने कहा कि राज्य के निवेदन पर गौर करने के बाद वह बुधवार को इस पर आदेश जारी करेगी। न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि एक सप्ताह बाद महामारी की स्थिति सुधरने या बिगड़ने पर नहीं, बल्कि अभी फैसला करना जरूरी है। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि केवल जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा । उन्होंने कहा कि विचार का मकसद लोगों को नियम का उल्लंघन करने से रोकना है।

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