राजकोट के टीआरपी गेम जोन में 25 मई को लगी भीषण आग के लिए इसके संचालकों के साथ-साथ राजकोट नगर निगम (आरएमसी), शहर पुलिस और सड़क एवं भवन विभाग के अधिकारियों की ‘गंभीर लापरवाही’ जिम्मेदार थी। गुजरात सरकार द्वारा इस त्रासदी की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने यह जानकारी दी। इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई थी। एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा कि टीआरपी गेम जोन के संचालकों ने यह जानते हुए भी कि निर्माण सामग्री अत्यधिक ज्वलनशील है, वहां प्रस्तावित ‘स्नो पार्क’ के निर्माण के लिए वेल्डिंग का काम किया।
एसआईटी की यह रिपोर्ट सोमवार को राज्य सरकार ने उस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दाखिल हलफनामे में संलग्न की है। गुजरात उच्च न्यायालय पूरे प्रकरण पर स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। एसआईटी ने 27 मई को गुजरात सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि गेमिंग जोन का बुनियादी ढांचा आग की आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयार नहीं था। एसआईटी रिपोर्ट में बताया गया है कि अलग-अलग प्रवेश और निकास मार्गों के बजाय, दोनों के लिए केवल एक ही रास्ता था और आपातकालीन निकास के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं थी।
पांच सदस्यीय टीम ने की जांच
सरकार ने अपर पुलिस महानिदेशक सुभाष त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था और उसे घटना के 72 घंटे के भीतर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसमें कहा गया है, ‘‘यह जानते हुए भी कि गेमिंग जोन के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री अत्यधिक ज्वलनशील है, बिना किसी सुरक्षा एहतियात के, वेल्डिंग का काम (प्रस्तावित स्नो पार्क के लिए) चल रहा था।’’ एसआईटी ने बताया कि घटनास्थल से एक वेल्डिंग मशीन और प्रयुक्त वेल्डिंग रॉड बरामद की गई। इसमें कहा गया है कि वेल्डिंग मशीन के आसपास और मलबे में फोम शीट के पूरे और आधे जले हुए टुकड़े तथा टायर के अवशेष भी पाए गए।
पुलिस अधिकारी भी लापरवाह
रिपोर्ट में कहा गया है कि आग बुझाने के लिए लगाए गए पाइप में पानी का कोई कनेक्शन नहीं दिया गया था, तथा मौके से केवल एक सूखा रासायनिक पाउडर भरा अग्निशामक सिलेंडर मिला, जिसका उपयोग पहले रेस्तरां और रसोईघर में किया जाता था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘छत के बाहर, गो-कार्ट कार का ईंधन टैंक सही सलामत पाया गया और ईंधन की मौजूदगी भी स्पष्ट थी।’’ एसआईटी ने गुजरात पुलिस अधिनियम के तहत गेमिंग जोन को लाइसेंस जारी करने में पुलिस अधिकारियों की ओर से ‘‘गंभीर लापरवाही’’ को भी उजागर किया, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है।
नगर निगम भी जिम्मेदार
एसआईटी ने कहा कि उक्त अधिकारियों ने इस तथ्य की उपेक्षा की कि ऐसे लाइसेंस प्रदान करते समय अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, क्योंकि उस स्थान पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। इसमें कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों ने अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र का सत्यापन भी नहीं किया। एसआईटी ने यह भी कहा कि राजकोट नगर निगम का नगर नियोजन और अग्निशमन विभाग इस घटना से ‘सीधे तौर पर जुड़ा हुआ’ है। एसआईटी ने कहा, ‘‘टीआरपी गेम जोन तीन साल से अधिक समय से चल रहा था और इसमें पक्का निर्माण भी हुआ था। हालांकि, इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और अस्थायी ढांचे के बहाने इसे खुली छूट दी गई।’’
11 लोगों को बनाया आरोपी
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘चूंकि यह स्थान गैर-कृषि भूमि है और इसका उपयोग आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, इसलिए इस पर गेमिंग जोन जैसी व्यावसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकतीं।’’ इसमें कहा गया है कि इसके बावजूद स्थानीय सहायक नगर नियोजन अधिकारी और सहायक अभियंता ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में गंभीर लापरवाही बरती। सरकार ने एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सात अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। पुलिस ने अब तक इस मामले में 11 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें गेम जोन के छह साझेदार और अन्य लोग शामिल हैं जिनके नाम जांच के दौरान सामने आए। इनमें से नौ को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि एक आरोपी प्रकाश हिरन उसी आग में मृत पाया गया।