गुजरात: हाई कोर्ट ने 17 साल की एक लड़की द्वारा सात महीने के गर्भ को गिराने की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गुरुवार को मौखिक रूप से कहा कि पहले लड़कियों की शादी 14-15 साल की उम्र में हो जाती थी और वे 17 साल की उम्र में मां बन जाती थीं। ये अजीबोगरीब टिप्पणी कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की रेप पीड़िता को लेकर कहीं, जिसके गर्भ के सात महीने बीत जाने के बाद उसके पिता को उसके गर्भवती होने का पता चला। इसके बाद उसने कोर्ट में याचिका दायर कर लड़की की उम्र को देखते हुए भ्रूण का मेडिकल गर्भपात कराने की मांग की।
कोर्ट ने कहा-मनुस्मृति जरूर पढ़ें
जैसा कि वकील ने गर्भपात के लिए दबाव डाला, न्यायमूर्ति समीर जे दवे ने कहा, "पुराने समय में, लड़कियों के लिए 14-15 साल की उम्र में शादी करना और 17 साल की उम्र से पहले बच्चा पैदा करना सामान्य बात थी... आप इसे नहीं पढ़ेंगे, लेकिन इसके लिए एक बार मनुस्मृति जरूर पढ़ें।
नाबालिग लड़की के पिता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिकंदर सैयद ने जल्द सुनवाई के लिए अदालत से अपील की क्योंकि डिलीवरी की संभावित तारीख 18 अगस्त थी। अदालत ने, हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया कि अगर दोनों भ्रूण और बच्ची की हालत ठीक है।
कोर्ट ने दिया मेडिकल टेस्ट कराने का आदेश
कोर्ट ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराने का आदेश दिया है। अदालत ने राजकोट के सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को सिविल अस्पताल के डॉक्टरों के पैनल के माध्यम से तत्काल आधार पर नाबालिग लड़की की मेडिकल जांच कराने का भी निर्देश दिया है।
अब मेडिकल जांच होने के बाद डॉक्टरों के पैनल के अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद ही अदालत इस याचिका पर फैसला लेगी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 जून को तय की है। कोर्ट के इस अहम फैसले पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।
इनपुट-भाषा
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