गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने सूरत शहर के बाहरी इलाके में एक ‘मेफेड्रोन’(मादक पदार्थ) निर्माण इकाई का भंडाफोड़ कर 51.4 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ और कच्चा माल जब्त किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि चार किलोग्राम मेफेड्रोन और 31.4 किलोग्राम कच्चा माल बरामद किया गया। एटीएस ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इस सिलसिले में सुनील यादव, विजय गजेरा और हरेश कोराट को गिरफ्तार किया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया कि जांच में पाया गया कि तीनों ने सूरत जिले के पलसाना तालुका के करेली गांव में 20,000 रुपये मासिक पर एक औद्योगिक इकाई किराए पर ली हुई थी, जहां वे विभिन्न सामग्री का उपयोग करके मेफेड्रोन बनाने थे। विज्ञप्ति में कहा गया कि एटीएस अधिकारियों को हाल ही में सूचना मिली कि यादव, गजेरा और कोराट करेली स्थित इकाई में मेफेड्रोन बनाने और उसे मुंबई निवासी सलीम सैयद को बेचने में संलिप्त हैं।
बुधवार को कई जगहों पर छापेमारी
विज्ञप्ति में बताया गया कि सूचना के बाद एटीएस की एक टीम ने बुधवार रात करेली के दर्शन औद्योगिक क्षेत्र में इकाई पर छापा मारा और यादव तथा गजेरा को मौके से गिरफ्तार कर लिया, जबकि कोराट को तड़के जूनागढ़ में एक स्थान से गिरफ्तार किया गया। विज्ञप्ति में बताया गया कि एटीएस ने छापेमारी के बाद इकाई को सील कर दिया, जहां से चार किलोग्राम मेफेड्रोन और 31.4 किलोग्राम कच्चा माल बरामद किया गया, जिसकी कीमत 51.4 करोड़ रुपये है।
क्या है मेफेड्रोन?
मेफेड्रोन कोई दवा नहीं है। इसका उपयोग पौधों के लिए बनी सिथेंटिक खाद के रूप में किया जाता है। हालांकि इसका सेवन करने से हेरोइन और कोकीन से भी ज्यादा नशा होता है। वहीं इन दोनों की ड्रग्स के मुकाबले यह काफी कम कीमत में मिल जाता है। यही वजह से कि लोग इन नशे की चपेट में आते जा रहे हैं। इस ड्रग्स के सेवन से खासकर शहर के युवा प्रभावित हो रहे हैं। (इनपुट- पीटीआई भाषा)
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