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डॉक्टर ने पथरी की जगह निकाल दी किडनी, अस्पताल को मुआवजे के तौर पर देना होगा 'मोटा हर्जाना'

अस्पताल की लापरवाही के बाद उनकी मौत के बाद देवेंद्र भाई की विधवा मीना बेन ने नडियाद में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिसने 2012 में चिकित्सक, अस्पताल और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को चिकित्सा लापरवाही के लिए विधवा को 11.23 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 19, 2021 12:35 IST
doctor removes patients kidney instead of stone now hospital have to pay heavy fine डॉक्टर ने पथरी क- India TV Hindi
Image Source : PTI डॉक्टर ने पथरी की जगह निकाल दी किडनी, अस्पताल को मुआवजे के तौर पर देना होगा 'मोटा हर्जाना'

अहमदाबाद. गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक अस्पताल पर मरीज का गलत इलाज करने के कारण जुर्माना लगाया है। ये मरीज किडनी से पथरी निकलवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ था लेकिन अस्पताल में डॉक्टर ने उसकी किडनी ही निकाल दी, जिसके चार महीने बाद मरीज की मौत हो गई। आयोग ने अस्पताल को ₹11.23 लाख मुआवजे के तौर पर मरीज के परिजन को देना का फरमान सुनाया है।

उपभोक्ता अदालत ने माना कि अस्पताल के अपने कर्मचारी (इस मामले में ऑपरेटिंग डॉक्टर) की लापरवाही के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दायित्व है। अदालत ने पाया कि अस्पताल न केवल अपने स्वयं के कार्यों और चूक के लिए जिम्मेदार है बल्कि अपने कर्मचारियों की गलती और चूक के लिए भी जिम्मेदार है। उपभोगता अदालत ने अस्पताल को 2012 से 7.5% ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात से सामने आए इस मामले में, खेड़ा जिले के वंघरोली गांव के देवेंद्रभाई रावल ने कमर दर्द और यूरिन पास करने में दिक्कत होने पर बालासिनोर कस्बे के केएमजी जनरल अस्पताल के डॉ. शिवुभाई पटेल से सलाह ली। मई 2011 में, उनके बाएं गुर्दे में 14 मिमी के पत्थर का पता चला था। रावल को बेहतर सुविधा के लिए दूसरे अस्पताल जाने की सलाह दी गई, लेकिन उन्होंने उसी अस्पताल में सर्जरी कराने का फैसला किया। 3 सितंबर 2011 को उनका ऑपरेशन किया गया था।

ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर ने कहा कि स्टोन की जगह किडनी निकालनी पड़ी तो उनके परिजन हैरान रह गए। डॉक्टर ने कहा कि यह मरीज के सर्वोत्तम हित में किया गया था। जब देवेंद्रभाई रावल को यूरिन पास करने में अधिक समस्या होने लगी, तो उन्हें नडियाद के एक किडनी अस्पताल में शिफ्ट करने की सलाह दी गई। बाद में जब उनकी हालत और बिगड़ी तो उन्हें अहमदाबाद के आईकेडीआरसी ले जाया गया। उन्होंने 8 जनवरी, 2012 को गुर्दे की जटिलताओं के कारण दम तोड़ दिया।

अस्पताल की लापरवाही के बाद उनकी मौत के बाद देवेंद्र भाई की विधवा मीना बेन ने नडियाद में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिसने 2012 में चिकित्सक, अस्पताल और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को चिकित्सा लापरवाही के लिए विधवा को 11.23 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। विवाद को सुनने के बाद, राज्य आयोग ने पाया कि अस्पताल में इनडोर और आउटडोर रोगियों के लिए बीमा पॉलिसी थी, लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टर द्वारा चिकित्सा लापरवाही के लिए बीमाकर्ता उत्तरदायी नहीं था। सर्जरी सिर्फ किडनी से स्टोन निकालने के लिए थी और स्टोन को हटाने के लिए ही सहमति ली गई थी, लेकिन किडनी को हटा दिया गया था। इस प्रकार, यह डॉक्टर और अस्पताल की ओर से लापरवाही का एक स्पष्ट मामला है।

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