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धोरड़ो, जिसे मिला UNWTO द्वारा बेस्ट टूरिज्म विलेज का अवार्ड, पीएम मोदी का इससे है खास लगाव

धोरड़ो और गुजरात में टूरिज़्म के ब्रांड प्रमोशन के लिए वो अमिताभ बच्चन को ही ले आये और उस कैम्पेन से खुशबु गुजरात की ऐसी फैली की पिछले 10 -12 सालों में गुजरात आने वाले टूरिस्ट की संख्या में भारी उछाल आया है।

Reported By: Nirnay Kapoor @@nirnaykapoor
Published : Oct 21, 2023 10:25 IST, Updated : Oct 21, 2023 10:25 IST
नरेंद्र मोदी
Image Source : TWITTER नरेंद्र मोदी

धोरड़ो: धोरड़ो को UNWTO द्वारा बेस्ट टूरिज्म विलेज का अवार्ड मिलने पर आज पूरा देश गौरवान्वित है। लेकिन आपको बता दूं की कुछ महीने पहले जिस धोरड़ो में G-20 जे पर्यटन ग्रुप की सफल बैठक हुई, आज से करीब डेढ़  दशक पहले तक उसी धोरड़ो के बारे में कोई नहीं जानता था। साल 2007 में पहली बार गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री  नरेंद्र मोदी ने ही दुनिया को धोरड़ो के पास स्थित सफ़ेद रण से परिचित करवाया। तब जाकर लोगों को पता चला की गुजरात के ग्रेटर रण में कोई इतनी सुंदर जगह भी है जो पूनम की रात में हीरे-मोतियों की तरह जगमगा उठती है। 27 साल से गुजरात में रिपोर्टिंग कर रहा हूं यकीन मानिये मुझे या मेरे किसी कंटेम्प्ररी पत्रकार कोई भी इस अद्भुत जगह के बारे में तभी पता चला।

कच्छ के साथ मोदी का एक अलग प्रकार का लगाव 

वैसे तो मोदी एक मात्र ऐसे नेता हैं जो गुजरात के हर गांव में व्यक्तिगत रूप से घूम चुके हैं पर कच्छ के साथ मोदी का एक अलग प्रकार का लगाव रहा है। शायद इसलिए भी की वो जब 2001 में  मुख्यमंत्री बने तब कच्छ भीषण भूकंप की त्रासदी से उबर रहा था। आपको जानकार आश्चर्य होगा की मुख्यमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी अब तक लगभग 95 बार कच्छ विज़िट कर चुके हैं। इनमे से एक विज़िट ऐसी थी जो धोरड़ो के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। मुझे वहीं के एक गांव वाले ने बताया था की मोदी जी को शायद दूसरे रण उत्सव के दौरान काला डूंगर से "सफ़ेद रण" की कुछ ऐसी झलक दिखी की उन्होंने तय कर लिया की इस सफ़ेद रण को ऐसे प्रोजेक्ट करना है की हर कोई इसे देखने की इच्छा रखे। इसीलिए रण उत्सव को वेकारिया के रण से धोरड़ो के सफ़ेद रण में शिफ्ट किया गया (यहां बताता चलूं कि कच्छ में पर्यटन के विकास के लिए 2005 से नरेंद्र मोदी ने रण उत्सव शुरू किया था बाद में उसे धोरड़ो में शिफ्ट किया गया ) 

नरेंद्र मोदी अपने विज़न को लेकर हमेशा की तरह थे एकदम क्लियर

कहानी यहां पर खत्म नहीं होती बल्कि यहां से शुरू होती है। जैसा की नरेंद्र मोदी की हर योजना के साथ होता है, उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। फिर कुछ सालों बाद उसके पॉज़िटिव रिज़ल्ट्स देख कर लोगों को एहसास होता है उस योजना के असली पोटेंशियल्स का। ऐसा ही कुछ यहां भी हुआ। शुरू में लोगों ने कहा इतनी रिमोट और वीरान जगह पर कौन जायेगा? फैसिलिटीज़ कहां हैं? साल में 6-6 महीने तो यहां पानी भरा रहता है वगैरह वगैरह। पर नरेंद्र मोदी अपने विज़न को लेकर हमेशा की तरह एकदम क्लियर थे। उन्हें पता होता है की वो क्या कर रहे हैं और वो फिर उस विषय को पकड़ कर उसमे जुट जाते हैं।

उस योजना को वो खुद बैक करते हैं (अब सोचिये 2015 में नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के बहार पाकिस्तान बॉर्डर के इस गाँव में DG कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की ) सबसे बड़ी बात हमेशा आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचते हैं। धोरड़ो और गुजरात में टूरिज़्म के ब्रांड प्रमोशन के लिए वो अमिताभ बच्चन को ही ले आये और उस कैम्पेन से खुशबु गुजरात की ऐसी फैली की पिछले 10 -12 सालों में गुजरात आने वाले टूरिस्ट की संख्या में भारी उछाल आया है। सिर्फ पब्लिसिटी ही नहीं बल्कि उसी प्रकार से फैसिलिटीज़ भी बढ़ीं नए अट्रैक्शंस भी शामिल हुए। लेटेस्ट एडिशन जैसे की स्टेचू ऑफ़ यूनिटी और सीमा दर्शन प्रोजेक्ट अपने आप में बेमिसाल हैं।  

बेहतरीन प्लान ने बनाया इसे सर्वश्रेष्ठ 

एक तरफ ब्रांडिंग चल रही थी और दूसरी तरफ ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा था की लोग टेंट सिटी के बारे में कुछ और सोच कर आते हैं और उन्हें यहां आकर उन्हें टेंट्स में मॉर्डन एमिनिटीज के कम्फर्ट के साथ लुक एन्ड फील में जिस रॉयल्टी का एहसास होता है। वो एक अलग ही ज़ोन में चले जाते हैं और आस पास सफ़ेद रण की वो कम्प्लीट नथिंगनेस पुरे अनुभव को एक अलग लेवल पर के जाती है। सबसे बड़ी बात कच्छ के आर्ट फॉर्म्स का शॉपिंग एक्सपीरिएंस, सब कुछ ऐसे स्क्रिप्ट किया गया है, जैसे आप फ्लो में बहते जा रहे हों। ये तो हुआ एक पर्यटक का नजरिया, अब इसे लोकल इकोनॉमी और सामाजिक नज़रिये से देखें-

पाकिस्तान बॉर्डर के इस गांव के आस पास के पूरे इलाके के लोगों को कितना रोज़गार मिला है। टूरिज़्म की वजह से कच्छ के आर्ट फॉर्म को कितना बड़ा मार्केट मिला है। कच्छ जिले के धोरड़ो गांव को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अंकित करने का श्रेय यदि किसी एक व्यक्ति को जाता है तो वो हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। इसलिए नहीं की वो देश के प्रधानमंत्री हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि दो दशकों के उनके अविरत प्रयासों ने धोरड़ो को #AmazingDhordo बना दिया है। मैं जिम्मेदारी से कह रहा हूं क्योंकि मैंने धोरड़ो BEFORE MODI और धोरड़ो AFTER MODI बड़े करीब से देखा है।

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