गुजरात के साबरकांठा जिले में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से चार बच्चों की मौत हो गई और दो अन्य का उपचार जारी है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। दोनों बच्चे जिले के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे गंभीर एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) होता है। यह वायरस रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है। यह मच्छरों, बालू मक्खियों, कीट-पतंगों द्वारा फैलता है। बच्चों को इस वायरस से बचाने की उपाय ठीक वैसे हैं, जैसे मलेरिया से बचने के होते हैं। घर में और आस-पास सफाई रखना जरूरी है और बच्चों को मच्छर या मक्खी के संपर्क में न आने दें। मच्छरदानी के अंदर ही बच्चे को सुलाएं।
साबरकांठा के मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी राज सुतारिया ने बताया कि सभी छह बच्चों के रक्त के नमूने की पुष्टि के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भेजे गए हैं और उनके नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हिम्मतनगर सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों को 10 जुलाई को चार बच्चों की मौत के बाद चांदीपुरा वायरस की भूमिका पर संदेह हुआ था।
दो बच्चों में संक्रमण का डर
सुतारिया ने बताया कि अस्पताल में भर्ती दो अन्य बच्चों में भी इसी तरह के लक्षण दिखे हैं। वे भी इसी वायरस से संक्रमित लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक जिन चार बच्चों की मौत हुई है, उनमें से एक साबरकांठा जिले का था और दो पड़ोसी अरावली जिले के थे। एक बच्चा राजस्थान का था। उन्होंने बताया कि अस्पताल में इलाज करा रहे दोनों बच्चे भी राजस्थान के हैं। सुतारिया ने बताया कि राजस्थान के अधिकारियों को संदिग्ध वायरल संक्रमण के कारण बच्चे की मौत के बारे में सूचित कर दिया गया है।
मक्खियां मारने में जुटा प्रशासन
सुतारिया ने कहा, ‘‘हमने चार मृत बच्चों के नमूने समेत सभी छह नमूने पुणे स्थित एनआईवी को भेज दिए हैं।’’ अधिकारियों ने बताया कि संक्रमण को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में बालू मक्खियों (सैंड फ्लाई) को मारने के लिए निवारक उपाय को लेकर टीम तैनात की हैं। (इनपुट- पीटीआई भाषा)
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