साबरकांठा सहित पूरे गुजरात में चांदीपुरा वायरस लगातार फैलता जा रहा है। साबरकांठा के हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में चांदीपुरा के आठ संदिग्ध मामले दर्ज किए गए हैं। आठ में से पांच मरीजों की मौत हो चुकी है। मृतकों में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण होने की आशंका पर अस्पताल प्रबंधन सैंपल जांच के लिए भेजे हैं। इन सैंपल के नतीजे सोमवार को ही सामने आएंगे। 1956 में चांदीपुरा नामक वायरस पूरे देश में फैल गया था। सालों बाद फिर से चांदीपुरा वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
गुजरात में अब तक इस वायरस के संक्रमण के 17 मामले सामने आ चुके हैं। साबरकांठा के हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में चांदीपुरा के आठ संदिग्ध सामने आए हैं। पांच मरीजों की मौत से पूरे प्रशासन की नींद उड़ गई है। जिन जगहों पर इस वायरस के मरीज पाए गए हैं। वहां से पांच से सात किलोमीटर की दूरी के भीतर फॉगिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस वायरस का संक्रमण मच्छर, मक्खियों सहित अन्य कीड़ों के जरिए फैलता है। ऐसे में सफाई अभियान के अलावा इस वायरस के संक्रमण के लिए जिम्मेदार कीट को मारने के प्रयास किए जा रहे हैं।
क्या हैं लक्षण?
चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे गंभीर एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) होता है। यह वायरस रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है। यह मच्छरों, बालू मक्खियों, कीट-पतंगों द्वारा फैलता है। हिम्मतनगर सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों को 10 जुलाई को चार बच्चों की मौत के बाद चांदीपुरा वायरस की भूमिका पर संदेह हुआ था। अस्पताल में भर्ती अन्य बच्चों में भी इसी तरह के लक्षण दिखे हैं। वे भी इसी वायरस से संक्रमित लग रहे हैं। अब तक जिन चार बच्चों की मौत हुई है, उनमें से एक साबरकांठा जिले का था और दो पड़ोसी अरावली जिले के थे। एक बच्चा राजस्थान का था।
(साबरकांठा से महेंद्र प्रसाद की रिपोर्ट)
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