Thursday, November 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. गुजरात
  3. दादा का दम: भूपेंद्र पटेल सरकार के दमदार 'तीन साल', गुजरात में विकास को दी एक नई दिशा

दादा का दम: भूपेंद्र पटेल सरकार के दमदार 'तीन साल', गुजरात में विकास को दी एक नई दिशा

गुजरात में भूपेंद्र पटेल सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं। भूपेंद्र पटेल सरकार ने गुजरात में अभूतपूर्व काम किया है। पिछले तीन सालों में शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था में अचूक परिवर्तन देखने को मिला है।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Dhyanendra Chauhan Updated on: September 13, 2024 18:51 IST
गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO-PTI गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल

गुजरात में भूपेंद्र पटेल सरकार को आज तीन साल पुरे हो रहे हैं। मुझे अच्छी तरह याद है की जब 11 सिंतबर 2021 को मिली विधायकों की बैठक में उनका नाम गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर घोषित किया गया तो शायद ही गुजरात में कोई यकीन कर पा रहा था की वो गुजरात के अगले मुख्यमंत्री होंगे, शायद खुद उन्हें अपना नाम सुन कर विश्वास नहीं हो रहा था। उस पर उनकी कैबिनेट में तमाम नए मंत्री रखे गए थे।

गुजरात के विकास को नई दिशा दी

लोगों को लगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये एक्सपेरिमेंट फेल हो जाएगा पर जो लोग प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली के बारे में थोड़ा बहुत भी जानते हैं। उन्हें पता है की वो जिसे भी किसी टास्क के लिए चुनते हैं। उसे पूरी तरह सपोर्ट करते हैं और मार्गदर्शन भी देते हैं।  उसका परिणाम आज गुजरात की जनता के सामने है। मैं ये नहीं कह रहा की बीते तीन सालों में कोई कमी नहीं रही होगी पर कई ऐसे फ्यूचरिस्टिक निर्णय भी लिए गए जिन्होंने गुजरात के विकास को एक नई दिशा दी है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव

अगर शुरुआत से देखें तो कोरोना की महामारी से उबर रहे गुजरात के सामने सबसे बड़ा चैलेंज था वैक्सीनेशन के टारगेट को तेजी से पूरा करने का जो उनकी सरकार ने इफेक्टिवली पूरा किया। इतना ही नहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले तीन सालों में आयुष्मान कार्ड धारकों  की संख्या बढ़ा कर 2.6 करोड़ तक पहुंचाई। करीब 1.15 करोड़ विद्यार्थियों को डिजिटल हेल्थ कार्ड दिए गए। राज्य में फ्री डायलिसिस की सुविधा वाले 188 सेंटर्स बनवाए गए।

ड्रग्स के खिलाफ मुहिम में 2700 गिरफ्तार

पिछले तीन सालों में ड्रग्स के खिलाफ सबसे बड़ी मुहीम के तहत अब तक 9680 करोड़ रुपये के ड्रग्स पकडे गए हैं, जिसका वॉल्यूम होगा करीब 90 हज़ार किलो और करीब 2700 लोग गिरफ्तार किये गए हैं। ये वो तथ्य हैं जिन्हे कोई नकार नहीं सकता है।

इसके अलावा एक और बड़ी उपलब्धि है, महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में स्पीडी जस्टिस की व्यवस्था करवाना। क्या कभी कोई सोच भी सकता है की एक बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के केस में महज 9 दिनों में ही चार्जशीट फाइल हो सकती है लेकिन ये हुआ। पिछले दिनों ही वलसाड पुलिस ने ये करके दिखाया। इसके अलावा अगर आंकड़े देखें तो पता चलेगा की ऐसे मामलों में कन्विक्शन कितना बढ़ा है। 

  • 2021 में 71 अपराधियों को सजा हुई थी 
  • 2022 में 92 अपराधियों को सजा हुई 
  • 2023 में 265 अपराधियों को सजा हुई 
  • जबकि 2024 में 31 अगस्त तक ही 267 अपराधियों को सजा हो चुकी है 
  • इतना ही नहीं ट्रायल में भी तेजी आई है। 2022 में भावनगर के नाबालिग से रेप के मामले में मात्र 24 घंटे में चार्जशीट हुई। 52 दिन में अपराधी को उम्रकैद की सजा हुई। 
  • सूरत के कामरेज में 21 वर्षीय महिला की हत्या के केस में 9 दिन में चार्जशीट हुई। 82 दिन में फैसला आया। जिसमें अपराधी को फांसी की सजा सुनाई गई।
  • गुजरात पुलिस सिर्फ 20 दिन में साइबर फ्रॉड का शिकार बने करीब 2.58 बैंक खातों को अनफ्रीज करना इस सरकार का सबसे प्रैक्टिकल निर्णय रहा है। 
  • पाकिस्तान से सटी गुजरात की कोस्ट लाइन पर पिछले दो सालों से जिस प्रकार से अवैध निर्माण हटा कर उस रीजन को सैनेटाइज़ करने का काम चल रहा है, वो शायद इस सरकार  की सबसे महत्वपूर्ण ड्राइव रही है।

मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली से सीखते हुए औद्योगिक और सामाजिक क्षेत्र में आज गुजरात एक पॉलिसी ड्रिवन स्टेट के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है। पिछले 3 नए इमर्जिंग क्षत्रों के विकास के लिए भूपेंद्र पटेल प्रशासन ने 11 नई पॉलिसीज डिक्लेयर की हैं।

  1.  गुजरात आत्मनिर्भर पॉलिसी 
  2.  ⁠गुजरात बिओटेक्नोलॉजी पॉलिसी 
  3. न्यू गुजरात IT पॉलिसी 
  4. गुजरात स्पोर्ट्स पॉलिसी 
  5. ड्रोन पॉलिसी 
  6. गुजरात सेमीकंडक्टर पॉलिसी 
  7. गुजरात रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी 
  8. ⁠सिनेमेटिक टूरिजम पॉलिसी 
  9. ⁠स्टूडेंट स्टार्ट-अप एंड इनोवेशन पॉलिसी 
  10. गुजरात परचेज पॉलिसी 
  11. गुजरात ग्रीन हाइड्रोकार्बन पॉलिसी 

पिछले तीन सालों में गुजरात सनशाइन सेक्टर्स जैसे सेमीकंडक्टर के मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर तथा 31 अगस्त तक 29.13 GW रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन के साथ रिन्यूएबल एनर्जी हब के तौर पर भी अपने आप को विकसित कर रहा है। कच्छ में आकार ले रहे विश्व के सबसे बड़े RE PARK के पूरा कमीशन होने के बाद ये कैपेसिटी दुगुनी से ज्यादा हो जाएगी।  शिक्षा के क्षेत्र में भी कई प्रोग्रेसिव कदम उठाए गए हैं। खास तौर पर कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए और उसके परिणाम भी मिल रहे हैं। 

  1.  प्राथमिक शिक्षा में (कक्षा 1 से 5) छात्राओं की ड्रॉपआउट दर जो वर्ष 2001-02 में 20.53 फीसदी थी, वह वर्ष 2022-23 में घटकर 1.31 फीसदी रह गई है।
  2. ⁠व्हाली दीकरी योजना के तहत 2 लाख से अधिक बेटियों को मिली शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता- इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा बेटी के 18 वर्ष की होने तक चरणबद्ध तरीके से 1,10,000 रुपए की सहायता दी जाती है। इस योजना की शुरुआत से वर्ष 2024 तक 2,37,012 बेटियों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। लाभार्थी बेटियों को इस योजना का लाभ अगले साल 2025 से मिलने लगेगा।
  3. बेटियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए ‘नमो लक्ष्मी’ योजना की शुरुआत- मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य में कक्षा 9 से 12 में पढ़ने वाली लड़कियों को चार सालों के दौरान 50,000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए इस वर्ष ‘नमो लक्ष्मी योजना’ लागू की है।
  4. ⁠कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) के जरिए कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन- केजीबीवी में लड़कियों के लिए कक्षा 6 से 12 तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था के साथ ही उनके निःशुल्क रहने, भोजन, जीवन कौशल विकास प्रशिक्षण, आत्मरक्षा और खेलों के प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान कर लड़कियों का सर्वांगीण विकास किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत साल 2023-24 तक कुल 249 केजीबीवी संचालित थे। इसमें उन उन लड़कियों पर खास फोकस किया जाता है जिन्होंने किसी भी कारण से ड्रॉप आउट के लिया हो।
  5. बेटियों को मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सहायता के लिए मुख्यमंत्री कन्या केलवणी निधि योजना-वर्ष 2017-18 में योजना के शुरू होने से लेकर अब तक राज्य ने 19,776 तेजस्वी छात्राओं को 573.50 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है। इस योजना के अंतर्गत साल 2023-24 में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली 4982 छात्राओं को 171.55 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है।

भूपेंद्र पटेल और उनके मंत्रिमंडल को राजनैतिक हलकों में हमेशा फर्स्ट टाइमर्स कह कर नाकारा जाता रहा पर जिस तरह इस एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रोग्रेसिव निर्णय लिए हैं। उसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

  1.  सबसे इम्पोर्टेंट था 2022 में सिर्फ तीन महीने की तैयारी के बाद गुजरात में राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन। किन्हीं कारणों से गोवा से राष्ट्रीय खेलों को शिफ्ट करके गुजरात लाना पड़ा था और इन फर्स्ट टाइमर्स ने कर दिखाया। 
  2. 2022 के चुनावों में भूपेंद्र पटेल और CR PATIL ने मिलकर BJP को गुजरात में अब तक की सबसे बड़ी जीत भी दिलवाई। 
  3. GIFT CITY में ग्लोबल बिजनेस एनवायरमेंट को प्रमोट करने के लिए लीकर पॉलिसी में चेंजेज एक डाइनैमिक सोच का संकेत देते हैं। 
  4. 2023 में जिस प्रकार से Zero casualty के साथ Biporjoy चक्रवात को इन फर्स्ट टाइमर्स द्वारा हैंडल किया गया वो अपने आप में एक मिसाल बन गया। 

लोकल पॉलिटिक्स हावी

मैं देख रहा हूं, इन दिनों वड़ोदरा में आई बाढ़ की हैंडलिंग को लेकर मौजूदा गुजरात सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। मैं पहले भी लिख चूका हूँ। वड़ोदरा में प्रशासन ने फ्लड मैनेजमेंट की तमाम उपाए किए और उसके तथ्य भी रख चूका हूं. तो फिर ये परसेप्शन ऐसा क्यों बना की वड़ोदरा में कुछ भी काम नहीं हुआ ? इसके लिए वड़ोदरा की लोकल पॉलिटिक्स और BJP के लोकल नेता जिम्मेदार हैं।  जिनके ऐरोगेना ने किए कराए पर पानी फेर दिया है।

सरकार के सामने चुनौतियां

161 MLA वाली भूपेंद्र पटेल सरकार के सामने आने वाले दिनों में सबसे बड़ी चुनौती ही यही रहने वाली है। जनता ने उन्हें इतना ताकतवर बना तो दिया पर उसकी अपेक्षाएं भी उतनी ही बढ़ गईं हैं। आप सब की सब अपेक्षाएं एक साथ पूरी कर भी नहीं पाएंगे पर नीचले स्तर पर नेताओं के एरोगेंस को कंट्रोल करना सबसे जरूरी है।

पहली जिम्मेदारी प्रशासन के प्रति लोगों का परसेप्शन बदलना

आज लोग गुजरात में यही कह रहे हैं की भूपेंद्र दादा और उनके मंत्री तो बहुत अच्छे हैं पर छोटे नेताओं का पब्लिक से कनेक्ट खत्म होता जा रहा है। भूपेंद्र पटेल तो सरल और मृदु स्वाभाव के हैं उनके लोकल नेताओं में एरोगेंस बहुत आ गया है?  जब आप 161 सीट के साथ रूल कर रहे होते हैं तब विपक्ष की गैरमौजूदगी में ये परसेप्शन डेवलप होना बहुत ही नैचुरल है। बस जरुरत है की मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कुछ ऐग्रेसिवली संगठन के मुद्दों पर भी अपनी राय रखें। हमने अब तक देखा की मुख्यमंत्री बनने के बाद भी भूपेंद्र पटेल एक कार्यकर्ता के रूप में ही पार्टी की मीटिंग्स अटेंड करते दिखे। खैर जिन परिस्थितियों में उन्होंने गुजरात की कमान संभाली थी उनकी पहली जिम्मेदारी प्रशासन के प्रति लोगों का परसेप्शन बदलना था, जिसमें वो कामयाब भी हुए।

जिले के पदाधिकारियों से बैठक कर रहे सीएम पटेल

वहीं, संगठन भी पाटिल की देख रेख में अच्छी तरह रीऑर्गेनाइज हो रहा था। अब पाटिल भी दिल्ली चले गए हैं यानी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नया चेहरा आएगा ही। इसलिए भी भूपेंद्र पटेल की संगठन के प्रति जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। वैसे पता चला है की पिछले एक-दो महीनो से भूपेंद्र भाई हर हफ्ते गुजरात के अलग-अलग जिलों के पदाधिकारियों को अपने घर बुलाकर बैठकें भी कर रहे हैं ताकि प्रशासन और संगठन के बीच एक संतुलन भी स्थापित हो।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें गुजरात सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement