
अहमदाबादः गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए 2013 के बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम की अस्थायी जमानत तीन महीने के लिए बढ़ा दी। हाई कोर्ट ने सात जनवरी को गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज बलात्कार के मामले में आसाराम को 31 मार्च तक अंतरिम ज़मानत दी थी। फिलहाल वह राजस्थान के जोधपुर में आयुर्वेदिक उपचार करा रहे हैं। सोमवार को तीन महीने की अवधि समाप्त होने वाली थी, इसलिए उनके वकीलों ने गुजरात हाई कोर्ट में तीन महीने के लिए अतिरिक्त जमानत प्रदान करने का अनुरोध किया।
इलाज के लिए मिली है राहत
आजीवन कारावास की सजा काट रहे 86 वर्षीय आसाराम को उनके हृदय रोग और उम्र से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए राहत दी गई है। जानकारी के अनुसार, आसाराम ने हाई कोर्ट से छह महीने की अंतरिम जमानत देने की मांग की थी। दो जजों की बेंच की अलग-अलग राय होने की वजह से मामला लार्जर बेंच में गया। बेंच ने सुनवाई के दौरान तीन महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली।
कोर्ट ने कही ये बात
न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया ने अपने आदेश में कहा, (विभाजन) पीठ द्वारा पारित संबंधित आदेशों की समग्र सराहना और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में मेरा विचार है कि आवेदक अंतरिम जमानत का हकदार है। यह नहीं कहा जा सकता है कि 86 वर्षीय बीमार व्यक्ति को किसी विशेष चिकित्सा या दवाओं की प्रणाली तक सीमित रखा जा सकता है।
दो जजों की थी अलग-अलग राय
इससे पहले दिन में न्यायमूर्ति इलेश जे वोरा और न्यायमूर्ति संदीप एन भट्ट की खंडपीठ ने अलग-अलग फैसले सुनाए। न्यायमूर्ति वोरा ने आसाराम को तीन महीने के लिए अस्थायी जमानत दी, जबकि न्यायमूर्ति भट्ट ने याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति भट्ट ने अपनी असहमतिपूर्ण राय में बताया कि आसाराम ने 28 जनवरी से 19 फरवरी के बीच कई एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों से मुलाकात की थी। न्यायमूर्ति भट्ट ने कहा कि आवेदक द्वारा रिकॉर्ड में पेश किए गए केस के कागजात से यह बहुत आश्चर्यजनक है कि हालांकि दावा किया गया है कि आयुर्वेदिक उपचार चल रहा था, लेकिन इन कागजात से यह पता चलता है कि आसाराम ने 7 जनवरी से अंतरिम जमानत पर होने के बावजूद केवल 1 मार्च को अपनी बीमारी के लिए संबंधित अस्पताल का रुख किया।
इनपुट- पीटीआई