Friday, November 22, 2024
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Alpesh Thakor: क्या BJP में असहज महसूस कर रहे ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर?

हाल ही में अल्पेश ठाकोर ने कहा था, "मैं राधनपुर विधानसभा सीट (पाटन जिला) से चुनाव लड़ने जा रहा हूं। अगर कोई मुझे बाहर करने की कोशिश करता है, तो मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि उसे भी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा।" उनका इशारा पूर्व विधायक और भाजपा नेता लविंगजी ठाकोर की ओर था, जो इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में राधनपुर सीट के दावेदार हैं।

Edited by: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: May 12, 2022 19:00 IST
Alpesh Thakor - India TV Hindi
Image Source : TWITTER Alpesh Thakor

Alpesh Thakor: ओबीसी नेता और पूर्व विधायक अल्पेश ठाकोर के हालिया बयानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उनकी बातों पर गौर किया जाए तो लगता है कि वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) से नाखुश हैं। हाल ही में गुजरात ठाकोर सेना द्वारा आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेते हुए अल्पेश ठाकोर ने कहा था, "मैं राधनपुर विधानसभा सीट (पाटन जिला) से चुनाव लड़ने जा रहा हूं। अगर कोई मुझे बाहर करने की कोशिश करता है, तो मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि उसे भी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा।" उनका इशारा पूर्व विधायक और भाजपा नेता लविंगजी ठाकोर की ओर था, जो इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में राधनपुर सीट के दावेदार हैं।

'गंदी राजनीति कर रहे हैं पार्टी के कुछ नेता'

अल्पेश ठाकोर ने यह भी कहा, "राज्य सरकार शराबबंदी को सख्ती से लागू करने में विफल रही है।" अल्पेश ठाकोर ने विवाद को तरजीह न देते हुए कहा कि पार्टी के कुछ नेता गंदी राजनीति कर रहे हैं और कोली ठाकोर समुदाय को एकजुट करने के बजाय इसे बांट रहे हैं। अल्पेश ठाकोर ने कहा कि उनके बयान ऐसे नेताओं के लिए संदेश थे और पार्टी छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।

अल्पेश ठाकोर 2017 में राधनपुर से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने अक्टूबर 2019 में राधनपुर से उपचुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के रघुभाई देसाई से हार गए।

दिलचस्प निर्वाचन क्षेत्र है राधनपुर
लविंगजी ठाकोर ने अल्पेश ठाकोर की बातों का खंडन करते हुए दावा किया कि यदि पूर्व में कही गई बातों में कोई तथ्य होता, तो लोग उन्हें 1995 में राधनपुर से निर्दलीय विधायक के रूप में नहीं चुनते। उन्होंने यह भी दावा किया कि वह स्थानीय नेता हैं, जबकि अल्पेश ठाकोर अहमदाबाद जिले के मूल निवासी हैं। लविंगजी ठाकोर 1995 के बाद अखिल भारतीय राष्ट्रीय जनता पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के टिकट पर तीन बार राधनपुर से चुनाव लड़े, लेकिन तीनों बार हार गए।

वाकई, राधनपुर एक दिलचस्प निर्वाचन क्षेत्र है। कांग्रेस के खोदीदान जुला (1975, 1980 और 1985) और भाजपा के शंकर चौधरी (1998, 2002, 2007) को छोड़कर कोई भी नेता इस सीट से दोबारा निर्वाचित नहीं हुआ है। यहां तक कि 1997 में यहां उपचुनाव जीतने वाले वयोवृद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला भी दोबारा राधनपुर से चुनाव नहीं लड़े।

'जहां ठाकोर का दबदबा, वहां बदल सकते हैं परिणाम'
पिछले कुछ महीनों से ऐसी अफवाहें थीं कि गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना अल्पेश ठाकोर के लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश कर रही है, हालांकि उनका दावा है कि उनके द्वारा शुरू किए गए संगठन की मौजूदगी 176 तालुकों में है। उन्होंने कहा, "गुजरात ठाकोर सेना की लगभग 9,200 समितियां हैं और प्रत्येक गांव में कम से कम 50 परिवार हैं, जिनसे मेरा सीधा संपर्क है। इसलिए सुरक्षित सीट की तलाश का सवाल ही नहीं उठता।" ओबीसी नेता ने यह भी दावा किया है कि वह न केवल ठाकोर या ओबीसी समुदाय के नेता हैं, बल्कि अन्य समुदायों के भी सदस्य हैं।

उन्होंने दावा किया, "मेरे नेतृत्व में पाटीदारों ने करमसद तालुका के 76 गांवों में पाटीदार सेना का गठन किया है, जबकि सौराष्ट्र के पटेल भी बड़ी संख्या में मेरी जनसभाओं में शामिल होते हैं।" मेहसाणा जिले के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश वनोल का मानना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अल्पेश ठाकोर अपने समुदाय के मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं और जहां ठाकोर का दबदबा है, वहां परिणाम बदल सकते हैं।

(इनपुट- भाषा)

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