गांधीनगर: गुजरात की बीजेपी सरकार ने गुरुवार को राज्य विधानसभा को जानकारी दी कि अनुसूचित जाति के युवाओं को प्रशिक्षण मुहैया करने के मकसद से स्थापित ‘अडाणी कौशल विकास केंद्र, अहमदाबाद’ का ठेका देने के लिए कोई निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी। प्रश्नकाल के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक हेमंत अहीर के एक सवाल का जवाब देते हुए राज्य की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भानुबेन बाबरिया ने कहा कि अनुसूचित जाति कल्याण निदेशक ने मार्च 2019 में अनुसूचित जाति के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और अगस्त 2019 में एक कार्य आदेश जारी किया था।
बाबरिया के लिखित जवाब के मुताबिक, अनुबंध के तहत राज्य सरकार इन युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए अडाणी कौशल विकास केंद्र को 13.98 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी, जिसमें से 7.87 लाख रुपये का भुगतान पिछले दो वर्षों में किया जा चुका है। एक पूरक प्रश्न कि क्या ठेका देने में निविदा प्रक्रिया का पालन किया गया था, बाबरिया ने ‘न’ में उत्तर दिया। उन्होंने आगे कहा कि 2021 और 2022 में उक्त केंद्र में अनुसूचित जाति के एक भी युवा को प्रशिक्षण नहीं दिया गया।
आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, ‘अडाणी कौशल विकास केंद्र’ (कंपनी अधिनियम की) धारा-8 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जो कौशल विकास से संबंधित गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है, ताकि “भारत सरकार के स्किल इंडिया मिशन के तहत कौशल की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पाटकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सके।” अडाणी फाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार, “सक्षम अडाणी समूह की एक कौशल विकास परियोजना है, जो कौशल आधारित प्रशिक्षण मुहैया कराके युवाओं की रोजगार पाने की संभावनाएं बढ़ाती है और राष्ट्र निर्माण में योगदान देती है।” वेबसाइट के मुताबिक, ‘‘अडाणी कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से यह परियोजना भारत सरकार के स्किल इंडिया मिशन के अनुरूप काम करती है।”