गुजरात के सूरत में एक छह दिन की बच्ची मौत के बाद भी अमर हो गई। अंगदान महादान के नारे को चरितार्थ कर समाज को नई दिशा दिखाई है। परिजनों ने बच्ची के अंगो को दान कर 4 लोगो की जिंदगी रोशन कर दिया है। बच्ची के अंगो ने चार लोगों की जिंदगी बचा ली है। अंगदान महादान के नारे को हकीकत का रूप देकर समाज को नई दिशा दिखाई है। अहमदाबाद के 10 वर्षीय बच्चे में बच्ची की दोनों किडनी और सूरत के 14 माह के बच्चे में लिवर ट्रांसप्लांट किया गया।
सौराष्ट्र के राजकोट के रहने वाले मयूर भाई सूरत में रोजी रोटी के लिए आए थे। सूरत में प्लैंबरिंग का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। 23 तारीख को मयूर भाई के पत्नी मनीषा ने एक बेटी को जन्म दिया था। बेटी की हालत ठीक नहीं होने की वजह से उसको सूरत डायमंड हॉस्पिटल के आईसीयू वार्ड में लाया गया था। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने छोटी परी को बचाने के लिए इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी पर परी ठीक न हो सकी और कोमा में चली गई। डॉक्टरों ने परी को ब्रेनडेड घोषित कर दिया।
परिजनों ने समझा अंगदान का महत्व
डॉक्टरों ने सूरत की जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन के विपुल भाई से बच्ची के परिजनों का संपर्क कराया। विपुल भाई ने परी के परिवार के लोगों को अंगदान का महत्व और पूरी प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया की परी की मृत्य पर अंगदान करने से 4 लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है। परी के परिवार वालों ने विपुल भाई की बात का समर्थन किया। परी के पापा मयूर भाई ने बताया की मौत के बाद शरीर तो जलकर खाक हो जाएगा, लेकिन जरूरतमंद लोगों को अंग मिल जाने से उनमें नई जिंदगी जीने की उम्मीद पैदा हो जाती है।
ग्रीन कॉरिडोर से पहुंचाए अंग
परिवार वालों की सहमति मिलने पर गुजरात सरकार की संस्था सोटो से संपर्क किया गया। सोटो संस्था के निर्देश पर परी का लिवर मुंबई की नानावटी अस्पताल में, दोनों किडनी अहमदाबाद की IKDRC अस्पताल को और दोनो नेत्रों का दान सूरत की लोक दृष्टि चक्षु बैंक को दिया गया। जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन संस्था के विपुल भाई ने बताया की परी के अंगो को अहमदाबाद और मुंबई भेजने के लिए डायमंड अस्पताल से सूरत रेलवे स्टेशन तक ले जाने के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाया गया था और सिर्फ 7 मिनट में पहुंचाया गया। छह दिन की परी का लिवर सूरत के ही एक 14 माह के लड़के में लगाया गया। अहमदाबाद के एक 10 वर्षीय बच्चे में दोनों किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया। जीवनदिप ऑर्गन डोनेशन संस्था 100 घंटे के बच्चे का और 120 घंटे के बच्चे का भी अंगदान करा चुकी है।
(सूरत से शैलेष चांपानेरिया की रिपोर्ट)