अहमदाबाद: देशभर में आए दिन डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। गुजरात की अहमदाबाद साइबर टीम ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को ठगने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 4 ताइवानी भी शामिल हैं। पुलिस ने इनके पास से 12.75 लाख रुपये नकदी, 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल फोन, 96 चेक बुक, 92 डेबिट और क्रेडिट कार्ड और लेनदेन करने से संबंधित खातों की 42 बैंक पासबुक बरामद की हैं।
वरिष्ठ नागरिक को 10 दिन किया डिजिटल अरेस्ट
संयुक्त आयुक्त (क्राइम) शरद सिंघल ने मामले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस गिरोह ने एक वरिष्ठ नागरिक को 10 दिन तक ‘डिजिटली अरेस्ट’ किया। इस दौरान उन पर वीडियो कॉल के जरिए नजर रखकर उनसे ‘आरबीआई के एक मुद्दे’ को सुलझाने के लिए 79.34 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। पुलिस के अनुसार, वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत की कि कुछ लोग खुद को ट्राई, CBI और साइबर अपराध शाखा के अधिकारी होने का दावा कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते से अवैध लेनदेन हो रहा है।
अलग-अलग राज्यों से पकड़े गए आरोपी
शरद सिंघल ने बताया, ‘‘पिछले महीने शिकायत मिलने के बाद हमारी टीमों ने गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा और महाराष्ट्र में जगह-जगह छापेमारी की और देशभर में इस गिरोह को चलाने के आरोप में 17 लोगों को पकड़ा। पकड़े गए लोगों में ताइवानी नागरिक भी शामिल हैं। हमारा मानना है कि उन्होंने अब तक करीब 1,000 लोगों को निशाना बनाया होगा।’’ उन्होंने कि ताइवान के चार नागरिकों की पहचान मू ची सुंग (42), चांग हू युन (33), वांग चुन वेई (26) और शेन वेई (35) के रूप में की गई है। बाकी 13 आरोपी गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा और राजस्थान के रहने वाले हैं।
पैसे ट्रांसफर करने के लिए बनाया ऐप
शरद सिंघल ने बताया कि ताइवान के चारों आरोपी पिछले एक साल से भारत आ रहे थे और उन्होंने गिरोह के सदस्यों को पैसा एक खाते से दूसरे खाते में भेजने के लिए मोबाइल फोन ऐप और अन्य तकनीकी सहयोग प्रदान किया। उन्होंने बताया, ‘‘गिरोह जिन मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहा था उन्हें ताइवान के आरोपियों ने बनाया था। उन्होंने अपने सिस्टम में ऑनलाइन वॉलेट भी जोड़ लिए। पीड़ितों के पैसों को इस ऐप के माध्यम से अन्य बैंक खातों और दुबई में क्रिप्टो खातों में भेजा जाता था। उन्हें ऐप के माध्यम से भेजे जाने वाले रुपयों के लिए हवाला के रास्ते कमीशन भी मिलता था।’’ ये गिरोह विभिन्न कॉल सेंटरों से संचालित किया जा रहा था। पुलिस ने इनके पास से 12.75 लाख रुपये नकदी, 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल फोन, 96 चेक बुक, 92 डेबिट और क्रेडिट कार्ड और लेनदेन करने से संबंधित खातों की 42 बैंक पासबुक बरामद की हैं।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
बता दें कि डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर अपराध है। इसमें पीड़ित को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अधिकारी उस पर मनी लॉन्ड्रिंग, मादक पदार्थों की तस्करी या अन्य किसी अपराध को लेकर नजर रख रहे हैं और कार्रवाई कर सकते हैं। इसमें आरोपियों द्वारा व्यक्ति को अकेले रहने को कहा जाता है, जिसमें वह वीडियो कॉल या अन्य किसी ऑनलाइन माध्यम से बातचीत के लिए सुलभ हों। इसके बाद डरा-धमकाकर पीड़ित को इस सबसे छुटकारा पाने के लिए भारी रकम भेजने के लिए विवश किया जाता है। (इनपुट- एजेंसी)
यह भी पढ़ें-
कबड्डी खेलते-खेलते अचानक गिर पड़ा शख्स, कैमरे में कैद हुआ मौत का Live वीडियो
झारखंड चुनाव के लिए NDA में सीट शेयरिंग पर बातचीत 'फाइनल', हिमंत बिस्वा बोले- पहली लिस्ट होगी जारी