बशर अल-असद सीरिया छोड़कर रूस भाग चुके हैं। असद की मुश्किलें अब और बढ़ती हुई नजर आ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक असद की ब्रिटिश पत्नी अस्मा अल-असद ने रूस की अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी है। तुर्की और अरब मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अस्मा अल असद मॉस्को में खुश नहीं हैं और वो अब लंदन जाना चाहती हैं। अस्मा ने रूस की कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की है और मॉस्को छोड़ने के लिए विशेष अनुमति का अनुरोध भी किया है।
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असद के शासन के दौरान अस्मा भी सीरिया और दुनिया में सुर्खियां बटोरती रही हैं। लंदन में पली-बढ़ीं अस्मा एक समय पश्चिम एशिया में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर उभरी थीं। रोज ऑफ डेजर्ट (रेगिस्तान का गुलाब) जैसी उपाधि पाने वाली अस्मा पर बाद में असद के तानाशाही रवैये में सहयोग के गंभीर आरोप भी लगे।
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अस्मा अल-असद को बशर से शादी के बाद उनके रहन-सहन और लिबरल नीतियों की वजह से पश्चिम एशिया में आधुनिकता का चेहरा कहा जाने लगा था लेकिन बाद के वर्षों में उनके रुख में बदलाव आया। बशर अल असद के कथित दमनकारी अभियानों में सहयोग की वजह से अस्मा को 'फर्स्ट लेडी ऑफ हेल' कहा जाने लगा। आरोप लगा कि वह असद के 'अत्याचारी शासन' में प्रमुख भूमिका में थीं।
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अस्मा का जन्म 1975 में इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता फवाज अखरास डॉक्टर हैं और मां सहर सीरियाई दूतावास में राजनयिक थीं। दोनों अभी भी लंदन में रहते हैं। पश्चिम लंदन में एक आलीशान घर में पली-बढ़ीं अस्मा ने किंग्स कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है। 90 के दशक में वह सीरिया में छुट्टियां मनाने आई थीं, जब उनकी मुलाकात असद से हुई। इसके बाद असद जब आंखों के डॉक्टर के तौर पर ट्रेनिंग के लिए लंदन आए तो दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा।
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असद और अस्मा ने साल 2000 में शादी की थी। इसी साल पिता की मौत के बाद असद सीरिया के राष्ट्रपति बने थे। सीरिया की प्रथम महिला के रूप में अस्मा दुनिया के सामने आईं तो उन्होंने नकाब नहीं पहना। उन्होंने पश्चिम एशिया की औरतों की पर्दे में रहने के रिवाज के उलट दुनिया के सामने एक स्वतंत्र महिला की छवि पेश की।
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अस्मा 2000 के दशक में सीरिया में उदार राजनीतिक माहौल का प्रतीक बनीं, जहां महिलाओं को दूसरे इस्लामी देशों के मुकाबले ज्यादा अधिकार दिए गए। उन्होंने असद की छवि को उदार नेता की बनाने के लिए भी काम किया। साल 2010 में वोग मैगजीन ने अस्मा को 'रेगिस्तान का गुलाब' और 'तेज दिमाग वाली खूबसूरत महिला' कहा था। हालांकि, उनकी यह उदार छवि धूमिल हो गई जब 2011 के बाद असद सरकार ने सीरिया में विरोध प्रदर्शनों को सेना की ताकत पर दबाया।
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असद सरकार की दमनकारी नीतियां बनाने में अस्मा का सीधा दखल माना जाता था। असद के तानाशाही शासन में उनकी भूमिका लगातार बढ़ी तो उनकी छवि भी तेजी से बदल गई। सीरिया के गृह युद्ध में उनकी भूमिका को लेकर इतने गंभीर आरोप लगे कि कई देशों ने उन पर प्रतिबंध तक लगा दिए। ऐसे में रेगिस्तान का गुलाब कही गई महिला को नरक की प्रथम महिला कहा जाने लगा।