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ईरान ने अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ावा दिया है। ईरान के पास कई तरह की मिसाइलें हैं जो इसे क्षेत्रीय सुरक्षा और शक्ति में मजबूती प्रदान करती हैं। आइए ईरान की प्रमुख मिसाइलों पर एक नजर डालते हैं।
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ईरान की शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों की मारक क्षमता 1,000 किलोमीटर तक है। इसमें फतेह-110 का नाम सबसे ऊपर है। यह एक ठोस-ईंधन आधारित मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर है। यह मिसाइल तेज गति से वार करने में सक्षम है।
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क्याम-1: यह भी एक शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी सीमा 750 किलोमीटर तक हो सकती है। यह मिसाइल ठोस और तरल ईंधन से लैस है और इसे असानी से कही भी लाया और ले जाया जा सकता है।
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मीडियम-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान के प्रमुख मिसाइल कार्यक्रमों में से एक हैं। ये मिसाइलें 1,000 से 3,000 किलोमीटर तक की दूरी तक हमला कर सकती हैं।
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शाहब-3: यह ईरान की सबसे ताकतवर मीडियम-रेंज मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता लगभग 2,000 किलोमीटर तक है, जिससे यह इजरायल और कुछ यूरोपीय देशों तक पहुंच सकती है।
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सेज्जील-2: यह ठोस ईंधन आधारित मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 2,000 से 2,500 किलोमीटर तक मानी जाती है। सेज्जील-2 को अधिक सटीकता और भारी वजन ले जाने की क्षमता के लिए विकसित किया गया है।
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ईरान ने अपने मिसाइल कार्यक्रम में क्रूज मिसाइलों को भी शामिल किया है, जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइलें हैं और इन्हें रडार पर पकड़ना कठिन होता है।
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हवीजेह: यह एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 1,350 किलोमीटर है। इसे ईरान ने विशेष रूप से जमीन से हवा में वार करने के लिए विकसित किया है।
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सोमर: यह एक और क्रूज मिसाइल है, जिसकी रेंज 700 किलोमीटर तक है और यह बेहद सटीकता से लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
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खलीज फारस: यह एक एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल है, जो समुद्र में चलने वाले बड़े जहाजों पर हमले के लिए विकसित की गई है। इसकी मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर है।
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नूर: यह ईरान की एक अन्य एंटी-शिप मिसाइल है, जिसे मुख्य रूप से समुद्री सुरक्षा और हमलों के लिए विकसित किया गया है। इसकी सीमा लगभग 200 किलोमीटर है और इसे आसानी से युद्धपोतों और अन्य जलयानों से छोड़ा जा सकता है।
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ईरान फिलहाल इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास कर रहा है, जो 3,000 से 5,500 किलोमीटर तक की दूरी तक हमला कर सकती हैं।
ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर कई देशों की चिंता भी बनी हुई है।