भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी युवराज सिंह को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिए आज पूरे एक साल हो गए हैं। करीब 20 सालों के अपने करियर में युवराज सिंह ने भारतीय टीम के लिए हर उस मैच में अपना शानदार प्रदर्शन किया जहां टीम को जरुरत थी। यही कारण है कि साल 2000 के बाद भारतीय टीम ने जितने भी आईसीसी के बड़े टूर्नामेंट जीते उसमें युवराज सिंह योगदान बहुत ही अहम रहा है। युवराज सिंह के संन्यास के एक साल पूरा होने पर आइए जानते हैं आईसीसी टूर्नामेंट में खेली गई उनकी कुछ बेहतरीन पारियों के बारे में जिसकी बदौलत भारतीय टीम खिताब जीतने में कामयाब रही।
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युवराज सिंह ने अपना डेब्यू ही आईसीसी टूर्नामेंट से किया। साल 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में युवराज ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना कदम रखा था। इस टूर्नामेंट के दूसरे ही मैच में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया खिलाफ ग्लेन मैक्ग्रा, बेट ली और जेसन गिलेस्पी जैसे गेंदबाजों के आगे 84 गेंद में 80 रनों की पारी खेलकर यह साबित कर दिया कि वह लंबी रेस का घोड़ा हैं। आईसीसी टूर्नामेंट में युवराज की यह पहली और बेहतरीन पारियों में से एक माना जाता है।
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आईसीसी टूर्नामेंट में युवराज सिंह की दूसरी सबसे बेहतरीन साल 2007 टी-20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में माना जाता है। यह मुकाबला डरबन में खेला गया था जिसमें युवी ने स्टूअर्ट ब्रॉड की एक ओवर की सभी 6 गेंदों पर छक्के जड़े थे और महज 12 गेंद में अर्द्धशतक जड़कर इतिहास रच दिया था। इस मैच में युवराज ने 58 रनों की पारी खेली थी और भारत ने मुकाबले को जीता था।
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आईसीसी टूर्नामेंट में युवराज सिंह की तीसरी सबसे बेहतरीन पारी साल 2007 टी-20 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में मुकाबले में माना जाता है। सेमीफाइनल मैच में युवराज ने भारत के लिए महज 30 गेंद में 70 रनों की पारी खेली थी। इस पारी के बदौलत ही भारत ने 188 रनों का स्कोर खड़ा किया था जिसके टीम इंडिया ने 15 रनों से जीत दर्ज फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रही थी।
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आईसीसी टूर्नामेंट में युवराज की चौथी सबसे बेहतरीन पारी साल 2011 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में मानी जा सकती है। हालांकि साल 2011 में पूरे विश्व कप में युवराज ने दमदार प्रदर्शन किया था लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच में युवी ने जिस दवाब भरे परिस्थित में अर्द्धशतकीय पारी खेलकर भारतीय टीम को मुश्किल से उबारा था और काबिले तारीफ है। 261 रनों का लक्ष्य का पीछा करने उतरी इस मैच में भारत एक समय 143 रनों पर अपने तीन विकेट गंवा चुकी थी लेकिन युवराज ने पारी को संभाला और सुरेश रैना के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई। इस मैच में युवराज ने गेंदबाजी के दौरान 44 रन खर्चकर दो विकेट भी लिए थे।