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देश के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में लगभग डेढ़ साल से हिंसा जारी है। पिछले कुछ दिनों में उपद्रवियों ने सुरक्षाबलों के ठिकानों के साथ-साथ विधायकों के घरों पर भी हमला करना शुरू कर दिया है। ऐसे में मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजे जा रहे हैं। केंद्र ने हाल ही में घोषणा की है कि मणिपुर में सीएपीएफ की 50 नई कंपनियां तैनात की जाएंगी। इसके बाद से यहां के हालात बेहतर होने की उम्मीद बढ़ गई है।
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मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बीच गुरुवार (21 नवंबर) को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की आठ कंपनियां राज्य की राजधानी इंफाल पहुंचीं, जिन्हें संवेदनशील और सीमांत क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। ये बल बुधवार को इंफाल पहुंचे। एक दिन पहले ही सीएपीएफ की 11 कंपनियों का एक और जत्था राज्य में पहुंचा था।
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एक अधिकारी ने कहा, "सीआरपीएफ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की चार-चार कंपनियां राज्य के संवेदनशील और सीमांत क्षेत्रों में तैनात की जाएंगी।" सीआरपीएफ की कंपनियों में से एक महिला बटालियन की है। राज्य में हिंसा बढ़ गई है और पिछले सप्ताह पहाड़ी जिले जिरीबाम में कांग्रेस और भाजपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई।
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सुरक्षा बलों ने शनिवार शाम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर धावा बोलने की आंदोलनकारियों की कोशिश को विफल कर दिया। हिंसा तब और बढ़ गई जब 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और संदिग्ध कुकी-जो उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के बाद जिरीबाम जिले में एक राहत शिविर से मेइती समुदाय की तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए। इस मुठभेड़ में 10 उग्रवादी मारे गए।
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पिछले कुछ दिनों में इन छह लापता लोगों के शव बरामद किए गए। पिछले साल मई से इम्फाल घाटी स्थित मेइती और आसपास की पहाड़ियों पर बसे कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
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मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों के सीमांत और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षाकर्मी तलाशी अभियान चला रहे हैं। केंद्र ने सुरक्षाबलों को आदेश दिया है कि सशस्त्र विद्रोह कर रहे उग्रवादियों के खिलाफ खटोर कदम उठाए जाएं और उनके खिलाफ सख्ती बरती जाए।
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मणिपुर में हिंसा मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण के विषय पर शुरू हुई थी, जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रही है। मणिपुर में कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग के तहत आरक्षण मिलता है। मैतेई समुदाय की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने से यहां बवाल हो रहा है।
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मणिपुर विधानसभा के 10 कुकी विधायकों ने मांग की है कि लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए अफस्पा (एएफएसपीए) को पूरे राज्य में लागू किया जाए। इन विधायकों में राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन के सात विधायक भी शामिल हैं। केंद्र ने 14 नवंबर को हिंसा प्रभावित जिरीबाम सहित मणिपुर के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को फिर से लागू कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह निर्णय वहां की ‘लगातार अस्थिर स्थिति’ को देखते हुए लिया गया।
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एक संयुक्त बयान में, 10 कुकी विधायकों ने कहा, ‘‘14 नवंबर, 2024 के आदेशों के अनुसार एएफएसपीए लगाने को लेकर वास्तव में शेष 13 पुलिस न्यायक्षेत्रों में अधिनियम का विस्तार करने के लिए तत्काल समीक्षा की आवश्यकता है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल तीन मई से मेइती विद्रोहियों द्वारा लूटे गए 6,000 से अधिक अत्याधुनिक हथियारों की बरामदगी के लिए पूरे राज्य में एएफएसपीए लागू किया जाना चाहिए क्योंकि हिंसा को रोकने के लिए यह लंबे समय से अपेक्षित कार्रवाई है। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा तीन मई, 2023 को शुरू हुई। तब से अब तक हुई हिंसा में 220 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।