Saturday, December 28, 2024
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महाराष्ट्र में बिना गठबंधन नहीं बन पाती सरकार, 34 सालों में नहीं टूटा रिकॉर्ड

Malaika Imam Written By: Malaika Imam @MalaikaImam1 Updated on: November 24, 2024 14:12 IST
  • महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में महायुति गठबंधन ने 235 सीटों पर कब्जा जमाया। इसमें बीजेपी ने अकेले 132 सीटों पर चुनाव जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी है। महाराष्ट्र की सियास को लेकर एक अहम बता ये है कि पिछले 34 सालों में कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है। 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में किसी भी दल ने इन 34 सालों में बहुमत का आंकड़ा 145 सीटें नहीं जीती हैं।
    Image Source : PTI
    महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में महायुति गठबंधन ने 235 सीटों पर कब्जा जमाया। इसमें बीजेपी ने अकेले 132 सीटों पर चुनाव जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी है। महाराष्ट्र की सियास को लेकर एक अहम बता ये है कि पिछले 34 सालों में कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है। 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में किसी भी दल ने इन 34 सालों में बहुमत का आंकड़ा 145 सीटें नहीं जीती हैं।
  • महाराष्ट्र की राजनीति में 1995 में गठबंधन का दौर शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। सियासी पार्टियां भी इसी हिसाब से सीटों पर चुनाव लड़ती है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा 148 सीटों पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था और 132 सीटों पर जीत हासिल की। ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बिना सरकार नहीं बना पाएगी। दूसरी ओर महा विकास अघाड़ी (MVA) की अगुवाई वाली कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। वहीं, NCP-SP ने 86 सीटों पर जबकि शिवसेना-यूबीटी ने 95 सीटों पर चुनाव लड़े।
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    महाराष्ट्र की राजनीति में 1995 में गठबंधन का दौर शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। सियासी पार्टियां भी इसी हिसाब से सीटों पर चुनाव लड़ती है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा 148 सीटों पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था और 132 सीटों पर जीत हासिल की। ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बिना सरकार नहीं बना पाएगी। दूसरी ओर महा विकास अघाड़ी (MVA) की अगुवाई वाली कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। वहीं, NCP-SP ने 86 सीटों पर जबकि शिवसेना-यूबीटी ने 95 सीटों पर चुनाव लड़े।
  • 1 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य बना और 1962 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ। तब कांग्रेस को 215 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद साल 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने 203 सीटें जीती थीं। साल 1978 में चुनाव से पहले कांग्रेस टूट गई। तब कांग्रेस को 69, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) को 62 और जनता पार्टी को 99 सीटें मिली थीं।
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    1 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य बना और 1962 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ। तब कांग्रेस को 215 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद साल 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने 203 सीटें जीती थीं। साल 1978 में चुनाव से पहले कांग्रेस टूट गई। तब कांग्रेस को 69, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) को 62 और जनता पार्टी को 99 सीटें मिली थीं।
  •  तब शरद पवार ने मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार से नाता 40 बागियों के साथ तोड़कर इंडियन नेशनल कांग्रेस (सोशलिस्ट) बना ली थी। जनता पार्टी के साथ मिलकर उन्होंने प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार बनाई। तब केवल 38 साल की उम्र में पवार देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार 1980 में गिर गई। मध्यावधि चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने 186 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया था। इससे अलग हुई आईएनसी (यू) को 47 सीटें मिली थी, जो बाद में मुख्य पार्टी में ही शामिल हो गई थी।
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    तब शरद पवार ने मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार से नाता 40 बागियों के साथ तोड़कर इंडियन नेशनल कांग्रेस (सोशलिस्ट) बना ली थी। जनता पार्टी के साथ मिलकर उन्होंने प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार बनाई। तब केवल 38 साल की उम्र में पवार देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार 1980 में गिर गई। मध्यावधि चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने 186 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया था। इससे अलग हुई आईएनसी (यू) को 47 सीटें मिली थी, जो बाद में मुख्य पार्टी में ही शामिल हो गई थी।
  • 6 अप्रैल 1980 को जनसंघ के राजनीतिक विंग के रूप में बीजेपी सामने आई, जबकि 19 जनवरी 1966 से अस्तित्व में होने के बावजूद शिवसेना ने खुद को स्थानीय निकाय चुनावों तक ही सीमित रखा था। साल 1989 के बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लड़ना शुरू किया।
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    6 अप्रैल 1980 को जनसंघ के राजनीतिक विंग के रूप में बीजेपी सामने आई, जबकि 19 जनवरी 1966 से अस्तित्व में होने के बावजूद शिवसेना ने खुद को स्थानीय निकाय चुनावों तक ही सीमित रखा था। साल 1989 के बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लड़ना शुरू किया।
  • साल 1962 से 1990 तक महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस का ही दबदबा रहा। साल 1990 के चुनाव में कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं, जबकि शिवसेना को 52 और बीजेपी को 42 सीटों पर जीत मिली थी। साल 1995 में राज्य की राजनीति में बदलाव देखने को मिला, जब 73 सीटों के साथ शिवसेना, 65 सीटों के साथ बीजेपी ने 40 बागियों के साथ मिलकर पहली बार सत्ता पर कब्जा किया। शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री और बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने थे। तब 80 सीटों पर सिमटी कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई।
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    साल 1962 से 1990 तक महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस का ही दबदबा रहा। साल 1990 के चुनाव में कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं, जबकि शिवसेना को 52 और बीजेपी को 42 सीटों पर जीत मिली थी। साल 1995 में राज्य की राजनीति में बदलाव देखने को मिला, जब 73 सीटों के साथ शिवसेना, 65 सीटों के साथ बीजेपी ने 40 बागियों के साथ मिलकर पहली बार सत्ता पर कब्जा किया। शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री और बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने थे। तब 80 सीटों पर सिमटी कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई।
  • इसके पांच साल बाद 10 जून 1999 को शरद पवार ने कांग्रेस से हटकर एनसीपी का गठन कर लिया। इसके बाद राज्य में दो राजनीतिक मोर्चे बन गए, कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी। साल 1999 से 2019 तक महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकारें ही बनती रहीं। साल 1999 से 2009 के बीच कांग्रेस-एनसीपी की सरकार रही। 2014 के चुनाव में 122 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और इसने 63 सीटें जीतने वाली शिवसेना के साथ मिलकर एक बार फिर सरकार बनाई। यह सरकार पूरे पांच साल चली। साल 2019 के चुनाव में शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ तीन पार्टियों का गठबंधन बनाया और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। हालांकि, जून 2022 में शिवसेना टूट गई और बीजेपी के साथ एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने सरकार बना ली। इसके एक साल बाद ही जुलाई 2023 में एनसीपी भी दो हिस्से में बंट गई और अपने चाचा से बगावत कर अजित पवार महायुति का हिस्सा बन गए।
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    इसके पांच साल बाद 10 जून 1999 को शरद पवार ने कांग्रेस से हटकर एनसीपी का गठन कर लिया। इसके बाद राज्य में दो राजनीतिक मोर्चे बन गए, कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी। साल 1999 से 2019 तक महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकारें ही बनती रहीं। साल 1999 से 2009 के बीच कांग्रेस-एनसीपी की सरकार रही। 2014 के चुनाव में 122 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और इसने 63 सीटें जीतने वाली शिवसेना के साथ मिलकर एक बार फिर सरकार बनाई। यह सरकार पूरे पांच साल चली। साल 2019 के चुनाव में शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ तीन पार्टियों का गठबंधन बनाया और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। हालांकि, जून 2022 में शिवसेना टूट गई और बीजेपी के साथ एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने सरकार बना ली। इसके एक साल बाद ही जुलाई 2023 में एनसीपी भी दो हिस्से में बंट गई और अपने चाचा से बगावत कर अजित पवार महायुति का हिस्सा बन गए।
  • महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना को आजतक कभी अपने दम पर बहुमत मिला ही नहीं और एनसीपी कांग्रेस से ही निकलकर नई पार्टी बनी तो इनके बीच सीटों का बंटवारा होता रहा। एक साथ इतनी सीटों पर कोई अकेली पार्टी लड़ी ही नहीं, जिससे जरूरी बहुमत के आंकड़े पाकर सिंगल पार्टी की सरकार बना सके, इसलिए लगातार गठबंधन की सरकार ही बनती आ रही है। एक बार फिर 2024 के चुनावी नतीजे ने भी गठबंधन की सरकार पर मुहर लगा दी है।
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    महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना को आजतक कभी अपने दम पर बहुमत मिला ही नहीं और एनसीपी कांग्रेस से ही निकलकर नई पार्टी बनी तो इनके बीच सीटों का बंटवारा होता रहा। एक साथ इतनी सीटों पर कोई अकेली पार्टी लड़ी ही नहीं, जिससे जरूरी बहुमत के आंकड़े पाकर सिंगल पार्टी की सरकार बना सके, इसलिए लगातार गठबंधन की सरकार ही बनती आ रही है। एक बार फिर 2024 के चुनावी नतीजे ने भी गठबंधन की सरकार पर मुहर लगा दी है।