Sunday, December 22, 2024
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PHOTOS: सूखे रेगिस्तान में बर्फबारी, पहाड़ों में गर्मी, धरती में हो रहे ये बदलाव कहीं बड़ी तबाही का संकेत तो नहीं!

Dhyanendra Chauhan Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj Updated on: November 11, 2024 21:15 IST
  • भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों में भी जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में खासा बदलाव आया है। सऊदी अरब के सूखे रेगिस्तान में हालिया बर्फबारी इसका प्रमुख उदाहरण है।
    Image Source : Social Media
    भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों में भी जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में खासा बदलाव आया है। सऊदी अरब के सूखे रेगिस्तान में हालिया बर्फबारी इसका प्रमुख उदाहरण है।
  • पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में है। रोज का रोज धरती का तापमान बढ़ रहा है। बेमौसम बारिश, बर्फबारी और सूखा कहीं धरती पर बड़ी तबाही का संकेत तो नहीं दे रहे हैं।
    Image Source : File Photo
    पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में है। रोज का रोज धरती का तापमान बढ़ रहा है। बेमौसम बारिश, बर्फबारी और सूखा कहीं धरती पर बड़ी तबाही का संकेत तो नहीं दे रहे हैं।
  • ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतनी तेजी से मौसम में बदलाव का असर क्यों हो रहा है? इसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों पर पड़ रहा है।
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    ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतनी तेजी से मौसम में बदलाव का असर क्यों हो रहा है? इसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों पर पड़ रहा है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इसके कई कारण हैं। इसमें जीवाश्म ईंधनों को जलाना और जंगल के पेड़ों को काटना शामिल है। साथ ही शहरों में वाहनों से निकलने वाले धुएं और एसी की हीट से धरती का तापमान बढ़ रहा है।
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    विशेषज्ञों के अनुसार, इसके कई कारण हैं। इसमें जीवाश्म ईंधनों को जलाना और जंगल के पेड़ों को काटना शामिल है। साथ ही शहरों में वाहनों से निकलने वाले धुएं और एसी की हीट से धरती का तापमान बढ़ रहा है।
  • धरती का मौजूदा मौसम चक्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, साल 2014 से लेकर 2023 के बीच 19वीं सदी की तुलना में औसतन धरती का तापमान 1.2 डिग्री ज्यादा गर्म रहा है।
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    धरती का मौजूदा मौसम चक्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, साल 2014 से लेकर 2023 के बीच 19वीं सदी की तुलना में औसतन धरती का तापमान 1.2 डिग्री ज्यादा गर्म रहा है।
  • भारत में साल 2024 के पहले नौ महीनों में भीषण गर्मी और भारी बरसात की कई घटनाओं से 3,200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते दो लाख से ज्यादा घर नष्ट भी हो गए।
    Image Source : File Photo
    भारत में साल 2024 के पहले नौ महीनों में भीषण गर्मी और भारी बरसात की कई घटनाओं से 3,200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते दो लाख से ज्यादा घर नष्ट भी हो गए।
  • इसके साथ ही यूरोपियन क्लाइमेट सर्विस की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है कि साल 2024 अब तक का दुनिया का सबसे गर्म साल रहा है।
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    इसके साथ ही यूरोपियन क्लाइमेट सर्विस की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है कि साल 2024 अब तक का दुनिया का सबसे गर्म साल रहा है।
  • साल 2022 में पूर्वी अफ्रीका में पिछले 40 सालों में अब तक का सबसे बड़ा सूखा देखने को मिला था। पूर्वी अफ्रीका में हालात इतने बुरे हो थे करोड़ों लोग भूखों मरने के लिए मजबूर थे।
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    साल 2022 में पूर्वी अफ्रीका में पिछले 40 सालों में अब तक का सबसे बड़ा सूखा देखने को मिला था। पूर्वी अफ्रीका में हालात इतने बुरे हो थे करोड़ों लोग भूखों मरने के लिए मजबूर थे।
  • वहीं, अब सऊदी अरब के अल-जौफ़ क्षेत्र में भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण अचानक बर्फबारी हुई है। जहां सूखा रेगिरस्तान पड़ा रहता था। वहां भी पहाड़ों जैसी बर्फबारी देखी गई है।
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    वहीं, अब सऊदी अरब के अल-जौफ़ क्षेत्र में भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण अचानक बर्फबारी हुई है। जहां सूखा रेगिरस्तान पड़ा रहता था। वहां भी पहाड़ों जैसी बर्फबारी देखी गई है।
  • सऊदी में हुई बर्फबारी ने एक बार फिर लोगों का ध्यान क्लाइमेट चेंज की ओर खींचा है। जहां नवंबर महीने में ठंड होनी चाहिए, वहां का तापमान अभी बढ़ा हुआ है। ये सब ग्लोबल वार्मिंग का ही नतीजा है।
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    सऊदी में हुई बर्फबारी ने एक बार फिर लोगों का ध्यान क्लाइमेट चेंज की ओर खींचा है। जहां नवंबर महीने में ठंड होनी चाहिए, वहां का तापमान अभी बढ़ा हुआ है। ये सब ग्लोबल वार्मिंग का ही नतीजा है।