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महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी ने 4 बार शादी की थी। उनकी पहली 2 पत्नियों का निधन एक-एक बेटी को जन्म देने के बाद हुआ था, जबकि तीसरी पत्नी से उन्हें कोई संतान न थी। बाद में अपनी तीसरी पत्नी की रजामंदी से करमचंद गांधी ने पुतलीबाई से विवाह किया जो मोहनदास करमचंद गांधी यानी की महात्मा गांधी की मां थीं।
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महात्मा गांधी को संघर्ष के शुरुआती दिनों में सभाओं में मंच से बोलने से डर लगता था। लेकिन बाद में उन्होंने अपने आत्मविश्वास को जगाया और बड़ी से बड़ी भीड़ को पूरी दिलेरी से संबोधित किया।
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महात्मा गांधी को 5 बार नोबल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था, हालांकि एक बार भी उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला। हालांकि दुनिया में कई बड़ी हस्तियों का मानना है कि वह इसके हकदार थे।
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महात्मा गांधी कुल 4 भाई-बहन थे। उनका विवाह मात्र 13 साल की आयु में हो गया था। महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी उम्र में उनसे एक साल बड़ी थीं। कस्तूरबा ने भी भारत की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका अदा की थी।
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महात्मा गांधी जब 16 साल के थे तो कस्तूरबा गांधी और उनके पहले बच्चे का जन्म हुआ था, हालांकि कुछ ही दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। बाद में गांधी के कुल 4 बेटे हुए जिनके नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास थे।
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उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए महात्मा गांधी ने मात्र 18 साल की आयु में ही ब्रिटेन का रुख कर लिया था। महात्मा गांधी ने ब्रिटेन जाकर कानून की पढ़ाई की थी।
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महात्मा गांधी ने अपनी जिंदगी के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताए थे। अफ्रीका में हुई कुछ घटनाओं ने गांधी के मन में आजादी की लड़ाई के लिए अलख जगाने में अहम भूमिका अदा की थी।
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महात्मा गांधी की हैंडराइटिंग बहुत ही खराब थी और उन्होंने कई मौकों पर इसके लिए अफसोस भी जाहिर किया था। गांधी का कहना था कि खराब हैंडराइटिंग अधूरी पढ़ाई की निशानी है।
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30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त वह शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। गांधी की पुण्यतिथि को देश भर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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महात्मा गांधी की हत्या के मामले में नाथूराम गोडसे के अलावा नारायण आप्टे, विनायक दामोदर सावरकर, शंकर किस्तैया, दत्तात्रय परचुरे, विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा और गोपाल गोडसे पर मुकदमा चलाया गया था।
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10 फरवरी 1949 को जज ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए गोडसे (बाएं) और नारायण आप्टे (बीच में) को फांसी की सजा सुनाई। वहीं, गोपाल गोडसे, विष्णु करकरे, मदनलाल पहवा, शंकर किस्तैया और दत्तात्रेय परचुरे को उम्रकैद की सजा मिली। वीर सावरकर को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया।