वायुसेना प्रमुख (एयर चीफ मार्शल) बी.एस.धनोआ ने फरवरी में भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव के दौरान वीरता का प्रतीक बने विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के साथ सोमवार को मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ाया। पठानकोट वायुसेना ठिकाने से भरी गई उड़ान करीब आधे घंटे की रही।
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अभिनंदन 27 फरवरी को भारत-पाकिस्तान के बीच हवा में हुए संघर्ष के दौरान मिग-21 बाइसन से निकलते वक्त जख्मी हो गए थे। इसके करीब छह माह बाद उन्होंने करीब 30 मिनट तक दोबारा विमान उड़ाया। सभी चिकित्सा परीक्षणों के बाद वायुसेना के बेंगलुरु स्थित एयरोस्पेस चिकित्सा संस्थान ने अभिनंदन को विमान उड़ाने की मंजूरी दी और उन्होंने करीब दो हफ्ते पहले लड़ाकू विमान के कॉकपिट में वापसी की।
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30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे वायुसेना प्रमुख ने मिग-21 प्रशिक्षण विमान में उड़ान भरने के बाद कहा, ‘‘उनके साथ उड़ान भरना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैंने भी 1988 में लड़ाकू विमान से आपात निकासी की थी और मुझे दोबारा कॉकपिट में वापसी करने में नौ महीने लगे थे।’’ धनोआ ने कहा, ‘‘ उन्होंने (अभिनंदन) दोबारा उड़ान भरने की मंजूरी छह महीने में ही प्राप्त कर ली जो अच्छी बात है।’’
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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि सेवानिवृत्ति से पहले लड़ाकू विमान में यह उनकी आखिरी उड़ान थी। धनोआ ने युवा पायलट के तौर पर अभिनंदन के पिता और सेवानिवृत्त एयर मार्शल सिम्हाकुट्टी वर्धमान के साथ भी मिग-21 में उड़ान भरी थी। एयर मार्शल सिम्हाकुट्टी 1973 में वायुसेना में शामिल हुए थे और उन्हें 4,000 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव है।
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गौरतलब है कि 27 फरवरी को हवाई लड़ाई में वायुसेना के 36 वर्षीय पायलट अभिनंदन का विमान मिग-21 क्षतिग्रस्त हो गया और उन्हें आपात निकासी करनी पड़ी, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उतरने की वजह से पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया था। विमान क्षतिग्रस्त होने से पहले अभिनंदन ने पाकिस्तान के उन्नत लड़ाकू विमान एफ-16 को मार गिराया था।
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पाकिस्तान ने 26 फरवरी को भारत की ओर से उसकी सीमा में घुसकर बालाकोट स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के शिविर को नष्ट करने के जवाब में भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी। अभिनंदन को एक मार्च को पाकिस्तान ने रिहा किया, लेकिन विमान से कूदने के दौरान लगी चोट की वजह से उन्हें लगभग छह महीने के लिए विमान उड़ाने की जिम्मेदारी से दूर रखा गया। हवाई लड़ाई के दौरान पाकिस्तान का विमान मार गिराने के चलते उन्हें युद्धकाल के तीसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि देश का शीर्ष वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ और द्वितीय शीर्ष वीरता पुरस्कार ‘महावीर चक्र’ है।