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आजकल एक साधु की हरिद्वार जाने वाले कावंडियों के बीच खूब चर्चा है। कभी दिल्ली में कारोबारी रहे ‘गोल्डन बाबा’ के नाम से मशहूर इस साधु के दर्शन कावंडियों के साथ-साथ आम जनता भी करना चाहती हैं। हो भी क्यों. न, बाबा चलती-फिरती सोने की दुकान जो हैं। उनके बदन पर सोने के लॉकेट, महंगे रत्नों से जड़े कड़े और अंगूठियों का वजह ही 13.5 किलो है। बाजार में इतने सोने की कीमत लगभग 4 करोड़ रुपए बैठती है।
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इसके अलावा बाबा 27 लाख रुपए की हीरे की घड़ी भी पहनते हैं जो कि खासतौर पर बनाई गई है। बाबा की लोकप्रियता अब इतनी बढ़ गई है कि विभिन्नए शहरों से गुजरने पर लोग उनकी एक झलक पाने को घंटों इंतजार करते हैं। बुधवार को बाबा मेरठ पहुंच गए। उनके बेड़े में एक मिनी ट्रक है जिसके पीछे गाडिय़ों में करीब 200 अनुयाई साथ चलते हैं। दिल्लीर में कारोबारी रहे बाबा हर साल श्रावण के महीने में कांवड़ यात्रा पर जरूर जाते हैं।
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गोल्डन बाबा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कांवड़ यात्रा का राष्ट्रीयकरण हो रहा है। इसी वजह से मैं गोल्डन पहन कर यात्रा में निकला हूं। ताकि अधिक से अधिक लोग यात्रा से जुड़े। उनकी इच्छाह है जन जन तक बम बम भोले का जयकारा पहुंचे। बाबा कहते हैं यात्रा में बजने वाले देश भक्ति गीतों के साथ 90 प्रतिशत कांवड़ों पर लगा तिरंगा इसका प्रतीक है। शिव की आराधना के साथ देशभक्ति का जज्बा बढ़ता जा रहा है, यह अच्छा संकेत है।
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हरिद्वार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बाबा का फूल माला पहनाकर स्वागत किया था।
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बाबा के हाथों में मोटी अंगूठी के अलावा गले में चेन और लॉकेट है। यात्रा पूरी तरह से हाईटेक है। लग्जरी गाड़ी बाबा के साथ चल रही हैं। बाबा की यह 24वीं कांवड़ यात्रा है। उन्हों ने कहा है कि आखिरी सांस तक वह कांवड़ लाएंगे।
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बाबा का असली नाम सुधार कुमार मक्कड़ है।
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वे कहते हैं, ”यह मेरी 24वीं कांवड़ यात्रा है। मैं दिल्ली में कपड़ों का व्या पार करता था, लेकिन एक दिन मैंने महसूस किया कि मैंने ढेरों पाप किए हैं। प्रायश्चित करने के लिए मैंने साधु बनने का फैसला किया और जरूरतमंदों की मदद करना शुरू कर दिया। हर साल, मैं कम से कम 200 लड़कियों की शादी का पूरा खर्च वहन करता हूं। जो सोना मैं पहनता हूं, उन पर देव-देवियों की तस्वीनरें उकेरी गई हैं। यह सब मुझे मेरे अनुयायियों की तरफ से मिला है।”
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बाबा इतना सोना क्यों पहनते हैं, ये पूछने पर वह बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही सोना पंसद था।
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कमाई करते हुए ही उन्हों काफी सोना खरीद लिया था। अब वह दान पर जीवित रहते हैं, लेकिन दान में भी ज्याईदातर सोना ही मिलता है क्योंकि उनके अनुयायी जानते हैं कि उन्हें क्या पंसद है।
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चार करोड़ का सोना पहन कांवड़ लेकर निकले गोल्डन बाबा
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चार करोड़ का सोना पहन कांवड़ लेकर निकले गोल्डन बाबा