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मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला का जन्म 14 मार्च 1972 को हुआ था। वह 16 सालों तक अनशन रखने की वजह से चर्चा में आई। इरोम शर्मिला सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को खत्म करने की मांग को लेकर पिछले 16 सालों से अनशन कर रही थी।
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उन्होने 'जस्ट पीस' फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन के साथ मिलकर कानून के खिलाफ भूख हड़ताल की थी। मंगलवार को उन्होंने अपना 16 सालों से जारी अनशन खत्म कर दिया है। उन्हें जीवीत रखने के लिए अस्पताल में उन्हें 16 साल से नाक की ट्यूब के जरिए जबरन खाना दिया जा रहा था।
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2 नवंबर 2000 से शुरू हुआ उनका यह संघर्ष अभियान इसलिए शुरू हुआ क्योंकि मणिपुर की राजधानी इंफाल मे बस का इंतजार कर रहे 10 लोगों को मालोम में असम राइफल्स के जवानों ने मार दिया था। ये लोग स्टॉप पर बस के इंतजार में खड़े थे। मरने वालों में दो नेशनल ब्रेवरी अवार्ड विजेता भी थे। इस घटना के बाद इरोम शर्माला इतनी दुखी हुई कि उन्होंने विशेषाधिकार अधिनियम को खत्म करने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी।
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मंगलवार को भूख हड़ताल खत्म करने के साथ-साथ इरोम ने राजनीति में आने और विवाह करने की बात का खुलासा भी किया है। उन्होंने यह भी बताया अगले साल होने वाले मणिपुर विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वह चुनाव लड़ेंगी। इरोम चानू शर्मिला का नाम दुनिया में सबसे लंबे समय तक भूख हड़ताल करने के लिए दर्ज है।
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भूख हड़ताल के दौरान इरोम शर्मिला को कई बार IPC की धारा 309 (आत्महत्या की कोशिश) के आरोप मे जेल भेजा गया। लेकिन वह कभी भी नहीं झुकी और उन्होने अपना अनशन जारी रखा। कुछ वक्त तक वह इम्फाल के जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल में रही, उन्हें नाक में लगी नली के जरिए खाना खिलाया जाता है और उसी वार्ड मे उनके लिए एक विशेष जेल बनाई गई थी।
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शर्मिला ने जब यह भूख हड़ताल शुरू की थी तब वह 27 साल की थीं और अब वह 44 साल की है। उन्होंने अपनी जवानी विशेषाधिकार अधिनियम के संघर्ष के नाम कर दी, लेकिन अब वह भारतीय ब्रिटिश नागरिक से शादी करेंगी। आपको बता दें कि उन्होंने भूख हड़ताल के दौरान कभी बालों में कंघी का इस्तेमाल नहीं किया। अपने दांत को भी वह कपड़े से साफ करती थीं, जिससे भूख हड़ताल करने का उनका प्रण कायम रहे।
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'जस्ट पीस' फाउंडेशन ट्रस्ट के जरिए इरोम शर्मिला को आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने मणिपुर की लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का निमंत्रण दिया था ,जिसे उन्होंने अस्वीकार कर लिया था।
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भूख हड़ताल के दौरान तीसरे ही दिन सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। लोगों को मानना था उन्होंने यह कदम भावुकता में उठाया है, लेकिन समय के साथ इरोम शर्मिला के इस संघर्ष को देखते हुए लोगों कि यह गलतफहमी भी दूर हो गई।
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इरोम चानू शर्मिला को MSN ने 2014 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर वूमन आइकन ऑफ इंडिया का खिताब दिया था। कानून के लिए बेशक वह एक आत्महत्या के प्रयास की आरोपी है पर लोगों के लिए वह एक मसीहा से कम नहीं हैं। उनका कहना है "मैं जिंदगी से प्यार करती हूं। मैं अपनी जिंदगी खत्म करना नहीं चाहती हूं लेकिन मुझे न्याय और शांति चाहिए"