पिछले कुछ वर्षों में नॉर्मल की जगह सिजेरियन डिलीवरी की संख्या तेजी से बढ़ी है। आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि बदलती लाइफ स्टाइल और खराब खान पान इसके लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार है। ऐसे में चलिए जानते हैं किन बातों को ध्यान में रखकर प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी की जा सकती है
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डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक श्रम कम करती हैं उनके लिए नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना कम होती जाती है। महिलाओं को यह बात समझनी चाहिए कि प्रेगनेंसी कोई बीमारी नहीं है इसलिए आप शारीरिक श्रम जितना कम करेंगी आपका वजन उतनी ही तेजी से बढ़ेगा। बाहर का पैकेज्ड खाना खाने से भी कई तरह की समस्या हो सकती है।
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कई बार तनाव की वजह से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नाकारात्मक असर पड़ता है इससे बचने के लिए महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से हल्का फुल्का योग और मेडिटेशन करना चाहिए। गर्भवती महिला की मानसिक स्थिति का असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी होता है और डिलीवरी पर भी इसलिए आपको तनावमुक्त रहने की कोशिश करनी चाहिए।
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प्रेगनेंट महिला के गर्भ में बच्चा हमेशा एक थैली के अंदर होता है, जिसे एमनियोटिक फ्लूड कहा जाता है। भ्रूण के अंदर ऊर्जा का संचार इसी के माध्यम से होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को कभी भी शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। अगर आप नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो रोजाना करीब 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं।
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महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें अपनी डाइट का ख्याल रखना चाहिए लेकिन महिलाओं को इस समय भूख मिटाने से ज्यादा उचित मात्रा में पोषक तत्वों के सेवन पर ध्यान देना चाहिए। डिलीवरी के दौरान महिला के शरीर से बहुत ज्यादा मात्रा में ब्लड लॉस होता है इसलिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में आयरन और कैल्शियम अवश्य लेना चाहिए जिससे बाद में कमजोरी या खून की कमी ना हो।
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प्रेग्नेंट महिलाओं को बहुत ही सावधानी पूर्वक निरीक्षण करके डॉक्टर का चुनाव करना चाहिए। अगर आप सिजेरियन डिलीवरी से बचना चाहती हैं तो इन बातों का ध्यान रखते हुए एक ऐसे डॉक्टर का चुनाव करें जो प्रतिदिन ज्यादा से ज्यादा मामले में नॉर्मल डिलीवरी करता हो।