दिवाली की रात जो दीपक आप माता लक्ष्मी के पूजन के लिए जलाते हैं उससे काजल बनाने की मान्यता है। इस परंपरा को ज्यादातर लोग मानते हैं। दिवाली की सुबह इस काजल को घर के बच्चों और बड़ों सभी की आंखों में लगाया जाता है। इसके पीछे के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं।
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सबसे पहले जान लें कि कैसे दिवाली की रात दीए से काजल बनाते हैं। इसके लिए साफ दीपक लें। उसमें मोटी बत्ती बनाकर लगाएं। अब दीये में सरसों का तेल या फिर घी भर लें। बत्ती को तेल में डुबाकर जलाएं। अब दीपक के ऊपर कोई स्टील की प्लेट या दूसरा बर्तन रख दें।
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दीपक की लौ जब प्लेट के ऊपर पड़ेगी तो वहां काला धुआं काजल बनकर चिपकता रहेगा। लंबे समय तक ऐसे ही दीपक जलता रहेगा तो काली परत और भी मोटी होती जाएगी। अब प्लेट को ठंडा होने पर काले पाउडर जैसे पदार्थ को इकट्ठा कर लें। इसमें 1-2 बूंद शुद्ध देसी घी मिला लें।
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घर का बना शुद्ध काजल तैयार है। इस काजल को घर के सभी सदस्यों की आंखों में लगाएं। बचे हुए काजल को आप किसी छोटे डब्बे में भरकर रख लें। ये काजल क्योंकि बहुत ही शुद्ध होता है। इसलिए इसे कभी-कभी आंखों की सफाई करने के लिए लगा सकते हैं।
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धार्मिक मान्यता है कि दिवाली वाली रात में बने काजल को आंखों में लगाने से घर के सदस्यों की सारी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। इस काजल को लगाने से आप अपने परिवार को बुरी नजर से बचाते हैं। कहा जाता है इस काजल को लगाने से भाग्य में वृद्धि होती है और घर में सुख समृद्धि आती है।
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वैज्ञानिक कारण ये है कि दिवाली की रात बहुत पटाखे जलाए जाते हैं। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। इससे आंखों में जलन और आंखें लाल होने लगती हैं। ऐसें जब आप काजल लगाते हैं तो इससे प्रदूषण से हमारी आंखों की रक्षा होती है।