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नहीं रहे निरंकारी बाबा, सड़क हादसे में हुआ निधन

India TV News Desk
Updated on: May 13, 2016 14:12 IST
  • निरंकारी समाज के धर्मगुरु हरदेव सिंह निरंकारी का कनाडा मॉन्ट्रियल में एक सड़क हादसे में निधन हो गया है।
    निरंकारी समाज के धर्मगुरु हरदेव सिंह निरंकारी का कनाडा मॉन्ट्रियल में एक सड़क हादसे में निधन हो गया है।
  • निरंकारी बाबा के भक्त अशोक काका ने इंडिया टीवी को बताया कि बाबा हरदेव सिंह निरंकारी का कनाडा में कार एक्सीडेंट में निधन हो गया है।
    निरंकारी बाबा के भक्त अशोक काका ने इंडिया टीवी को बताया कि बाबा हरदेव सिंह निरंकारी का कनाडा में कार एक्सीडेंट में निधन हो गया है।
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अशोक काका ने बताया कि जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त उनके दो दामाद उनके साथ थे।
    अशोक काका ने बताया कि जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त उनके दो दामाद उनके साथ थे।
  • इस हादसे में उनके एक दामाद भी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और इस वक्त वेंटीलेटर पर हैं।
    इस हादसे में उनके एक दामाद भी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और इस वक्त वेंटीलेटर पर हैं।
  • सन्त निरंकारी मिशन के तीसरे गुरु के रूप में बाबा गुरुवचन सिंह जी महाराज का नाम भी अविस्मरणीय है।
    सन्त निरंकारी मिशन के तीसरे गुरु के रूप में बाबा गुरुवचन सिंह जी महाराज का नाम भी अविस्मरणीय है।
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बाबा गुरुवचन सिंह जी का जन्म 10 दिसम्बर 1930 ई. को पेशावर में हुआ। इनमें बचपन से ही ऐसे गुण देखने को मिलने लगे थे जो साधारण बालकों से अलग थे।
    बाबा गुरुवचन सिंह जी का जन्म 10 दिसम्बर 1930 ई. को पेशावर में हुआ। इनमें बचपन से ही ऐसे गुण देखने को मिलने लगे थे जो साधारण बालकों से अलग थे।
  • वह बचपन से ही दूसरों के दुख-दर्द को अपना मान उन्हें समझने की क्षमता रखते थे। वह सभी से प्रेम करते थे और निंदा, बैर, नफरत आदि से दूर थे।
    वह बचपन से ही दूसरों के दुख-दर्द को अपना मान उन्हें समझने की क्षमता रखते थे। वह सभी से प्रेम करते थे और निंदा, बैर, नफरत आदि से दूर थे।
  • बाबा जी ने मिडिल क्लास तक की शिक्षा पेशावर में और फिर मैट्रिक तक की शिक्षा रावलपिण्डी में खालसा स्कूल में प्राप्त की।
    बाबा जी ने मिडिल क्लास तक की शिक्षा पेशावर में और फिर मैट्रिक तक की शिक्षा रावलपिण्डी में खालसा स्कूल में प्राप्त की।
  • 1947 में भारत का विभाजन होने पर वो अपनी आगे की शिक्षा को जारी नहीं रख सके, लेकिन जीवन में जिस अनुभव और चिन्तन को शिक्षा के माध्यम से प्राप्त करना होता है वो उन्होंने कर्मठता और मौलिक चिन्तन के बल पर हासिल किया।
    1947 में भारत का विभाजन होने पर वो अपनी आगे की शिक्षा को जारी नहीं रख सके, लेकिन जीवन में जिस अनुभव और चिन्तन को शिक्षा के माध्यम से प्राप्त करना होता है वो उन्होंने कर्मठता और मौलिक चिन्तन के बल पर हासिल किया।
  • बाबा गुरुवचन सिंह जी भी दिसम्बर 1962 में सद्गुरु रूप में प्रकट होने के साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ते चले गए।
    बाबा गुरुवचन सिंह जी भी दिसम्बर 1962 में सद्गुरु रूप में प्रकट होने के साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ते चले गए।
  • निरंकारी बाबा ने कहा था कि उन्हें काली, पीली या नीली झंडियों से कभी भी दुःख महसूस नहीं हुआ, लेकिन जब किसी भी मनुष्य का खून बहता है, तो उन्हें बहुत दुख होता है। फिर चाहे वह मनुष्य हमारा साथी हो या विरोधी। मनुष्य का खून किसी भी हालत में नहीं बहना चाहिए।
    निरंकारी बाबा ने कहा था कि उन्हें काली, पीली या नीली झंडियों से कभी भी दुःख महसूस नहीं हुआ, लेकिन जब किसी भी मनुष्य का खून बहता है, तो उन्हें बहुत दुख होता है। फिर चाहे वह मनुष्य हमारा साथी हो या विरोधी। मनुष्य का खून किसी भी हालत में नहीं बहना चाहिए।