त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।। मंदिर के बाहर एक हाल में हवन कुंड में अग्नि लगातार जलती रहती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ये वहीं अग्नि है जिसके फेरे लेकर शिव-पार्वती विवाह संपन्न हुआ था।।पुजारियों के अनुसार कई युगों से इस अग्नि को जलाकर रखा जाता रहा है। यही कारण है कि इस स्थान को अत्यंत पवित्र माना जाता है। कई जोडे दूर दूर से इस मंदिर में विवाह बंधन में बंधने के लिए खासतौर पर आते हैं। मंदिर के बाहर जिस जगह विवाह पूर्ण होता है उस स्थल को ब्रह्म शिला का जाता है। बाद में हवन कुंड में प्रज्वलित अग्नि के सात फेरे लेने के बाद विवाह संपूर्ण होता है।
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हनुमान जी का ये सिद्ध मंदिर गुजरात के सारंगपुर में स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी के भक्त उन्हें दादा के नाम से भी पुकारते हैं। इस मंदिर को बजरंगबली के अत्यंत सिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी के दर्शन करने से शनिदेव की भी खास कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि शनिदेव ने खुद हनुमान जी को वचन दिया था कि जो कोई भी हनुमान जी की भक्ति करेगा उसपर शनि देव भी कृपा करेंगे। इस मंदिर में हनुमान जी के सामने शीश नवाने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यही वजह है दूर दूर से लोग अपने कष्टों की निवारण के लिए यहां दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं।
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उज्जैन में बाबा महाकाल को पहले भस्म से स्नान कराया जाता है उसके बाद पंच स्नान कर बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाता है और फिर दिव्य आरती की जाती है। बाबा के भक्त दूर दूर से इस आरती में सम्मिलित होने पहुंचते हैं।
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जम्मू में स्थित शिव भगवान को समर्पित शिव खोड़ी धाम वास्तव में एक प्राचीन गुफा है। जिसमें भगवान शिव का मंदिर बना हुआ है। मान्यता है कि ये वही स्थान है जहां भस्मासुर भस्म हुआ था। यहां भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप विराजमान है और यहां पूरे शिव परिवार के दर्शन होते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि यहां 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है और आकर दर्शन करने पर स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं, क्योंकि इस गुफा का एक रास्ता सीधा स्वर्ग लोक को जाता है। यहां बने शिवलिंग की ऊंचाई लगभग साढ़े तीन फीट है।
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ये गणेश मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास बने इस मंदिर में स्थापित गणपति जी की प्रतिमा विश्व भर में स्थापित विशाल मूर्तियों में से एक मानी जाती है। खास बात ये है कि विघ्नहर्ता के ये मूर्ति सीमेंट की नहीं बल्कि ईंट, चूना, बालू गुड़ और मेथी दानों की बनी है। मूर्ति निर्माण में सभी पवित्र तीर्थ स्थलों का जल और सात पुरियों की मिट्टी भी मिलाई गई है। यही कारण है कि इस मंदिर को अत्यंत पवित्र माना जाता है।