Saturday, November 23, 2024
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जानें हिमाचल प्रदेश के 5 सबसे ख़तरनाक रुट

India TV News Desk
Updated on: June 02, 2016 18:48 IST
  • चलती का नाम ही ज़िंदगी है और इस जिंदगी को जीने के लिए सफ़र करना जरूरी है। कई लोग एडवैंचर के दीवाने होते हैं। खतरों से खेलने का शौक रखने वाले इस बात की परवाह भी नहीं करते कि सफर कितना कठिनाइयों से भरा होगा। हिमाचल प्रदेश भी एक ऐसा राज्य है जहां खूबसूरती चारों तरफ बिखरी पड़ी है लेकिन वहां पहुंचने के लिए आपको गुज़रना पड़ेगा ख़तरनाक रास्तों से। हम पांच ऐसा रोड बताने जा रहे हैं जहां जाने के साथ-साथ वापिस आना उससे भी मुश्किल होता है।
    चलती का नाम ही ज़िंदगी है और इस जिंदगी को जीने के लिए सफ़र करना जरूरी है। कई लोग एडवैंचर के दीवाने होते हैं। खतरों से खेलने का शौक रखने वाले इस बात की परवाह भी नहीं करते कि सफर कितना कठिनाइयों से भरा होगा। हिमाचल प्रदेश भी एक ऐसा राज्य है जहां खूबसूरती चारों तरफ बिखरी पड़ी है लेकिन वहां पहुंचने के लिए आपको गुज़रना पड़ेगा ख़तरनाक रास्तों से। हम पांच ऐसा रोड बताने जा रहे हैं जहां जाने के साथ-साथ वापिस आना उससे भी मुश्किल होता है।
  • पागल नाला
शिमला किन्नौर मार्ग पर इस नाले को इसके घातक बहाव के लिए पागल नाला कहा जाता है। यह हमेशा सूखा रहता है। मगर अचानक ‌कभी भी इतना तेज बहाव आता है कि इसके नीचे से गुजरने वाले बसें और ट्रक तक बह जाते हैं। इसे सुबह से दोपहर तक ही पार किया जा सकता है उसेक बाद यहां सफ़र करना नामुमकिन है। दरअसल दोपहर आते आते आसपास के पर्वतों से बर्फ़ पिघलने लगती है जिससे ये रास्ता अच्छी ख़ासी उफ़नती नदी में तब्दील हो जाता है। बेहतर होगा आप इसे दोपहर 12 के पहले पार कर लें।
    पागल नाला शिमला किन्नौर मार्ग पर इस नाले को इसके घातक बहाव के लिए पागल नाला कहा जाता है। यह हमेशा सूखा रहता है। मगर अचानक ‌कभी भी इतना तेज बहाव आता है कि इसके नीचे से गुजरने वाले बसें और ट्रक तक बह जाते हैं। इसे सुबह से दोपहर तक ही पार किया जा सकता है उसेक बाद यहां सफ़र करना नामुमकिन है। दरअसल दोपहर आते आते आसपास के पर्वतों से बर्फ़ पिघलने लगती है जिससे ये रास्ता अच्छी ख़ासी उफ़नती नदी में तब्दील हो जाता है। बेहतर होगा आप इसे दोपहर 12 के पहले पार कर लें।
  • सच्च पास पांगी, चंबा
चंबा ज़िले में 4,420 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सच्च दर्रा। सड़क कच्ची और बेहद सकरी है। दरअसल ये पांगी घाटी का मुख्यद्वार है। देखने में लगता है मानों यहां सड़क बिछी नहीं बल्कि खड़ी हुई है और यही वजह है कि एडवैंचर के शौकीन बाइकर्स का यहां बाइक चलाना सपना होता है।
    सच्च पास पांगी, चंबा चंबा ज़िले में 4,420 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सच्च दर्रा। सड़क कच्ची और बेहद सकरी है। दरअसल ये पांगी घाटी का मुख्यद्वार है। देखने में लगता है मानों यहां सड़क बिछी नहीं बल्कि खड़ी हुई है और यही वजह है कि एडवैंचर के शौकीन बाइकर्स का यहां बाइक चलाना सपना होता है।
  • कुल्लू टू काज़ा, स्पिति घाटी
कुल्लू और काज़ा के बीच एक किमी का पथरीला रास्ता है। दोनों तरफ पहाड़ हैं जहां से भर्फ पिघलती है और उसी के साथ चट्टानें भी नीचे गिरने लगती हैं। इस वजह से रास्ता चट्टानों से बंद हो जाता है और हर साल इन्हें हटाना पड़ता है। ये इलाक़ा काभी कठिनाईयों भरा है जो हर थोड़ी दूरी पर बदल जाता है। यहां हरियाली नहीं के बराबर है। सड़के ऐसी हैं कि कमज़ोर दिल वाले यहां से दूर ही रहें तो बेहतर है।
    कुल्लू टू काज़ा, स्पिति घाटी कुल्लू और काज़ा के बीच एक किमी का पथरीला रास्ता है। दोनों तरफ पहाड़ हैं जहां से भर्फ पिघलती है और उसी के साथ चट्टानें भी नीचे गिरने लगती हैं। इस वजह से रास्ता चट्टानों से बंद हो जाता है और हर साल इन्हें हटाना पड़ता है। ये इलाक़ा काभी कठिनाईयों भरा है जो हर थोड़ी दूरी पर बदल जाता है। यहां हरियाली नहीं के बराबर है। सड़के ऐसी हैं कि कमज़ोर दिल वाले यहां से दूर ही रहें तो बेहतर है।
  • चंबा टू किल्लाड़, पांगी घाटी
पांगी घाटी प्रदेश के सबे दूरदराज के इलाकों में गिनी जाती है जहां विकास नहीं के बराबर हुआ है। लोगों का कहना है कि ड्राइव करके किल्लाड़ जाने का मतलब है मौत को दावत देना हालंकि वादियों की ख़ूबसूरती का जवाब नहीं। यहां कई बार वाहन घंटों फंस जाते हैं। सड़कें संकरी हैं और ज़रा सी असावधानी आपको नीचे का रास्ता दिखा सकती है। सड़कों की हालत भी पतली है।
    चंबा टू किल्लाड़, पांगी घाटी पांगी घाटी प्रदेश के सबे दूरदराज के इलाकों में गिनी जाती है जहां विकास नहीं के बराबर हुआ है। लोगों का कहना है कि ड्राइव करके किल्लाड़ जाने का मतलब है मौत को दावत देना हालंकि वादियों की ख़ूबसूरती का जवाब नहीं। यहां कई बार वाहन घंटों फंस जाते हैं। सड़कें संकरी हैं और ज़रा सी असावधानी आपको नीचे का रास्ता दिखा सकती है। सड़कों की हालत भी पतली है।
  • मनाली टू किन्नौर
मनाली और किन्नौर के बीच पहाड़ का सीना चीर कर बनाई गई सड़क और उसके साथ-साथ चलती एक नदी की धारा ही दिल की धड़कनें बढ़ाने के लिए काफ़ी है। ये विश्व की सबसे ऊंचाई पर बनी हुी----- सड़क है जो 18,380 फुट ऊंचाई पर है। देखने में तो बहुत सुंदर है लेकिन ड्राइव करते समय कलेजा मुंह को आ जाता है। कई जगह तो ब्लाइंड मोड़ हैं जो बहुत ख़तरनाक हैं। संकरी सड़क होने की वजह से दो वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है। यहां ऑक्सीजन भी कम होती है।
    मनाली टू किन्नौर मनाली और किन्नौर के बीच पहाड़ का सीना चीर कर बनाई गई सड़क और उसके साथ-साथ चलती एक नदी की धारा ही दिल की धड़कनें बढ़ाने के लिए काफ़ी है। ये विश्व की सबसे ऊंचाई पर बनी हुी----- सड़क है जो 18,380 फुट ऊंचाई पर है। देखने में तो बहुत सुंदर है लेकिन ड्राइव करते समय कलेजा मुंह को आ जाता है। कई जगह तो ब्लाइंड मोड़ हैं जो बहुत ख़तरनाक हैं। संकरी सड़क होने की वजह से दो वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है। यहां ऑक्सीजन भी कम होती है।