Wednesday, April 23, 2025
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कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स क्या अंतर होता है, इन 5 बातों से समझ लें

Bharti Singh Written By: Bharti Singh @bhartinisheeth Published on: March 28, 2025 12:16 IST
  • कोलेस्ट्रॉल एक तरह का लिपिड है, जिसका काम शरीर की कोशिकाओं को रिपेयर करना और हार्मोन में बदलाव करना होता है। जबकि ट्राइग्लिसराइड्स का काम शरीर को ऊर्जा देने और कैलोरी को इकट्ठा करने का होता है।
    Image Source : Freepik
    कोलेस्ट्रॉल एक तरह का लिपिड है, जिसका काम शरीर की कोशिकाओं को रिपेयर करना और हार्मोन में बदलाव करना होता है। जबकि ट्राइग्लिसराइड्स का काम शरीर को ऊर्जा देने और कैलोरी को इकट्ठा करने का होता है।
  • कोलेस्ट्रॉलशरीर की कोशिकाओं की वॉल्स को रिपेयर करता है और कुछ हार्मोन बनता है। जबकि ट्राइग्लिसराइड्स हमें रोजाना के काम करने के लिए ऊर्जा देता है और भविष्य के लिए ऊर्जा को स्टोर करता है।
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    कोलेस्ट्रॉलशरीर की कोशिकाओं की वॉल्स को रिपेयर करता है और कुछ हार्मोन बनता है। जबकि ट्राइग्लिसराइड्स हमें रोजाना के काम करने के लिए ऊर्जा देता है और भविष्य के लिए ऊर्जा को स्टोर करता है।
  • कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में लिपोप्रोटीन से हमारे खून में पहुंचता है। जबकि ट्राइग्लिसराइड्स फैट का ही एक रूप है जो हमारे शरीर में खाने पीने के जरिए पहुंचता है।
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    कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में लिपोप्रोटीन से हमारे खून में पहुंचता है। जबकि ट्राइग्लिसराइड्स फैट का ही एक रूप है जो हमारे शरीर में खाने पीने के जरिए पहुंचता है।
  • कोलेस्ट्रॉल में बैड कोलेस्ट्रॉल यानि LDL के बढ़ने से हार्ट से जुड़ी बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा पैदा होता है। वहीं ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने से हार्ट की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है।
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    कोलेस्ट्रॉल में बैड कोलेस्ट्रॉल यानि LDL के बढ़ने से हार्ट से जुड़ी बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा पैदा होता है। वहीं ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने से हार्ट की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है।
  • खाने में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट की मात्रा कम करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप अपने डेली के खाने में कार्ब्स और अतिरिक्त कैलोरी का सेवन कम करते हैं तो इससे बढ़े हुए ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को भी कम किया जा सकता है।
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    खाने में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट की मात्रा कम करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप अपने डेली के खाने में कार्ब्स और अतिरिक्त कैलोरी का सेवन कम करते हैं तो इससे बढ़े हुए ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को भी कम किया जा सकता है।