Friday, November 01, 2024
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जब वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तो कौन कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?

Bharti Singh Written By: Bharti Singh @bhartinisheeth Published on: October 28, 2024 14:11 IST
  • हर साल दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों को खतरनाक वायु प्रदूषण झेलना पड़ता है। वायु प्रदूषण बढ़ते ही सांस, त्वचा और आंखों से जुड़ी समस्याएं होने लगती है। बढ़ते प्रदूषण का फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रदूषित वातावरण में रहने वाले लोगों के दिल और फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। WHO की मानें तो वायु प्रदूषण कई गंभीर बीमारियों की वजह बनता जा रहा है।
    Image Source : Freepik
    हर साल दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों को खतरनाक वायु प्रदूषण झेलना पड़ता है। वायु प्रदूषण बढ़ते ही सांस, त्वचा और आंखों से जुड़ी समस्याएं होने लगती है। बढ़ते प्रदूषण का फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रदूषित वातावरण में रहने वाले लोगों के दिल और फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। WHO की मानें तो वायु प्रदूषण कई गंभीर बीमारियों की वजह बनता जा रहा है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां तेजी से पनप रही हैं। जिसमें खासतौर से सांस लेने में तकलीफ की समस्या, सीने में दबाव, खांसी और कले की समस्या हो रही हैं। इसका कारण वायु प्रदूषण है जिसकी वजह से श्वसन नलियों में रुकावट पैदा होने लगती है। एलर्जी के कारण सांस नली में सूजन आ जाती है दमा के रोगियों की मुश्किल बढ़ जाती है।
    Image Source : PTI
    बढ़ते प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां तेजी से पनप रही हैं। जिसमें खासतौर से सांस लेने में तकलीफ की समस्या, सीने में दबाव, खांसी और कले की समस्या हो रही हैं। इसका कारण वायु प्रदूषण है जिसकी वजह से श्वसन नलियों में रुकावट पैदा होने लगती है। एलर्जी के कारण सांस नली में सूजन आ जाती है दमा के रोगियों की मुश्किल बढ़ जाती है।
  • फेफड़ों को वायु प्रदूषण बीमार बना रहा है। बढ़ते प्रदूषण ने लंग कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा दिया है। कई रिसर्च में ये पता चला है कि लगातार प्रदूषित हवा में रहने वाले लोगों को फेफड़ों की जुड़ी बीमारी और कैंसर का रिस्क काफी ज्यादा होता है। दिसमें नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा है।
    Image Source : PTI
    फेफड़ों को वायु प्रदूषण बीमार बना रहा है। बढ़ते प्रदूषण ने लंग कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा दिया है। कई रिसर्च में ये पता चला है कि लगातार प्रदूषित हवा में रहने वाले लोगों को फेफड़ों की जुड़ी बीमारी और कैंसर का रिस्क काफी ज्यादा होता है। दिसमें नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा है।
  • वायु प्रदूषण हार्ट अटैक का भी कारण बनता है। जो लोग लंबे समय तक दूषित हवा में सांस लेते हैं उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। दवा में बारीक पीएम 2.5 के कण शरीर में जाते हैं और खून में जाकर धमनियाों में सूजन का कारण बनते हैं। जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
    Image Source : PTI
    वायु प्रदूषण हार्ट अटैक का भी कारण बनता है। जो लोग लंबे समय तक दूषित हवा में सांस लेते हैं उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। दवा में बारीक पीएम 2.5 के कण शरीर में जाते हैं और खून में जाकर धमनियाों में सूजन का कारण बनते हैं। जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
  • वायु प्रदूषण के कारण त्वचा से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ लोगों को खुजली, एलर्जी और लाल चकत्ते जैसे होने लगते हैं। इसके अलावा आंखों में इंफेक्शन होना भी प्रदूषण का असर है। आंखों में जलन होना, आंखें लाल होने भी वायु प्रदूषण का सेहत पर बुरा असर है। नाक, गला और फेफड़ों पर प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है
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    वायु प्रदूषण के कारण त्वचा से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ लोगों को खुजली, एलर्जी और लाल चकत्ते जैसे होने लगते हैं। इसके अलावा आंखों में इंफेक्शन होना भी प्रदूषण का असर है। आंखों में जलन होना, आंखें लाल होने भी वायु प्रदूषण का सेहत पर बुरा असर है। नाक, गला और फेफड़ों पर प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है
  • वायु प्रदूषण के कारण सांस से जुड़ी समस्याएं सबसे ज्यादा होती है। बच्चों और बुजुर्गों को ये समस्या ज्यादा परेशान कर सकती है। वहीं WHO के मुताबिक क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक ऐसी सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। इस बीमारी में सांस लेने में मुश्किल होती है।
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    वायु प्रदूषण के कारण सांस से जुड़ी समस्याएं सबसे ज्यादा होती है। बच्चों और बुजुर्गों को ये समस्या ज्यादा परेशान कर सकती है। वहीं WHO के मुताबिक क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक ऐसी सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। इस बीमारी में सांस लेने में मुश्किल होती है।