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तनोट मंदिर: पाक ने बरसाए बम लेकिन न आई मां के मंदिर में एक भी खरोंच

India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 20, 2015 18:30 IST
  • तनोट मंदिर: पाक ने बरसाए बम लेकिन न आई मां के मंदिर में एक भी खरोंच
    Image Source : INDIATV_KHABAR
    तनोट मंदिर: पाक ने बरसाए बम लेकिन न आई मां के मंदिर में एक भी खरोंच
  • तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से करीब 130 किलो मीटर दूर भारत - पाकिस्तान बॉर्डर के निकट स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है।
    Image Source : INDIATV_KHABAR
    तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से करीब 130 किलो मीटर दूर भारत - पाकिस्तान बॉर्डर के निकट स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है।
  • तनोट माता को आवड माता के नाम से भी जाना जाता है तथा यह हिंगलाज माता का ही एक रूप है।
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    तनोट माता को आवड माता के नाम से भी जाना जाता है तथा यह हिंगलाज माता का ही एक रूप है।
  • 1965 कि लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं ला सके, यहाँ तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं।
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    1965 कि लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं ला सके, यहाँ तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं।
  •  ये बम अब मंदिर परिसर में बने एक संग्रहालय में भक्तो के दर्शन के लिए रखे हुए है।
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    ये बम अब मंदिर परिसर में बने एक संग्रहालय में भक्तो के दर्शन के लिए रखे हुए है।
  • इसके अलावा एक बार फिर 4 दिसंबर 1971 कि रात को पंजाब रेजिमेंट और सीमा सुरक्षा बल कि एक कंपनी ने मां कि कृपा से लोंगेवाला में पाकिस्तान कि पूरी टैंक रेजिमेंट को धूल चटा दी थी और लोंगेवाला को पाकिस्तानी टैंको का कब्रिस्तान बना दिया था। यह भी तनोट माता क
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    इसके अलावा एक बार फिर 4 दिसंबर 1971 कि रात को पंजाब रेजिमेंट और सीमा सुरक्षा बल कि एक कंपनी ने मां कि कृपा से लोंगेवाला में पाकिस्तान कि पूरी टैंक रेजिमेंट को धूल चटा दी थी और लोंगेवाला को पाकिस्तानी टैंको का कब्रिस्तान बना दिया था। यह भी तनोट माता क
  • लोंगेवाला की जीत के बाद मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण किया गया जहा अब हर वर्ष 16 दिसंबर को सैनिको कि याद में उत्सव मनाया जाता है।
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    लोंगेवाला की जीत के बाद मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण किया गया जहा अब हर वर्ष 16 दिसंबर को सैनिको कि याद में उत्सव मनाया जाता है।
  • जहां पर साल नवरात्र में विशाल मेला का आयोजन भी किया जाता है। सैकड़ो की सख्या में भक्त यहां पहुचतें है।
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    जहां पर साल नवरात्र में विशाल मेला का आयोजन भी किया जाता है। सैकड़ो की सख्या में भक्त यहां पहुचतें है।
  • 1965 कि लड़ाई के बाद इस मंदिर का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल ( BSF ) ने ले लिया और यहां अपनी एक चौकी भी बना ली।
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    1965 कि लड़ाई के बाद इस मंदिर का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल ( BSF ) ने ले लिया और यहां अपनी एक चौकी भी बना ली।