Friday, November 22, 2024
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रहमत, बरक़त की रात शब-ए-बरात, जानिए कुछ खास बातें

India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 22, 2016 12:00 IST
  • इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार जो आंठवा महीना होता है, उसे शबान कहते है। और शबान महीने की 15वीं तारीख शब ए बरात के नाम से जानी जाती है। यह रात कई मायने में खास होती है। यह रात सिर्फ और सिर्फ इबाबत की रात होती है। यह वो रात होती है तब उनके अल्लाह की उन पर अधिक तवज्जो होती है। ही एक ऐसा मौका होता है जब कोई भी मुस्लमान अपने गुनाह की म़ाफी मांग कर जन्नत जाने की दुआ करता है। साथ ही उन लोगों के लिए भी मग़फिरत की दुआएं मांगते है, जिनकी वफ़ात हो चुकी है। ताकि उन्हें भी हर गुनाह से म़ाफी मिल सकें और जन्नत में जगह मिलें। इस रात को  रहमत, बरक़त और मग़फिरत की रात कहा जाता है।  जानिए खास कुछ  बातें..
    इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार जो आंठवा महीना होता है, उसे शबान कहते है। और शबान महीने की 15वीं तारीख शब ए बरात के नाम से जानी जाती है। यह रात कई मायने में खास होती है। यह रात सिर्फ और सिर्फ इबाबत की रात होती है। यह वो रात होती है तब उनके अल्लाह की उन पर अधिक तवज्जो होती है। ही एक ऐसा मौका होता है जब कोई भी मुस्लमान अपने गुनाह की म़ाफी मांग कर जन्नत जाने की दुआ करता है। साथ ही उन लोगों के लिए भी मग़फिरत की दुआएं मांगते है, जिनकी वफ़ात हो चुकी है। ताकि उन्हें भी हर गुनाह से म़ाफी मिल सकें और जन्नत में जगह मिलें। इस रात को रहमत, बरक़त और मग़फिरत की रात कहा जाता है। जानिए खास कुछ बातें..
  • शब-ए-बरात की रात को रात भर बंदे जागकर इबाबत करते है और मग़फिरत की दुआएं मांगते है। इस दिन लोग कब्रिस्तान जाकर फ़ातिहा पढ़ते हैं। चूंकि इस दिन अल्लाह उन पर निहायत ही मेहरबान होते है, इसलिए इस दिन दिल से मांगी गई हर दुआ को वो कबूल करते है।
    शब-ए-बरात की रात को रात भर बंदे जागकर इबाबत करते है और मग़फिरत की दुआएं मांगते है। इस दिन लोग कब्रिस्तान जाकर फ़ातिहा पढ़ते हैं। चूंकि इस दिन अल्लाह उन पर निहायत ही मेहरबान होते है, इसलिए इस दिन दिल से मांगी गई हर दुआ को वो कबूल करते है।
  • कहा जाता है कि सच्चे दिल से तौबा किया जाएं तो अल्लाहत़ाला अपने बंदो के हर गुनाह को म़ाफ कर देते है। लेकिन इस दिन दो लोगों के गुनाहों की म़ाफी कभी नहीं होती है। एक जो लोगों से दुश्मनी, बुराई, जलन, हसद आदि रखते हैं और दूसरा जिन्होनें किसी का कत्ल किया हो।
    कहा जाता है कि सच्चे दिल से तौबा किया जाएं तो अल्लाहत़ाला अपने बंदो के हर गुनाह को म़ाफ कर देते है। लेकिन इस दिन दो लोगों के गुनाहों की म़ाफी कभी नहीं होती है। एक जो लोगों से दुश्मनी, बुराई, जलन, हसद आदि रखते हैं और दूसरा जिन्होनें किसी का कत्ल किया हो।
  • हजरत अब्दुल्लह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया,
    हजरत अब्दुल्लह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया, "पंद्रहवी शाबान की रात में अल्लाह अपने बंदो का मग़फिरत(गुनाहो की म़ाफी) फरमाते हैं कि सिवाए दो तरह क लोगो के"।
  • कई उलेमा तो यहां तक कहते है कि इस रात को की गई इबाबत एक हजार महिने की गई इबाबत के बराबर होती है। शब-ए-बरात की सारी रात की इबाबत दूसरे दिन फ़जर की नमाज अदा करने के बाद ही पूरी होती है।
    कई उलेमा तो यहां तक कहते है कि इस रात को की गई इबाबत एक हजार महिने की गई इबाबत के बराबर होती है। शब-ए-बरात की सारी रात की इबाबत दूसरे दिन फ़जर की नमाज अदा करने के बाद ही पूरी होती है।
  • इस दिन उन सभी लोगों के लिए दुआएं होती है जो हयात में है और जिनकी वफ़ात हो चुकी हो। इस दिन हलवा बनाकर दुआएं पढ़कर बख्शा जाता है।
    इस दिन उन सभी लोगों के लिए दुआएं होती है जो हयात में है और जिनकी वफ़ात हो चुकी हो। इस दिन हलवा बनाकर दुआएं पढ़कर बख्शा जाता है।
  • इस मुक़द्दस रात के बाद अगले दिन रोज़ा रखा जाता है। जिसका खास महत्व है।
    इस मुक़द्दस रात के बाद अगले दिन रोज़ा रखा जाता है। जिसका खास महत्व है।
  • इस रात को लोग ज्यादा से ज्यादा अस्तग़फार, दरुद शरिफ, कुराने ए पाक, नफिल नमाज़ें पढ़ते-पढ़ते अपनी पूरी रात इबादत में गुजार देते है।
    इस रात को लोग ज्यादा से ज्यादा अस्तग़फार, दरुद शरिफ, कुराने ए पाक, नफिल नमाज़ें पढ़ते-पढ़ते अपनी पूरी रात इबादत में गुजार देते है।
  • इस दिन सिर्फ अपने लोगों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लोग जिनकी वफ़ात हो चुकी है, उन सभी की मग़फिरत की दुआएं मांगतें हैं।
    इस दिन सिर्फ अपने लोगों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लोग जिनकी वफ़ात हो चुकी है, उन सभी की मग़फिरत की दुआएं मांगतें हैं।