-
असम में किसकी सरकार बनेगी इसे लेकर तमाम बातें की जा रही हैं और इस चर्चा में एक नाम जिसका सबसे ज़्यादा ज़िक्र होता है वह है धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल। असम में पैदा हुए और मुंबई में कपड़ों, रियल एस्टेट, चमड़ा, हेल्थकेयर, शिक्षा और इत्र का विशाल कारोबार चलाने वाले बदरुद्दीन अजमल को किंग मैकर भी बताया जा रहा है। राज्य के राजनीतिर विश्लेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी, दोनों के स्पष्ट बहुमत हासिल करने की संभावना नहीं है, ऐसे में अजमल का किंगमेकर की भूमिका निभाना तय है।
-
मौलाना बदरुद्दीन अजमल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) के मुखिया हैं जिसकी स्थापना 2005 में हुई थी।
-
अजमल के ज़बरदस्त उभार के पीछे उनकी अपनी सियासी सूझबूझ है। 2011 में बराक घाटी की यात्रा में मुख्यमंत्री गोगोई ने कहा कि वे 'हिंदू आप्रवासियों की हिफाजत करेंगे। इससे अजमल को मुस्लिम आप्रवासियों के हक में खड़े होने का मौका मिल गया. 2006 के चुनाव में एआइयूडीएफ को केवल 10 सीटें मिली थीं लेकिन 2011 के चुनाव में उसने बांग्लाभाषी, मुस्लिम बहुत निर्वाचन क्षेत्रों में 18 सीटें बटोर लीं। इसी के साथ पार्टी असम की सियासत में मुख्य विरोधी दल के तौर पर उभर आई। 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने तीन सीटें जीतीं और 24 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त कायम की जबकि 2009 में उसके पास केवल एक सीट थी।
-
दारुल उलूम देवबंद से फाजिल (इस्लामिक धर्मशास्त्र और अरबी में मास्टर डिग्री के बराबर) मौलाना अजमल सियासी गुणा-भाग अच्छी तरह समझते हैं और मुसलमानों को रिझाने के लिए अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल करते हैं।
-
निचले असम के ग्रामीण इलाकों में गरीबी से परेशानहाल मुसलमानों पर अजमल की जादुई पकड़ है। वे जमीअत उलेमा-ए-हिंद, मरकजुल मआरिफ और हाजी अब्दुल मजीद मेमोरियल पब्लिक ट्रस्ट जैसे कई संगठनों से जुड़े हुए हैं और उनका फाउंडेशन राज्य भर में कई स्कूल, मदरसे, अस्पताल और अनाथालय चलाता है।
-
अजमल पर आरोप है कि उनकी पार्टी एक समुदाय विशेष के हितों की रक्षा करती है लेकिन वह इससे सहमत नहीं हैं और कुछ आंकड़े पेश करते हैं। 2006 में एआइयूडीएफ ने 73 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 34 गैर-मुसलमान थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में एआइयूडीएफ ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से छह गैर-मुसलमान उम्मीदवार थे।
-
अजमल के सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल से अच्छे रिश्ते हैं वहीं नरेंद्र मोदी भी उनके बड़े भाई की तरह हैं।
-
अजमल घोषणा कर चुके हैं, वह चुनाव के पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों से बराबर दूरी बनाकर रखेंगे लेकिन चुनाव के बाद राज्य को स्थिर सरकार देने के लिए वह किसी भी पार्टी को अछूत मानकर नहीं चलेंगे।