Friday, November 22, 2024
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जानें रमज़ान की 12 रोचक बातें

India TV News Desk
Updated on: May 30, 2016 14:09 IST
  • रमज़ान अगले महीने के पहले हफ़्ते से शुरु होने वाला है। इस्लाम में पांच बातें जो हर मुसलमान के लिए फ़र्ज़ (अनिवार्य) मानी जाती हैं उसमें रोज़ा रखना भी शामिल है। रमज़ान में मुसलमान 30 दिन तक रोज़े रखते हैं और उसके बाद ईद मनाई जाती है। रमज़ान को पाक महीना भी कहा जाता और माना जाता है ये महीना रब को इंसान से और इंसान को रब से जोड़ता है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि रोज़े क्या होते हैं और क्यों रखे जाते हैं।
    रमज़ान अगले महीने के पहले हफ़्ते से शुरु होने वाला है। इस्लाम में पांच बातें जो हर मुसलमान के लिए फ़र्ज़ (अनिवार्य) मानी जाती हैं उसमें रोज़ा रखना भी शामिल है। रमज़ान में मुसलमान 30 दिन तक रोज़े रखते हैं और उसके बाद ईद मनाई जाती है। रमज़ान को पाक महीना भी कहा जाता और माना जाता है ये महीना रब को इंसान से और इंसान को रब से जोड़ता है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि रोज़े क्या होते हैं और क्यों रखे जाते हैं।
  • रोजा का मुख्य़ अर्थ तकवा यानी ख़ुद को बुराई से बचाना और भलाई के काम करना। इस्लाम के मुताबिक़ एक बेहतर इंसान बनने के लिये रोज़ा रखना ज़रुरी है। रोज़े में 14-15 घंटे न कुछ खाया जाता है और न ही पीया जाता है।
    रोजा का मुख्य़ अर्थ तकवा यानी ख़ुद को बुराई से बचाना और भलाई के काम करना। इस्लाम के मुताबिक़ एक बेहतर इंसान बनने के लिये रोज़ा रखना ज़रुरी है। रोज़े में 14-15 घंटे न कुछ खाया जाता है और न ही पीया जाता है।
  • मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक पवित्र कुरान इसी महीने नाज़िल हुआ था यानी आसमान से उतरा था। रमज़ान में इबादत खास महत्व माना जाता है। रमज़ान में गुनाहों की माफी होती है और अल्लाह रहमतों का दरवाज़ा आपने बंदों के लिए खोलता है।
    मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक पवित्र कुरान इसी महीने नाज़िल हुआ था यानी आसमान से उतरा था। रमज़ान में इबादत खास महत्व माना जाता है। रमज़ान में गुनाहों की माफी होती है और अल्लाह रहमतों का दरवाज़ा आपने बंदों के लिए खोलता है।
  • माना जाता है कि इंसान के हर अंग से जुड़ा होता है रोजा। ऐसा मानते हैं कि रोजा केवल भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोज़ा आंख है- मतलब बुरा मत देखो। कान से गलत बात न सुनो। मुंह से अपशब्द न निकले। हाथ से अच्छा काम ही हो। पांव सिर्फ अच्छाई की राह पर चले। कुल मिलाकर बुराई से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने का नाम रोजा है।
    माना जाता है कि इंसान के हर अंग से जुड़ा होता है रोजा। ऐसा मानते हैं कि रोजा केवल भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोज़ा आंख है- मतलब बुरा मत देखो। कान से गलत बात न सुनो। मुंह से अपशब्द न निकले। हाथ से अच्छा काम ही हो। पांव सिर्फ अच्छाई की राह पर चले। कुल मिलाकर बुराई से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने का नाम रोजा है।
  • कहा जाता है कि मुसलमान अगर एक रोज़ा भी बगैर किसी कारण न रखे तो वह पूरी जिंदगी रोज़ा रख कर भी उस रोज़े की भरपाई नहीं कर सकता।
    कहा जाता है कि मुसलमान अगर एक रोज़ा भी बगैर किसी कारण न रखे तो वह पूरी जिंदगी रोज़ा रख कर भी उस रोज़े की भरपाई नहीं कर सकता।
  • रोजे पूरे होने का वक्त तब होता है, जब सूरज डूबता है यानी तब आप खा सकते हैं जिसे इफ़्तार कहते हैं। सूर्योदय से रोजा रखने के बाद शाम को सूर्यास्त होने के बाद ही इसे खोला जा सकता है।
    रोजे पूरे होने का वक्त तब होता है, जब सूरज डूबता है यानी तब आप खा सकते हैं जिसे इफ़्तार कहते हैं। सूर्योदय से रोजा रखने के बाद शाम को सूर्यास्त होने के बाद ही इसे खोला जा सकता है।
  • शाम को एक साथ इफ्तार करने से पारिवार में एकजूटता आती है। 14 साल से बड़े हर व्यक्ति के लिए रोज़ा रखना फ़र्ज़ (ज़रुरी) है लेकिन बीमार, बहुत बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इससे छूट है।
    शाम को एक साथ इफ्तार करने से पारिवार में एकजूटता आती है। 14 साल से बड़े हर व्यक्ति के लिए रोज़ा रखना फ़र्ज़ (ज़रुरी) है लेकिन बीमार, बहुत बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इससे छूट है।
  • रमज़ान के महीने में बाज़ार में रौनक छा जाती है। लोग ख़ूब ख़रीददारी करते हैं। रमज़ान में सिर्फ खाने पीने की ही चीजें नहीं, सजावट और दूसरी चीजों की बिक्री भी बढ़ जाती है क्योंकि रमज़ान के बाद ही ईद आती है और ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।
    रमज़ान के महीने में बाज़ार में रौनक छा जाती है। लोग ख़ूब ख़रीददारी करते हैं। रमज़ान में सिर्फ खाने पीने की ही चीजें नहीं, सजावट और दूसरी चीजों की बिक्री भी बढ़ जाती है क्योंकि रमज़ान के बाद ही ईद आती है और ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।
  • रमजान के महीने में ज़कात यानी दान भी किया जाता है। ख़ैरात और ज़कात का सिलसिला पूरे महीने चलता है। गरीबों को खाना खिलाया जाता है और कपड़े-लत्ते दिए जाते हैं। ज़कात भी इस्लाम में फ़र्ज़ है।
    रमजान के महीने में ज़कात यानी दान भी किया जाता है। ख़ैरात और ज़कात का सिलसिला पूरे महीने चलता है। गरीबों को खाना खिलाया जाता है और कपड़े-लत्ते दिए जाते हैं। ज़कात भी इस्लाम में फ़र्ज़ है।
  • रमज़ान के महीने में हर तरफ रोशनी होती है और बाज़ार रात भर खुले रहते हैं। बाज़ार ही नहीं घरों में भी खूब चरागां होता है।
    रमज़ान के महीने में हर तरफ रोशनी होती है और बाज़ार रात भर खुले रहते हैं। बाज़ार ही नहीं घरों में भी खूब चरागां होता है।
  • पूरे महीने रोजे रखने के बाद लोगों का इंतजार खत्म होता है और उनका सबसे बड़ा और पसंदीदा त्योहार आता है ईद जिसे ईद-उल-फ़ितर भी कहा जाता और लोग आम भाषा में इसे मीठी ईद भी कहते हैं। इस दिन सेवइयां और मीठे पकवान बनते हैं।
    पूरे महीने रोजे रखने के बाद लोगों का इंतजार खत्म होता है और उनका सबसे बड़ा और पसंदीदा त्योहार आता है ईद जिसे ईद-उल-फ़ितर भी कहा जाता और लोग आम भाषा में इसे मीठी ईद भी कहते हैं। इस दिन सेवइयां और मीठे पकवान बनते हैं।
  • ईद से ठीक पहले वाली रात को चांद रात कहा जाता है। यह लड़कियों के लिए काफी खास दिन होता है, जिसमें वे अपने खुबसूरत हाथों में सुंदर से सुंदर मेहन्दी रचाती है।
    ईद से ठीक पहले वाली रात को चांद रात कहा जाता है। यह लड़कियों के लिए काफी खास दिन होता है, जिसमें वे अपने खुबसूरत हाथों में सुंदर से सुंदर मेहन्दी रचाती है।