Wednesday, November 27, 2024
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धर्मेंद्र-हेमा मालिनी की ब्लॉकबस्टर फिल्म का वो सीन, जिसे लिखकर पछताया लेखक, सालों बाद मानी गलती

Priya Shukla Written By: Priya Shukla Published on: November 26, 2024 18:30 IST
  • लिरिसिस्ट और स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर पिछले दिनों रणबीर कपूर स्टारर 'एनिमल' में महिला विरोधी कंटेंट दिखाए जाने पर खूब भड़के थे और वह अब भी इस फिल्म को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करने से पीछे नहीं हटते। उन्होंने हमेशा इस बात पर गर्व जाहिर किया कि उन्होंने कभी कोई ऐसी फिल्म या गाने नहीं लिखे, जिसमें महिला विरोधी कंटेंट को बढ़ावा दिया गया हो। जावेद अख्तर के अनुसार उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में सालों हो गए हैं, लेकिन अपनी एक फिल्म के अलावा उन्हें किसी को लेकर पछतावा नहीं है।
    Image Source : Instagram
    लिरिसिस्ट और स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर पिछले दिनों रणबीर कपूर स्टारर 'एनिमल' में महिला विरोधी कंटेंट दिखाए जाने पर खूब भड़के थे और वह अब भी इस फिल्म को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करने से पीछे नहीं हटते। उन्होंने हमेशा इस बात पर गर्व जाहिर किया कि उन्होंने कभी कोई ऐसी फिल्म या गाने नहीं लिखे, जिसमें महिला विरोधी कंटेंट को बढ़ावा दिया गया हो। जावेद अख्तर के अनुसार उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में सालों हो गए हैं, लेकिन अपनी एक फिल्म के अलावा उन्हें किसी को लेकर पछतावा नहीं है।
  • जावेद अख्तर ने मोजो स्टोरी से बातचीत में एक सालों पुरानी फिल्म के एक सीन पर पछतावा जाहिर किया। ये फिल्म है 1972 में रिलीज हुई 'सीता और गीता'। इस फिल्म में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी लीड रोल में थे। फिल्म में हेमा मालिनी ने सीता और गीता का डबल रोल प्ले किया था। अब जावेद अख्तर ने इसी फिल्म के एक सीन को लेकर अपनी निराशा जाहिर की है।
    Image Source : Instagram
    जावेद अख्तर ने मोजो स्टोरी से बातचीत में एक सालों पुरानी फिल्म के एक सीन पर पछतावा जाहिर किया। ये फिल्म है 1972 में रिलीज हुई 'सीता और गीता'। इस फिल्म में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी लीड रोल में थे। फिल्म में हेमा मालिनी ने सीता और गीता का डबल रोल प्ले किया था। अब जावेद अख्तर ने इसी फिल्म के एक सीन को लेकर अपनी निराशा जाहिर की है।
  • इस फिल्म का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर ने कहा- 'मैंने कभी कोई ऐसी फिल्म नहीं लिखी, जिसे लेकर आज मुझे कहना पड़े कि काश मैंने वो फिल्म नहीं लिखी होती। ना ही मैंने ऐसा कोई कम्प्लीट गाना लिखा, जिसे लेकर मुझे कहना पड़े कि मुझे नहीं लिखना चाहिए था। लेकिन, एक सीन है, जिसे लेकर मुझे पछतावा है।'
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    इस फिल्म का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर ने कहा- 'मैंने कभी कोई ऐसी फिल्म नहीं लिखी, जिसे लेकर आज मुझे कहना पड़े कि काश मैंने वो फिल्म नहीं लिखी होती। ना ही मैंने ऐसा कोई कम्प्लीट गाना लिखा, जिसे लेकर मुझे कहना पड़े कि मुझे नहीं लिखना चाहिए था। लेकिन, एक सीन है, जिसे लेकर मुझे पछतावा है।'
  • जावेद अख्तर ने सीता और गीता का सीन याद किया, जहां धर्मेंद्र का कैरेक्टर खाने की तारीफ करता है। वह याद करते हुए कहते हैं- 'सीता और गीता में गीता एक स्ट्रॉन्ग और अग्रेसिव लड़की है। फिर वह सीता से रिप्लेस हो जाती है। धर्मेंद्र उसके घर आता है और खाना खाना शुरू कर देते हैं। खाना खाकर कहते हैं- 'मौसी, क्या खाना बनाया है आपने!' वो बोलती है 'ये मैंने नहीं बनाया, ये तो गीता ने बनाया है।'
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    जावेद अख्तर ने सीता और गीता का सीन याद किया, जहां धर्मेंद्र का कैरेक्टर खाने की तारीफ करता है। वह याद करते हुए कहते हैं- 'सीता और गीता में गीता एक स्ट्रॉन्ग और अग्रेसिव लड़की है। फिर वह सीता से रिप्लेस हो जाती है। धर्मेंद्र उसके घर आता है और खाना खाना शुरू कर देते हैं। खाना खाकर कहते हैं- 'मौसी, क्या खाना बनाया है आपने!' वो बोलती है 'ये मैंने नहीं बनाया, ये तो गीता ने बनाया है।'
  • 'धर्मेंद्र का कैरेक्टर, जिसके मन में पहले गीता के लिए बिलकुल इज्जत नहीं रहती, उसकी अचानक इज्जत करने लगता है, क्योंकि उसने अच्छा खाना बनाया।' जावेद अख्तर ने इस दौरान इस ओर इशारा किया कि इससे पता चलता है कि एक महिला के लिए सम्मान तभी आता है, जब वह घरेलू भूमिकाएं अच्छे से निभाती है। उनके अनुसार, ये एक पुराना और समस्याग्रस्त मैसेज है।
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    'धर्मेंद्र का कैरेक्टर, जिसके मन में पहले गीता के लिए बिलकुल इज्जत नहीं रहती, उसकी अचानक इज्जत करने लगता है, क्योंकि उसने अच्छा खाना बनाया।' जावेद अख्तर ने इस दौरान इस ओर इशारा किया कि इससे पता चलता है कि एक महिला के लिए सम्मान तभी आता है, जब वह घरेलू भूमिकाएं अच्छे से निभाती है। उनके अनुसार, ये एक पुराना और समस्याग्रस्त मैसेज है।
  • जावेद अख्तर कहते हैं- 'इसलिए, वह गीता को नये सम्मान भरी निगाहों से देखने लगता है। वह उसकी बिजनेस पार्टनर है। वह उनके साथ सड़कों पर परफॉर्म करती है। तब तक उसके मन में उसके लिए कोई सम्मान नहीं था। लेकिन जब वह अच्छा खाना बनाती है तो वह उसका सम्मान करने लगता है।'
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    जावेद अख्तर कहते हैं- 'इसलिए, वह गीता को नये सम्मान भरी निगाहों से देखने लगता है। वह उसकी बिजनेस पार्टनर है। वह उनके साथ सड़कों पर परफॉर्म करती है। तब तक उसके मन में उसके लिए कोई सम्मान नहीं था। लेकिन जब वह अच्छा खाना बनाती है तो वह उसका सम्मान करने लगता है।'
  • उन्होंने आगे कहा- 'आज मैं वो सीन कभी नहीं लिखता। मैंने वो सीन लिखा और मैं अपनी गलती मानता हूं। लेकिन, आज मैं वो सीन बिलकुल नहीं लिखता।'
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    उन्होंने आगे कहा- 'आज मैं वो सीन कभी नहीं लिखता। मैंने वो सीन लिखा और मैं अपनी गलती मानता हूं। लेकिन, आज मैं वो सीन बिलकुल नहीं लिखता।'