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रिषि कपूर ने अपने पिता राजकपूर को उनकी बरसी पर किया याद

India TV News Desk
Updated on: June 02, 2016 15:09 IST
  • बॅालीवुड अभिनेता रिषि कपूर ने आज अपने पिता एवं प्रसिद्ध अभिनेता रहे राजकपूर को उनकी 28वीं बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित की, रिषि ने कहा कि उन्हें राजकपूर का पुत्र होने पर गर्व है । 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में जन्मे राज कपूर की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई थी, हालांकि पढ़ाई में उनका मन कभी नहीं लगा और 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी, मनमौजी राज कपूर ने विद्यार्थी जीवन में अपनी किताबें-कॉपियां बेचकर खूब केले, पकौड़े और चाट के मौज उड़ाए थे।
    बॅालीवुड अभिनेता रिषि कपूर ने आज अपने पिता एवं प्रसिद्ध अभिनेता रहे राजकपूर को उनकी 28वीं बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित की, रिषि ने कहा कि उन्हें राजकपूर का पुत्र होने पर गर्व है । 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में जन्मे राज कपूर की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई थी, हालांकि पढ़ाई में उनका मन कभी नहीं लगा और 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी, मनमौजी राज कपूर ने विद्यार्थी जीवन में अपनी किताबें-कॉपियां बेचकर खूब केले, पकौड़े और चाट के मौज उड़ाए थे।
  • हिन्दी सिनेमा के शोमैन के रूप में जाने जाने वाले राज कपूर की मशहूर फिल्मों में मेरा नाम जोकर, श्री 420, आवारा, बेवफा, आशियाना, अंबर, अनहोनी, पापी, आह, धुन, बूट पॉलिश, प्रमुख हैं।
    हिन्दी सिनेमा के शोमैन के रूप में जाने जाने वाले राज कपूर की मशहूर फिल्मों में मेरा नाम जोकर, श्री 420, आवारा, बेवफा, आशियाना, अंबर, अनहोनी, पापी, आह, धुन, बूट पॉलिश, प्रमुख हैं।
  • भारत सरकार ने राज कपूर को मनोरंजन जगत में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में पद्मभूषण से विभूषित किया था। साल 1987 में उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।
    भारत सरकार ने राज कपूर को मनोरंजन जगत में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में पद्मभूषण से विभूषित किया था। साल 1987 में उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।
  • इसके अलावा 1960 में फिल्म 'अनाड़ी' और 1962 में 'जिस देश में गंगा बहती है' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था। 1965 में 'संगम', 1970 में 'मेरा नाम जोकर' और 1983 में 'प्रेम रोग' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था।
    इसके अलावा 1960 में फिल्म 'अनाड़ी' और 1962 में 'जिस देश में गंगा बहती है' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था। 1965 में 'संगम', 1970 में 'मेरा नाम जोकर' और 1983 में 'प्रेम रोग' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था।
  • राज कपूर की फिल्मों के कई गीत बेहद लोकप्रिय हुए, जिनमें मेरा जूता है जापानी, आवारा हूं, ए भाई जरा देख के चलो, और जीना इसी का नाम है, सबसे ज्यादा मशहूर हैं।
    राज कपूर की फिल्मों के कई गीत बेहद लोकप्रिय हुए, जिनमें मेरा जूता है जापानी, आवारा हूं, ए भाई जरा देख के चलो, और जीना इसी का नाम है, सबसे ज्यादा मशहूर हैं।
  • वर्ष 1985 में राज कपूर निर्देशित अंतिम फिल्म, राम तेरी गंगा मैली प्रदर्शित हुयी। इसके बाद राज कपूर अपने महात्वाकांक्षी फिल्म हिना के निर्माण में व्यस्त हो गये लेकिन उनका सपना साकार नहीं हुआ।
    वर्ष 1985 में राज कपूर निर्देशित अंतिम फिल्म, राम तेरी गंगा मैली प्रदर्शित हुयी। इसके बाद राज कपूर अपने महात्वाकांक्षी फिल्म हिना के निर्माण में व्यस्त हो गये लेकिन उनका सपना साकार नहीं हुआ।
  • और 2 मई 1988 को एक पुरस्कार समारोह में उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ते रहे, और 2 जून 1988 को 63 साल की उम्र उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
    और 2 मई 1988 को एक पुरस्कार समारोह में उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ते रहे, और 2 जून 1988 को 63 साल की उम्र उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
  • भारतीय सिनेमा के इतिहास में राज कपूर का योगदान उन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके बाद परिवार की चार पीढ़ियां लगातार सिनेमा जगत में सक्रिय रही हैं और मनोरंजन के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं।
    भारतीय सिनेमा के इतिहास में राज कपूर का योगदान उन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके बाद परिवार की चार पीढ़ियां लगातार सिनेमा जगत में सक्रिय रही हैं और मनोरंजन के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं।
  • राज कपूर के बारे में एक और दिलचस्प बात है। कहते हैं कि बचपन में राज कपूर सफेद साड़ी पहने हुई एक स्त्री पर मोहित हो गए थे। उसके बाद से सफेद साड़ी से उनका मोह इतना गहरा गया कि उनकी तमाम फिल्मों की अभिनेत्रियां पर्दे पर भी सफेद साड़ी पहने नजर आईं, यहां तक कि घर में उनकी पत्नी कृष्णा भी हमेशा सफेद साड़ी ही पहना करती थीं।
    राज कपूर के बारे में एक और दिलचस्प बात है। कहते हैं कि बचपन में राज कपूर सफेद साड़ी पहने हुई एक स्त्री पर मोहित हो गए थे। उसके बाद से सफेद साड़ी से उनका मोह इतना गहरा गया कि उनकी तमाम फिल्मों की अभिनेत्रियां पर्दे पर भी सफेद साड़ी पहने नजर आईं, यहां तक कि घर में उनकी पत्नी कृष्णा भी हमेशा सफेद साड़ी ही पहना करती थीं।
  • कपूर परिवार एक ऐसा परिवार है, जिसमें दादा साहेब फालके पुरस्कार दो बार आया। सन् 1972 में राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर को भी यह सर्वोच्च पुरस्कार मिला था।
    कपूर परिवार एक ऐसा परिवार है, जिसमें दादा साहेब फालके पुरस्कार दो बार आया। सन् 1972 में राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर को भी यह सर्वोच्च पुरस्कार मिला था।