अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मामले में मादक-पदार्थों से संबंधित आरोप में गिरफ्तार अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को कड़ी शर्तों के साथ जमानत दे दी। जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि जैसा एनसीबी ने आरोप लगाया था, रिया किसी ड्रग माफिया का हिस्सा नहीं हैं। अदालत ने एनसीबी की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि प्रसिद्ध लोगों या लोकप्रिय हस्तियों के साथ कठोर बर्ताव होना चाहिए ताकि उदाहरण पेश किया जा सके। अदालत ने कहा कि कानून के समक्ष सभी बराबर हैं।
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जमानत की शर्तों के तहत अभिनेत्री को 10 दिन तक मुंबई पुलिस के समक्ष और अगले छह महीने के दौरान हर माह में एक दिन एनसीबी के सामने हाजिरी देनी होगी। इसी वजह से रिया चक्रवर्ती आज सांताक्रूज पुलिस स्टेशन के बाहर स्पॉट की गईं। रिया चक्रवर्ती वाइट सूट में नजर आईं।
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बता दें, रिया को उच्च न्यायालय ने एक लाख रुपये का निजी मुचलका जमा कराने और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने की भी हिदायत दी। रिया करीब 28 दिन जेल में रहने के बाद घर पहुंची हैं।
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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित मादक पदार्थ मामले की जांच के सिलसिले में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने रिया और उनके भाई को पिछले महीने गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि रिया चक्रवर्ती को अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के लिए वित्तपोषित या शरण देने वाला नहीं कहा जा सकता है, जैसा केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है। अदालत ने यह भी कहा कि उनका आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और इस बात की संभावना नहीं है कि जमानत पर बाहर रहने के दौरान वह जांच को प्रभावित कर सकती हैं या सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती हैं।
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रिया एनसीबी की अनुमति के बिना मुंबई से बाहर नहीं जा सकती हैं और अगर उन्हें शहर से बाहर जाने की इजाजत मिलती है तो उन्हें अपनी यात्रा का ब्यौरा एजेंसी को देना होगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि विशेष एनडीपीएस न्यायाधीश की अनुमति से ही वह देश से बाहर जाएंगी।
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एनसीबी ने रिया को मादक पदार्थ निरोधक एनडीपीएस कानून की सख्त धारा 27-ए के तहत आरोपी बनाया था। यह धारा मादक पदार्थ की तस्करी के लिए वित्त पोषण करना और शरण देने से संबंधित है। इस धारा के तहत 10 साल तक की सजा का प्रावधान है और जमानत देने पर भी यह धारा रोक लगाती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी खास मादक पदार्थ के लिए भुगतान करना (अवैध मादक पदार्थ के तस्करी को) वित्तपोषित करने करने के दायरे में नहीं आएगा, जैसा अधिनियम के तहत वर्णित है।