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बहसें फिजूल थीं यह खुला हाल देर में।
अफसोस उम्र कट गई लफ्जों के फेर में।।
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बदलते वक्त के थपेड़ों में हम बस इतना ही समझ पाए।
दुनिया हमें नहीं समझी और हम दुनियादारी न समझ पाए।।
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अजब सिलसिला है बीतती रातों का यहाँ !
आँखो में कभी ख़वाब रहा, कभी ख्याल रहा
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सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो ,
जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता
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खंजर सा चुभता है सीने में
काँटा सा बन गया है जीने में
निकाला जाता नहीं, चैन आता नहीं..
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आज की रात भी बीत जायेगी..
दिल की नजर फिर तरसती रह जायेगी..
कितने ही लम्हे गुजर गए
यूँ ही दिल मिले और बिछड़ गए..................
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दस्तक दी, किसी ने कहा सपने लाया हूँ;
खुश रहो आप हमेशा, इतनी दुआ लाया हूँ!
नाम है मेरा ........
आपको `हैप्पी न्यू इयर` विश करने आया हूँ!
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बीत गया जो साल, भूल जाए
इस नए साल को गले लगाये!
करते है दुआ हम रब से सर झुका के
इस साल के सारे सपने पूरे हो आपके!
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गुनाह करके सजा से डरते है,
ज़हर पी के दवा से डरते है.
दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे,
हम तो दोस्तों के खफा होने से डरते है।
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करनी है खुदा से गुजारिश,
तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले,
हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा,
या फिर कभी जिंदगी न मिले।
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कहते है पीर फ़क़ीर ये तो बात एक याद रखना हमेशा…
माँ की आँख से झलकते ही आंसू के दुनिआ में क़यामत आ जाती है
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न वो सपना देखो जो टूट जाये,
न वो हाथ थामो जो छूट जाये,
मत आने दो किसी को करीब इतना,
कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।