Saturday, December 21, 2024
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Fact Check: मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर के गलत आंकड़े किए गए पेश, फर्जी है वायरल हो रहा सांप्रदायिक दावा

सोशल मीडिया पर मुस्लिमों के प्रजनन दर को लेकर एक पोस्ट वायरल किया जा रहा है। इस वायरल पोस्ट में मुसलमानों के प्रजनन दर को सबसे अधिक दिखाते हुए लिखा गया है कि इसलिए हमें तुरंत जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता है। दरअसल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह पोस्ट फेक है।

Edited By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Nov 15, 2024 10:15 IST, Updated : Nov 15, 2024 12:01 IST
Wrong data on fertility rates of Muslim community was presented on social media the communal claim g
Image Source : BOOM LIVE मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर के गलत आंकड़े किए गए पेश

Originally Fact Checked by BOOM: सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें धर्म के आधार पर प्रजनन दर के बारे में बताया गया है। इसके अलावा पोस्ट में प्रजनन दर के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा गया है कि देश में जल्द से जल्द 'जनसंख्या नियंत्रण कानून' क्यों जरूरी है। हमने जब इसकी जांच कि तो पाया कि किया जा रहा दावा गलत है। इसमें मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर के आंकड़े गलत बताए गए हैं। 

पोस्ट क्या दावा किया जा रहा है?

एक्स पर शेयर किए गए पोस्ट में दावा किया जा रहा है, 'वर्तमान में मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर 4.4 है, जबकि हिंदुओं का सिर्फ 1.94 है। इसलिए हमें जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून चाहिए। पोस्ट में दावा किया गया है कि भारत में धर्म के आधार पर प्रजनन दर निम्न है:-

हिंदू- 1.94 

मुस्लिम- 4.4
सिख- 1.61
ईसाई- 1.88
जैन- 1.6
बौद्ध- 1.39

Wrong data on fertility rates of Muslim community was presented on social media the communal claim g

Image Source : BOOM LIVE
वायरल हो रहे पोस्ट की तस्वीर

(पोस्ट का आर्काइव लिंक)

फैक्ट चेक में क्या जानकारी आई सामने?

बूम लाइव द्वारा जब वायरल दावे की पड़ताल के लिए जब स पोस्ट के साथ दि गए आंकड़ें की तुलना 2019-2021 की एनएफएचएस की रिपोर्ट से की तो हमें कई विसंगतियां इसमें देखने को मिली। वायरल पोस्ट में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध की प्रजनन दर सही है, जबकि मुस्लिमों की प्रजनन दर के आंकड़े के साथ हेर-फेर की गई है। नवीनतम एनएफएचएस रिपोर्ट में मुस्लिम की प्रजनन दर को 2.36 बताया गया है। 

पांचवी NFHS (2019-22) रिपोर्ट

एनएफएचएस की पुरानी रिपोर्ट देखने के बाद हमने पाया कि वायरल पोस्ट में मुसलमानों के लिए दी गई प्रजनन के आंकड़ें 1992-93 के आंकड़े से मेल खाते हैं। नीचे दी गई तालिका में एनएफएचएस की पहली और पांचवीं रिपोर्ट में धर्म के अनुसार प्रजनन दर की तुलना की गई है।

Wrong data on fertility rates of Muslim community was presented on social media the communal claim g

Image Source : BOOM LIVE
फैक्ट चेक

इससे पता चलता है कि वायरल दावे में मुस्लिमों का आंकड़ा एनएफएचएस की पहली रिपोर्ट (1992-93) से लिया गया है, जबकि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध की प्रजनन दर का आंकड़ा 2019-2021 के एनएफएचएस-5 से लिया गया है और फिर इसे मिलाकर सोशल मीडिया पर एडिट करने के बाद शेयर किया जा रहा है। हालांकि मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर एनएफएचएस-5 में भी अन्य धर्मों की तुलना में अधिक है, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर में सबसे अधिक गिरावट आई है।

निष्कर्ष: पड़ताल में तथ्यों के आधार पर हमने पाया कि जो पोस्ट शेयर किया जा रहा है, उसमें किया जा रहा दावा गलत है। हमने पाया है कि पुराने और नए आंकड़ों के बीच कुछ हेर-फेर किया गया है। पुरान और नए रिपोर्ट्स के आधार पर दावों को एडिट किया गया है। 

Claim Review: मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर के गलत आंकड़े किए गए पेश, वायरल हो रहा सांप्रदायिक दावा 

Claimed By: एक्स यूजर

Fact Check: झूठ

(Disclaimer: यह फैक्ट चेक मूल रूप से BOOM द्वारा किया गया है, जिसे Shakti Collective की मदद से India TV ने पुन: प्रकाशित किया है)

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