कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बीते दिनों केरल की वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन भरा। इस दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल होने लगा। इस वीडियो में प्रियंका गांधी के नामांकन के दौरान कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को कमरे के दरवाजे के बाहर खड़ा दिखाया गया। वायरल क्लिप में खरगे कमरे के दरवाजे के बाहर खड़े दिख भी रहे हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि गांधी परिवार द्वारा मल्लिकार्जुन खरगे का अपमान किया गया और दलित समाज के प्रति उनके मन में घृणा है। लेकिन जब हमने इस दावे की सच्चाई की जांच की तो यह दावा पूरी तरह से फर्जी साबित हुआ है।
क्या दावा हो रहा वायरल?
भारतीय जनता पार्टी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस वीडियो को शेयर किया है। वीडियो को शेयर करते हुए भाजपा ने लिखा, "आज जिस तरह से मल्लिकार्जुन खड़गे जी को प्रियंका वाड्रा के नामांकन के समय कमरे से बाहर रखा गया। ठीक उसी तरह राहुल गांधी आरक्षण हटाने के बाद दलित समाज के लोगों को सम्मान और अवसरों से वंचित रखेंगे। अगर गांधी परिवार खड़गे जी को ऐसे अपमानित कर सकता है तो दलित समाज के प्रति इनके मन में कितनी घृणा होगी, ये समझा जा सकता है। इस वीडियो को भाजपा के अन्य नेताओं ने भी शेयर किया और तमाम लोगों ने शेयर कर इसी तरह की बात कही।
वायरल दावे की क्या है सच्चाई?
इंडिया टीवी द्वारा जब इस तथ्य की जांच की गई तो पता चला कि चुनाव आयोग के नियमों के चलते केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी के कई दूसरे नेता नामांकन कक्ष के बाहर खड़े रहे। हालांकि बाद में वह नामांकन कक्ष के अंदर आ गए। 22 अक्तूबर को प्रियंका गांधी ने एक्स पर अपने नामांकन की कुछ तस्वीरों को शेयर किया। इसमें राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे प्रियंका गांधी के साथ नामांकन कक्ष में दिखाई दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेता प्रणव झा ने एक्स पर लिखा, "ये देश के केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री हैं। एक तरह से यह हमारे देश और मोदी सरकार के सांस्कृतिक राजदूत हैं। इन्हें भी मालूम होगा कि नामांकन दाखिल करते वक़्त निश्चित संख्या ( यहाँ पर 5) में लोग अंदर जा सकते हैं। DM का कमरा CCTV की चुनाव आयोग की निगरानी में होता है इसलिए वो चाह कर भी नियम की अनदेखी नहीं कर सकते। ना ही हमारे नेता उन पर कोई दवाब बनाना चाहते थे। अब इन माननीय और इनके प्रजाति के अन्य अनगिनत माननियों के आचरण पर कोई क्या कहे। इन्हें इसी फूहड़पने और चारण- नृत्य का पारितोषिक मिलता है। शायद इसी अमृत काल की परिकल्पना आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने की थी।"