Tuesday, November 26, 2024
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Fact Check: भारतीय सेना से मुस्लिम रेजिमेंट को भंग करने का दावा है फेक, जानें क्या है पूरा सच

सोशल मीडिया पर इन दिनों मुस्लिम रेजिमेंट को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। वायरल पोस्ट में बताया जा रहा है कि भारतीय सेना से मुस्लिम रेजिमेंट को भंग कर दिया गया था। आइये जानते हैं इस वायरल दावे का पूरा सच...

Edited By: Amar Deep
Updated on: November 26, 2024 9:35 IST
Fact Check. - India TV Hindi
Image Source : SCREENSHOT Fact Check.

Originally Fact Checked by Vishvas News: सोशल मीडिया पर यूजर्स एक पोस्ट के जरिए यह दावा कर रहे हैं कि भारतीय सेना में कभी मुस्लिम रेजिमेंट हुआ करती थी, जिसे युद्ध के समय मुस्लिम सैनिकों के पाकिस्तान का साथ दिए जाने की विश्वासघात की घटना के बाद भंग कर दिया गया। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि देश में 1965 तक मुस्लिम रेजिमेंट थी, जिसे उसी वर्ष पाकिस्तान के युद्ध के बाद भंग कर दिया गया था। 

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया। भारतीय सेना में कभी भी मुस्लिम रेजिमेंट नहीं थी, इसलिए इसे भंग किए जाने का दावा गलत और तथ्यों से परे है।

क्या हो रहा है वायरल

दरअसल, विश्‍वास न्‍यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर भी कई यूजर्स ने मैसेज कर इस पोस्ट की सच्चाई को बताने का अनुरोध किया है।

विश्वास न्यूज के टिपलाइन पर भेजा गया क्लेम।

Image Source : VISHVAS NEWS
विश्वास न्यूज के टिपलाइन पर भेजा गया क्लेम।

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कई यूजर्स ने इस पोस्ट को समान संदर्भ में शेयर किया है।

फैक्ट चेक में क्या निकला

पोस्ट में यह दावा किया गया है कि वर्ष 1965 तक देश की सेना में मुस्लिम रेजिमेंट मौजूद थी, जिसे उसी वर्ष पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई के बाद भंग कर दिया गया।

भारतीय सेना में रेजिमेंट की स्थिति को जानने के लिए हमने भारतीय सेना की आधिकारिक वेबसाइट को चेक किया। वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना में मद्रास रेजिमेंट, राजपूत रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, बिहार रेजिमेंट, गोरखा रायफल्स, नागा रेजिमेंट समेत अन्य रेजिमेंट मौजूद हैं, लेकिन इसमें कहीं भी मुस्लिम रेजिमेंट का जिक्र नहीं है।

भारतीय सेना में रेजिमेंट।

Image Source : INDIAN ARMY OFFICIAL WEBSITE
भारतीय सेना में रेजिमेंट।

सर्च में हमें भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन का लिखा एक आर्टिकल मिला। ‘The ‘missing’ muslim regiment: Without comprehensive rebuttal, Pakistani propaganda dupes the gullible across the board’ नाम से प्रकाशित इस आर्टिकल में उन्होंने इस मामले को पाकिस्तान के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) का दुष्प्रचार बताया है।

उन्होंने लिखा है, “पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मूल यह है कि 1965 तक भारतीय सेना में मुस्लिम रेजिमेंट हुआ करती थी और युद्ध के दौरान 20,000 मुस्लिमों के पाकिस्तान से लड़ने से मना करने के बाद इस रेजिमेंट को भंग कर दिया गया। इसलिए 1971 की लड़ाई में एक भी मुस्लिम सैनिक नहीं लड़ा (दूसरा झूठ।)”

आर्टिकल में दी गई जानकारी के मुताबिक, “आजादी के बाद अधिकांश मुस्लिम अधिकारी और सैनिक पाकिस्तान चले गए और सेना में फिर इस समुदाय के लोगों की संख्या बहुत कम हो गई। हालांकि, ऐसे कई सब यूनिट्स हैं, जिसमें केवल मुस्लिम हैं।”

ToI के प्रिंट संस्करण में 30 नवंबर 2017 को प्रकाशित आर्टिकल।

Image Source : SCREENSHOT
ToI के प्रिंट संस्करण में 30 नवंबर 2017 को प्रकाशित आर्टिकल।

लेख के मुताबिक, “सेना में कभी कोई मुस्लिम रेजिमेंट नहीं था और निश्चित तौर पर 1965 में तो ऐसा कुछ भी नहीं था। हालांकि, अलग-अलग रेजिमेंट में मुस्लिम सैनिकों की वीरता की कई मिसालें हैं। आज के समय में परमवीर चक्र अब्दुल हमीद को कम याद किया जाता है। मेजर (जनरल) मोहम्मद जकी (वीर चक्र) और मेजर अब्दुल रफी खान (मरणोपरांत वीर चक्र), जिन्होंने अपने चाचा मेजर जनरल साहिबजादा याकूब खान, जो पाकिस्तानी डिविजन को कमांड कर रहे थे, के साथ जंग लड़ी। 1965 की लड़ाई में मुस्लिम योद्धाओं की ऐसी मिसालें मौजूद हैं। 1971 की लड़ाई में भी यही हुआ।”

न्यूज सर्च में हमें ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक आर्टिकल मिला, जिससे भारत के खिलाफ पाकिस्तानी ISPR के चलाए जा रहे ‘इन्फो वॉर’ के दावे की पुष्टि होती है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित आर्टिकल।

Image Source : SCREENSHOT
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित आर्टिकल।

आर्टिकल के लेखक नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य हैं। लेख में दी गई जानकारी के मुताबिक, “आईएसपीआर ने हजारों ऐसे युवाओं की भर्ती की है, जो सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म ट्विटर, वॉट्सऐप, यू-ट्यूब और फेसबुक पर फर्जी अकाउंट क्रिएट कर भारत विरोधी दुष्प्रचार करते हैं।”

सोशल मीडिया पर यह दावा इससे पहले भी कई बार समान संदर्भ में वायरल होता रहा है, जो हमारी जांच में गलत निकला। संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

इस दौरान सेना में रेजिमेंट सिस्टम और वायरल दावे की सच्चाई को जानने के लिए सेना के कर्नल (रिटायर्ड) विजय आचार्य से संपर्क किया गया और उन्होंने बातचीत की शुरुआत में ही इसे पाकिस्तानी सेना का दुष्प्रचार करार दिया। 1965 की लड़ाई में मुस्लिमों की बगावत और मुस्लिम रेजिमेंट की मौजूदगी के दावे को पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की लड़ाई का एक बड़ा हथियार दुष्प्रचार है और यह काम पाकिस्तानी सेना की विंग ISPR के जरिए संस्थागत तरीके से किया जाता है।

कर्नल (रिटायर्ड) आचार्य ने कहा, “भारतीय सेना में कभी भी कोई मुस्लिम रेजिमेंट नहीं रहा। यह पाकिस्तानी सेना का प्रोपेगेंडा है।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय सेना में अभी तक ऐसा कोई वाकया सामने नहीं आया है, जब सैनिकों ने युद्ध के दौरान लड़ाई में जाने से इनकार कर दिया।”

उन्होंने बताया, “भारतीय सेना में सिख रेजिमेंट की मौजूदगी है और यह इकलौता रेजिमेंट जिसका नाम किसी धर्म विशेष के आधार पर है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस रेजिमेंट में केवल सिख धर्म के लोग ही रिक्रूट होते हैं। ठीक ऐसे ही बिहार रेजिमेंट कहने का मतलब यह नहीं है कि उसमें केवल बिहार के लोग ही भर्ती होंगे।”

आचार्य ने बताया, “मिसाल के तौर पर जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेट्री में मुस्लिम जवानों की संख्या अधिक होती है। आर्टिलरी और आर्म्ड कोर में भी उनकी मौजूदगी है। लेकिन यह कहना गलत है कि सिख रेजिमेंट में केवल सिख धर्म के लोगों की मौजूदगी होगी। जहां तक प्री-डॉमिनेंस की बात है, तो वह देखने को मिल सकता है, लेकिन यह संभव नहीं है कि राजपूत रेजिमेंट में केवल राजपूत ही होंगे।”

आचार्य बताते हैं कि अंग्रेजों के समय में पहचान आधारित रेजिमेंट का निर्माण किया गया और इसके पीछे की वजह ‘मार्शल’ और ‘’नॉन मार्शल’ रेस का वर्गीकरण था। लेकिन आजादी के बाद इस वर्गीकरण को समावेशी बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई और समय के साथ पहचान आधारित रेजिमेंट का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया। 1965 और 1971 की लड़ाई के बाद इस व्यवस्था को बदलने की प्रक्रिया तेज हुई और फिलहाल जो आर्मी का मौजूदा एनरॉल सिस्टम है, वह राज्य की आबादी के समानुपाती व्यवस्था पर आधारित है।

निष्कर्ष: 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई के दौरान मुस्लिम सैनिकों के पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट फर्जी है। भारतीय सेना में कभी भी मुस्लिम रेजिमेंट नहीं थी, जिसे 1965 की लड़ाई के बाद भंग किए जाने का दावा किया जा रहा है।

क्या दावा किया गया: 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद भंग कर दी गई मुस्लिम रेजिमेंट।

किसने दावा किया: Tipline User

फैक्ट चेक में क्या निकला: झूठ

(Disclaimer: यह फैक्ट चेक मूल रूप से Vishvas News द्वारा किया गया है, जिसे Shakti Collective की मदद से India TV ने पुन: प्रकाशित किया है)

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