
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह के वीडियो वायरल होते हैं, इनमें से कई वीडियो गलत दावों के साथ शेयर किए जाते हैं। रूस और यूक्रेन का युद्ध अभी भी चल रहा है। इस बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में सैन्य वर्दी पहने कुछ लोग हाथ उठाकर चलते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह दृश्य रूस के कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सेना के आत्मसमर्पण का है।
क्या हो रहा है वायरल?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर Concerned Citizen नाम के यूजर ने 11 मार्च 2025 को वीडियो को शेयर करते हुए अंग्रेजी में लिखा, “Reports Ukrianians are surrendering in huge numbers in the Kursk region. Hopefully they will be treated well & be able to return to their families alive once this Deep State proxy war is ended.”
इसका हिंदी अनुवाद, 'कुर्स्क क्षेत्र में बड़ी संख्या में यूक्रेनी सैनिक आत्मसमर्पण कर रहे हैं। उम्मीद है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा। वे इस डीप स्टेट प्रॉक्सी युद्ध के समाप्त होने के बाद सुरक्षित रूप से अपने परिवारों के पास लौट सकेंगे। वीडियो पर एक टेक्स्ट भी दिख रहा है, जिसमें लिखा है- 'ज़ेलेंस्की की सेना कुर्स्क, रूस में बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण कर रही है।'
तीन साल पहले यूट्यूब पर किया गया अपलोड
वायरल दावे की सच्चाई जांचने के लिए वीडियो के 'की-फ्रेम्स' को रिवर्स इमेज सर्च किया गया। इस दौरान ‘Serge Antoine’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर वायरल वीडियो का कुछ अंश मिला। 7 अप्रैल 2022 को यूट्यूब पर ये वीडियो पब्लिश किया गया था।
मारियुपोल में यूक्रेनी मरीन को बंदी बनाया गया
इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा था, 'डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (DPR) की सेना ने मारियुपोल के लेवोबरेझिए और औद्योगिक क्षेत्र में एक विशेष अभियान के दौरान 268 यूक्रेनी मरीन को बंदी बना लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैनिकों ने हाथ उठाकर आत्मसमर्पण किया। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए कीव सरकार और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की नीतियों की आलोचना की है।'
वायरल दावा है फर्जी
जांच- पड़ताल में सामने आया कि वायरल वीडियो करीब तीन साल पुराना है। जो कि कथित तौर पर 2022 में मारियुपोल में यूक्रेनी मरीन के आत्मसमर्पण का है। इसका कुर्स्क क्षेत्र में जारी मौजूदा संघर्ष से कोई संबंध नहीं है। जांच-पड़ताल में वायरल दावा फर्जी निकला है।