Fact Check: हर दिन सोशल मीडिया पर न जाने कितने ही वीडियो, फोटोज वायरल होते रहते हैं। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ऐसे वायरल वीडियो की भरमार है, जिनका सच्चाई से कुछ भी लेना दना नहीं होता। ऐसे ही सोशल मीडिया पर चीन द्वारा भारतीय नागरिकों के लिए वीजा-फ्री पॉलिसी के ऐलान का दावा वायरल हो रहा है। कई सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि चीन ने भारत के नागरिकों के लिए वीजा-फ्री पॉलिसी की घोषणा की है। हालांकि, जब हमने इस दावे की जांच की तो यह दावा झूठा निकला। आइए इस वायरल दावे के पीछे की सच्चाई को जानते हैं।
क्या हो रहा है वायरल?
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें कई उपयोगकर्ता दावा कर रहे हैं कि चीन ने भारत के नागरिकों के लिए वीजा-फ्री पॉलिसी की घोषणा की है। सोशल मीडिया पर @dreamer2_163 नाम के एक उपयोगकर्ता ने पीएम मोदी और शी जिनपिंग की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "चीन ने भारत को वीजा-मुक्त बना दिया है।" एक अन्य उपयोगकर्ता @godil_satt14979 ने भी यही तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "चीन ने भारत को वीजा-मुक्त बना दिया है।"
कैसे पता लगी सच्चाई?
चूंकि यह दावा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा था, इसलिए हमने तुरंत इसकी जांच करने का फैसला किया। इसके तहत हमने सबसे पहले Google ओपन सर्च का इस्तेमाल करके भारतीयों के लिए चीन में वीजा-मुक्त प्रवेश के बारे में खबरें खोजीं, लेकिन कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली। हालांकि, हमें समाचार एजेंसी ANI की एक खबर मिली, जिसमें कहा गया था कि भारत में चीनी दूतावास ने यात्रियों के लिए कम वीजा शुल्क को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने ऐलान किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अब सिंगल एंट्री के लिए फीस 2,900 रुपये है जबकि डबल एंट्री के लिए 4400 रुपये फीस है। छह महीने की मल्टीपल एंट्री के लिए फीस 5900 रुपये है और 12 महीने या उससे ज़्यादा की मल्टीपल एंट्री के लिए फीस 8800 रुपये है। ग्रुप वीज़ा और आधिकारिक ग्रुप वीज़ा के लिए, प्रत्येक आवेदक को 1800 रुपये का भुगतान करना होगा।
फैक्ट चेक में क्या निकला?
इंडिया टीवी द्वारा किए गए एक फैक्ट चेक से पुष्टि हुई है कि चीन द्वारा भारत को वीजा-मुक्त बनाने का वायरल दावा फर्जी है। इसके बजाय, चीन ने दिसंबर 2025 तक भारत के लिए वीजा शुल्क कम कर दिया है। लोगों को सलाह दी जाती है कि ऐसी खबरों से सावधान रहें और सोशल मीडिया पर प्रसारित ऐसे भ्रामक दावों पर विश्वास न करें।