Friday, April 25, 2025
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Fact Check: लखनऊ में पुलिस कार्रवाई में हुई मुस्लिम ई-रिक्शा चालक की मौत? जानें वायरल दावे का सच

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कुछ लोग कह रहे हैं कि लखनऊ में एक मुस्लिम ई-रिक्शा चालक को पुलिस ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। इस दावे को सच समझकर कई सोशल मीडिया यूजर्स इसे वायरल कर रहे हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Mar 20, 2025 21:49 IST, Updated : Mar 20, 2025 21:53 IST
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Image Source : INDIA TV फैक्ट चेक

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे शेयर करते हुए कुछ लोग कह रहे हैं कि लखनऊ में पुलिस की पिटाई से एक मुस्लिम ई-रिक्शा चालक की मौत हो गई। वीडियो में कुछ पुलिसवाले एक बेसुध आदमी को कंधे पर लादकर ले जा रहे हैं। आसपास काफी भीड़ भी नजर आ रही है। इस दावे को सच समझकर कई सोशल मीडिया यूजर्स इसे वायरल कर रहे हैं।

हालांकि इंडिया टीवी फैक्ट चेक डेस्क की जांच में यह दावा फर्जी साबित हुआ है। फैक्ट चेक ने पाया कि लखनऊ में अतिक्रमण हटाने के दौरान नूर मोहम्मद नाम का एक ई-रिक्शा चालक पुलिस की पिटाई से बेहोश हो गया था लेकिन उसकी मौत नहीं हुई थी। सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं। इसे लेकर लखनऊ पुलिस की ओर से केस भी दर्ज किया गया है।

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Image Source : INDIA TV
फैक्ट चेक

क्या हो रहा वायरल?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने लिखा है, “भारत में मुसलमान होना गुनाह है? लखनऊ में अभी निशातगंज चौराहे के पास रोज़गार मुस्लिम ई रिक्शा चालक को पुलिस के द्वारा मारा गया है जिससे तुरंत सड़क पर ही उसकी मौत हो गई।” इस कैप्शन के साथ वीडियो को फेसबुक और एक्स पर सैकड़ों लोग शेयर कर चुके हैं।

एक फेसबुक यूजर ने 14 मार्च को एक वीडियो अपलोड करते हुए दावा किया, “ये सौ प्रतिशत सच है कि अगर पुलिस प्रशासन को सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता है तो वह निरंकुश हो जाता है। लखनऊ में निशातगंज चौराहे के पास रोजगार मुस्लिम ई रिक्शा चालक को पुलिस के द्वारा मारा गया है, जिसकी वजह से सड़क पर ही तुरंत उसकी मौत हो गई। तुम्हें पहचानते हैं हम कहीं भी चुप ना पाओगे।”

India TV ने की पड़ताल

सोशल मीडिया पर ये वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है, इसलिए हमने इस दावे की पड़ताल करने की ठानी। वायरल पोस्ट में इसे लखनऊ के निशातगंज चौराहे की घटना बताया गया है। कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें “द फ्री प्रेस जर्नल” की 8 मार्च की एक खबर मिली। इसमें वायरल वीडियो के साथ बताया गया है कि निशातगंज चौराहे पर ट्रैफिक जाम होने के कारण पुलिस, ई-रिक्शा वालों को भगा रही थीं। इस दौरान पुलिस की नूर नाम के एक ई-रिक्शा चालाक से कहासुनी हो गई। पुलिस ने नूर को पीट दिया जिससे वो बेहोश हो गया।

उसके साथी चालक नाराज हो गए और उन्होंने पुलिस कार्रवाई का विरोध करना शुरू कर दिया। नूर को बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने इस मामले पर कहा कि नूर ने रोजा रखा था और उसे अंगूठे में मामूली चोट आई थी। लखनऊ पुलिस ने भी एक्स पर बताया है कि ई-रिक्शा चालाक को मामूली चोटें आई थीं। उसकी मौत का दावा अफवाह है। इस अफवाह को फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

फैक्ट चेक में क्या निकला?

जांच में वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा गलत पाया गया। इंडिया टीवी के फैक्ट चेक ने पाया कि लखनऊ में अतिक्रमण हटाने के दौरान नूर मोहम्मद नाम का एक ई-रिक्शा चालक पुलिस की पिटाई से बेहोश हो गया था लेकिन उसकी मौत नहीं हुई थी।

 

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