Wednesday, November 20, 2024
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Explainer: वैश्विक तनावों के बीच बाइडेन और शी जिनपिंग की रणनीतिक द्विपक्षीय वार्ता का क्या रहा नतीजा? इन 7 अहम निष्कर्षों से समझें

चरम पर चल रहे वैश्विक तनावों के बीच अमेरिका और चीन ने अपने रिश्तों की कड़वाहट दूर करने के प्रयास के साथ ही वैश्विक समस्याओं के निदान पर भी फोकस किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति सी जिनपिंग की वैश्विक क्षेत्रीय मुद्दों पर अहम वार्ता हुई है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 16, 2023 16:11 IST
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग।- India TV Hindi
Image Source : AP अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वैश्विक तनावों के दौर में 15 नवंबर को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता हुई है। इस दौरान इजरायल-हमास युद्ध से लेकर, रूस-यूक्रेन संघर्ष और ताइवान का तनाव जैसे मुद्दे अहम रहे। यह यूएस-चीन सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सैन फ्रांसिस्को में  हुआ। बाइडेन ने शी के साथ इस दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं की इस द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता पर भारत समेत पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं। दुनिया के दो ताकतवर देशों के बीच भारी तनाव को दूर करने समेत वैश्विक तनावों और क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति की स्थिरता के मद्देनजर हुई इस अहम वार्ता के 7 अहम निष्कर्ष निकाले गए हैं। वार्ता के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं। 

मध्य-पूर्व

राष्ट्रपति बाइडेन और शी जिनपिंग के बीच वार्ता का अहम बिंदु हाल ही में इजरायल-हमास युद्ध के चलते मध्य-पूर्व में बढ़े तनाव को लेकर रहा। बाइडेन ने वार्ता के दौरान मध्य-पूर्व के देशों में शांति और स्थिरता का आह्वान किया।  इस क्षेत्र में अमेरिका और चीन की जटिल भूमिकाओं को रेखांकित किया गया। इजरायल-हमास युद्ध के चलते पूरे मध्य-पूर्व की स्थिति तेजी से विकृत हो रही है। 

ताइवान

शी और बाइडेन की बैठक के बीच ताइवान का तनाव मुख्य मुद्दा था। शी जिनपिंग ने इसे अमेरिका-चीन संबंधों के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने अमेरिका से ताइवान की स्वतंत्रता के संबंध में प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने का आग्रह किया। शी जिनपिंग ने ताइवान के साथ शांतिपूर्ण पुनर्मिलन का समर्थन तो किया, लेकिन ताइवान पर बल प्रयोग से इंकार नहीं किया। वहीं बाइडेन ने क्षेत्रीय शांति के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

ताइवान चुनाव 

ताइवान में जनवरी में होने वाले चुनावों के नजदीक आने पर बाइडेन ने चीन से इस द्वीप की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करने को कहा। हालांकि इस वक्त ताइवान के पास चीनी सेना की जबरदस्त उपस्थिति है। इसके बावजूद ताइवान पर तत्काल किसी आक्रमण का खतरा नहीं है।

ईरान

अमेरिका और ईरान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण चल रहे हैं। इजरायल-हमास युद्ध ने अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को और भी अधिक बढ़ा दिया है। इसकी एक वजह अमेरिका द्वारा इजरायल का समर्थन करना भी है। ऐसे में जो बाइडेन ने ईरान के साथ तनाव कम करने के लिए चीन से मदद मांगी। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पुष्टि की कि ईरान के साथ बातचीत जारी है। सीएनएन के अनुसार, बाइडेन ने स्पष्ट किया कि हमास के मुद्दे व्यापक फिलिस्तीनी चिंताओं से अलग हैं। इसलिए दोनों में अंतर करके देखना चाहिए। 

फेंटानिल उत्पादन 

दोनों नेताओं के बीच फेंटानिल ड्रग के उत्पादन और इसकी तस्करी रोकने को लेकर भी एक मुख्य चर्चा हुई। इस ड्रग के कारण अमेरिका में 70 हजार से भी अधिक मौतें हुई थीं। चीन ने फेंटानिल संबंधित कंपनियों पर कार्रवाई का वादा किया। एक प्रकाशन में कहा गया है कि अमेरिका इन प्रयासों की निगरानी करने की योजना बना रहा है। 

सैन्य संचार 

शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका और चीन में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। यह  सैन्य-से-सैन्य संचार बहाल करना है। इससे अमेरिका और चीन की सेनाओं में मजबूत संचार हो सकेगा। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दो देशोें के बीच गलतफहमी के जोखिम को कम करने में मदद करता है। यह दोनों सैन्य बलों के बीच तनाव को प्रबंधित करने में भी सहायता करता है। 

सकारात्मक निष्कर्ष 

इस बैठक के बाद अमेरिका और चीन की ओर से किसी तरह का संयुक्त वक्तव्य या औपचारिक सहयोग घोषणा पत्र तो जारी नहीं किया गया। बावजूद यह शिखर सम्मेलन सकारात्मक नोट पर समाप्त हुआ। बाइडेन ने वार्ता में हुई "वास्तविक प्रगति" के बारे में आशावाद व्यक्त किया। एक प्रकाशन में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने बढ़ते वैश्विक तनाव के मद्देनजर दुनिया की दो अग्रणी शक्तियों के बीच इस जुड़ाव के महत्व पर प्रकाश डाला।

इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी हुई बात

बैठक के बाद जो बाइडेन ने कहा कि राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इसमें यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक और जघन्य युद्ध को रोकने से रूस का इन्कार और गाजा संघर्ष भी शामिल था। बाइडेन ने कहा कि जैसा कि मैं हमेशा करता हूं, मैंने मामलों को उठाया. जहां संयुक्त राज्य अमेरिका को पीआरसी की कार्रवाइयों के बारे में चिंता है। इसमें दक्षिण चीन सागर में मानवाधिकारों और जबरदस्ती की गतिविधियां समेत हिरासत में लिए गए व बाहर निकाले गए लोगों और प्रतिबंधित किए गए अमेरिकी नागरिकों का मामला शामिल है। हमने उन तीनों ही मुद्दों पर बात की। मैंने उन्हें उन व्यक्तियों का नाम व ब्यौरा दिया है, जिन्हें हिरासत में लिया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि वह सभी जल्द मुक्त किए जाएंगे। हालांकि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया गया है। 

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