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World Zoonoses Day 2023: क्या होता है जूनोटिक रोग? आपके लिए जानना क्यों है जरूरी? घर का कोई भी मेंबर आसानी से चपेट में आ सकता है

World Zoonoses Day 2023: जूनोसिस संक्रामक बीमारियों का समूह है, जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं। इन्हें जूनोटिक और जूनोज भी कहा जाता है।

Written By: Akanksha Tiwari @akankshamini
Published : Jul 06, 2023 13:22 IST, Updated : Jul 06, 2023 15:00 IST
What are two zoonotic diseases examples
Image Source : FREEPIK What are two zoonotic diseases examples

World Zoonoses Day 2023: वर्ल्ड जूनोसिस दिवस हर साल 6 जुलाई को दुनियाभर में पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। फ्रेंच जीव वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 को रेबीज के खिलाफ टीका विकसित किया था। जूनोसिस एक संक्रामक बीमारियों का समूह है जो कि जानवरों से इंसानों में फैली हैं। जूनोटिक रोग बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के सीधे संपर्क या भोजन, पानी या पर्यावरण के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकते हैं। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, आज के समय में जूनोज के 200 से अधिक प्रकार हैं।

क्या होता है जूनोटिक रोग (What is zoonotic disease)

जूनोसिस एक संक्रामक बीमारी है जो जानवरों से मनुष्यों में फैली हैं। कुछ बीमारियां, जैसे एचआईवी, जूनोसिस के रूप में शुरू हुआ था लेकिन बाद में मानव से मानव में फैल रहा है। अन्य जूनोज बीमारी जैसे इबोला वायरस रोग और साल्मोनेलोसिस के बार-बार फैलने के कई कारण बन सकते हैं। जैसे कि नोवल कोरोना वायरस, जो कोविड-19 का कारण बना है, वैश्विक महामारी बन चुका है। जूनोटिक रोग में रेबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, निपाह और साल्मोनेलोसिस इत्यादि शामिल हैं। जूनोटिक बीमारी से स्वस्थ लोग भी ग्रसित हो सकते हैं। हालांकि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों में जूनोटिक बीमारियों के होने का डर बढ़ जाता है।

इन बीमारियों के बारे में आपके लिए जानना क्यों है जरूरी?

आजकल के समय में घरों में लोग कुत्ता, बिल्ली, मछली, चूहा, बकरी, भैंस और गाय जैसे तमाम जानवर पालते हैं। कई घरों में 1 से अधिक जानवर भी होते हैं, ऐसे में जानवरों से फैलने वाली बीमारियों का डर बढ़ जाता है। आइए जानते हैं जूनोटिक रोग कैसे फैल सकते हैं।

सीधा संपर्क (Direct contact)

किसी संक्रमित जानवर की लार, मल, मूत्र या शरीर के संपर्क में आने से जूनोटिक रोग हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप संक्रमित जानवर को सहलाते हैं या छूते हैं तो भी रोग फैल सकता है। ध्यान रखें कि जानवर को खिलाने या उनसे संपर्क में आने के बाद हाथ जरूर धोएं। 

अप्रत्यक्ष संपर्क (Indirect contact)

संक्रमित जानवर जहां घूमते हैं उस एरिया में संक्रमण फैल सकता है, ऐसे में अगर आप ऐसे सामानों को छूते हैं या फिर वहां बैठ जाते हैं तो संक्रमण होने का डर रहता है। उदाहरण के तौर पर कोई संक्रमित बिल्ली आपके घर में आए और किसी सामान पर बैठ जाए जहां उसकी लार गिरी हो तो ऐसे में उस सामान को छूने से आप के अंदर जूनोटिक रोग हो सकते हैं। इसके अलावा एक्वेरियम टैंक का पानी, पालतू जानवर जहां रहते हैं, पालतू जानवरों के बर्तन और पीने के पानी से भी रोग फैल सकता है। ऐसे में हमेशा कुछ भी खाने से पहले आप हाथ जरूर धोएं।

दूषित भोजन (foodborne)

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभर 6 में से 1 इंसान दूषित भोजन खाने से बीमार हो जाता है। बिना पाश्चुरीकृत (कच्चा) दूध, अधपका मांस या अंडे, या कच्चे फल और सब्जियां जो किसी संक्रमित जानवर के मल या मूत्र से दूषित हों, वह जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ऐसे में हमेशा भोजन घर में पकाकर ही खाना चाहिए। कच्चा दूध कभी न पिएं, हमेशा दूध पीने से पहले इसे अच्छे से उबाल लें। बाजार से सब्जी लाने के बाद इसे अच्छे से धोने के बाद ही फ्रिज में रखें। ताकि खाद्य जनित जूनोटिक बीमारियों से बचा जा सके।

जूनोटिक बीमारियों से बचाव के तरीके (ways of preventing zoonotic diseases)

  1. किसी भी जानवर को छूने के बाद तुरंत हाथ धोएं और अगर आपके कपड़ों पर जानवर की लार लगी है तो इन्हें बदलें। ऐसा करने से आप बीमारी और रोगाणुओं के फैलने से बच सकते हैं।
  2. हाथ हमेशा साबुन से धोएं और अगर आपके पास किसी स्थिति में साबुन नहीं है तो अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें। ध्यान रखें कि सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा 70% हो।
  3. चिड़ियाघर, मेले और पार्क में जाने पर ऐसे कपड़े पहनें जिससे आपका शरीर अच्छे से ढका हो। ऐसा करने से मच्छर, पिस्सू आदि के काटने से आप बच सकते हैं।
  4. घर के पालतू जानवर हों या फिर बाहर के जानवर, सभी के काटने और खरोंच से खुद को बचाएं। अगर कोई जानवर काट ले या खरोंच आ जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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