Saturday, December 21, 2024
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World Tribal's Day: आखिर 9 अगस्त को ही क्यों मनाते है विश्व आदिवासी दिवस, जानिए रोचक इतिहास

नौ अगस्त को हर साल पूरी दुनिया में आदिवासी दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में रहने वाले समाज की मुख्‍यधारा से कटे आदिवासियों को सम्मान देने के पीछे इस दिन की खास वजह है। जानिए इतिहास-

Written By: Kajal Kumari
Published : Aug 09, 2023 14:55 IST, Updated : Aug 09, 2023 14:55 IST
world tribal's day
नौ अगस्त को ही क्यों मनाते हैं विश्व आदिवासी दिवस

Explainer: भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज सबकुछ आम लोगों से अलग होता है। समाज की मुख्‍यधारा से कटे होने के कारण आदिवासी समाज आज भी पिछड़े हुए हैं। यही वजह है कि भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्‍थान के लिए, इन्‍हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्‍यान आकर्षित करने के लिए आज यानी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था।

जानिए इसे जुड़ा रोचक इतिहास

आदिवासी समुदाय के लोगों की भाषाएं, संस्‍कृति, त्‍योहार, रीति-रिवाज और पहनावा सबकुछ अन्य समाज के लोगों से अलग होता है। यही वजह है कि ये लोग समाज की मुख्‍यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकी संख्‍या आज भी समय के साथ घटती जा रही है। आज भी आदिवासी समाज के लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसकी एक मुख्य वजह ये है कि ये लोग प्रकृति से समीप रहना ज्यादा पसंद करते हैं और जंगलों में रहते हैं जिसकी वजह से ये मुख्यधारा से कटे रहते हैं। आज जंगल घटते जा रहे हैं जिसकी वजह से इनकी संख्या भी कम होती जा रही है। 

आदिवासी समाज के लोगों का मुख्य आहार आज भी पेड़-पौधों से जुड़ा है, इनके धर्म-त्योहार भी प्रकृति से जुड़े हैं। दुनिया भर में 500 मिलियन के करीब आदिवासी रहते हैं और 7000 भाषाएं बोलते हैं, 5000 संस्कृतियों के साथ दुनिया के 22 प्रतिशत भूमि पर इनका कब्जा है। इनकी वजह से पर्यावरण संरक्षित है। साल 2016 में 2680 ट्राइबल भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर थीं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने इन भाषाओं और इस समाज के लोगों को समझने और समझाने के लिए 2019 में विश्व आदिवासी दिवस मनाने का एलान किया। 

अमेरिकी मनाता था कोलंबस दिवस

अमेरिका में 12 अक्‍टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है और वहां के आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था। इसके बाद फिर कोलंबस दिवस की जगह पर आदिवासी दिवस मनाने की मागं उठी। इसके लिए 1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया और इस सम्‍मेलन में कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने की मांग की गई।

भारत में आदिवासी समुदाय की है बड़ी तादाद

भारत के मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्‍तीसगढ़, बिहार आदि तमाम राज्‍यों में आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। मध्‍य प्रदेश की बात कहें तो यहां 46 आदिवासी जनजातियां रहती हैं, जिसमें एमपी की कुल जनसंख्या के 21 फीसदी लोग आदिवासी समुदाय के हैं। वहीं झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी आदिवासी समाज के लोग हैं।

सिर्फ मध्‍य प्रदेश में गोंड, भील और ओरोन, कोरकू, सहरिया और बैगा जनजाति के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। बता दें कि गोंड एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी समूह है, जिनकी संख्या 30 लाख से अधिक है। मध्य प्रदेश के अलावा गोंड जनजाति के लोग महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी रहते हैं। वहीं में संथाल, बंजारा, बिहोर, चेरो, गोंड, हो, खोंड, लोहरा, माई पहरिया, मुंडा, ओरांव आदि आदिवासी समाज के लोग भारत के विभिन्न राज्यों में रहते हैं।

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