Sunday, November 03, 2024
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जानिए क्या है महिला आरक्षण बिल, जिसे नई संसद में सबसे पहले किया जा सकता है पेश

पिछले कई वर्षों से संसद से पारित होने की राह तक रहा महिला आरक्षण बिल को लेकर मोदी सरकार गंभीर बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार नए भवन में इस बिल को सबसे पहले पेश करने वाली है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: September 18, 2023 19:24 IST
Women's Reservation Bill- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV महिला आरक्षण बिल

नई दिल्ली: पिछले कई वर्षों से संसद में अटका पड़ा महिला आरक्षण बिल इस बार विशेष सत्र के दौरान पेश हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार नई संसद में पहला बिल महिला आरक्षण बिल ही पेश कर सकती है। माना जा रहा है कि मोदी कैबिनेट में इसे लेकर फैसला हो सकता है। कैबिनेट से पारित होने के बाद यह बिल लोकसभा और राज्यसभा में पेश होने कि संभावना है। वहीं इससे पहले रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान कुछ क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस सांसदों ने इस विधेयक को संसद में पारित करने की मांग की थी। हालांकि, सरकार ने उनकी मांग पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी।

महिला आरक्षण विधेयक क्या है?

पिछले कई दिनों से चर्चा में बन हुआ महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। लगभग 27 वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पर नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 प्रतिशत से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है। यह बिल सबसे पहले 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था। विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा समय में लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं, जोकि कुल सांसदों का मात्र 14 प्रतिशत है। वहीं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है।

कौन-कौन से दल हैं समर्थन में?

संसद के विशेष सत्र शुरू होने से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''सभी विपक्षी दलों ने इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण बिल पारित करने की मांग की।'' बीजेपी के सहयोगी और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ''हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे।'' बीजद और बीआरएस सहित कई क्षेत्रीय दलों ने भी महिला आरक्षण बिल पेश करने की मांग की थी।  बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा ने कहा कि नए संसद भवन से एक नए युग की शुरुआत होनी चाहिए और महिला आरक्षण विधेयक पारित होना चाहिए। माना जा रहा है कि इस बिल का सभी दल समर्थन करेंगे। हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि पुराने बिल में कुछ बदलाव हो सकते हैं, जिसके बाद ही समर्थन करने वाले दलों की स्थिति साफ़ हो पाएगी। 

बिल की आवश्यकता क्यों है?

संसद और विधानसभाओं में आधी आबादी का प्रतिनिधित्व अपेक्षित नहीं है। वर्तमान लोकसभा में, 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 प्रतिशत से भी कम है। वहीं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है। इसके अलावा अगर राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना सहित कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है। दिसंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं। 

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